मुख्य समाचारदेशविदेशहरियाणाचंडीगढ़पंजाबहिमाचलबिज़नेसखेलगुरुग्रामकरनालडोंट मिसएक्सप्लेनेरट्रेंडिंगलाइफस्टाइल

स्वस्थ शरीर और ऊर्जावान मन के मंत्र

सर्दी में सेहत का योग
Advertisement

जाड़े का मौसम खूब खाने-पीने व सेहत बढ़ाने वाला होता है। लेकिन ये ठंडक, सुस्ती और कई बार आलस्य लेकर आता है। इस समय शरीर का तापमान कम हो जाता है, रक्त प्रवाह धीमा पड़ता है और पाचन तंत्र भी कमजोर हो सकता है। ऐसे में योग, प्राणायाम और मुद्राओं का अभ्यास शरीर को ऊर्जावान, गरमाहट भरा और स्वस्थ बनाए रखने में बहुत सहायक होता है। हिमालय सिद्ध अक्षर ने अरुण नैथानी को बताया कि हम योगासन, प्राणायाम व मुद्राओं से कैसे स्वस्थ रह सकते हैं।

ऊर्जावान बनाने वाले योगासन

Advertisement

शरद ऋतु में जीवन की एकरसता कम करने व ऊर्जावान बनाने में योगासनों की बड़ी भूमिका होती है। इस मौसम में योगासन हमारे शरीर को लचीला, ऊर्जावान और चुस्त बनाते हैं। सर्दियों में निम्नलिखित आसन विशेष रूप से लाभकारी होते हैं —

सूर्य नमस्कार

सर्दियों में सूर्य नमस्कार सबसे उपयुक्त योग अभ्यास माना जाता है। दरअसल, यह हमारे शरीर के हर भाग को सक्रिय करता है। शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ाता है, साथ ही गरमाहट लाता है। स्कूलों में सुबह-सुबह सूर्य नमस्कार का अभ्यास छात्रों को ऊर्जावान बना सकता है।

त्रिकोणासन

सर्दियों में त्रिकोणासन बेहद लाभकारी होता है। यह हमारे शरीर की जकड़न खत्म करता है। यह आसन हमारे शरीर की मांसपेशियों को फैलाता है। साथ ही पाचन तंत्र को ठीक करता है। आसन ठंड में शरीर की जकड़न कम करता है।

भुजंगासन

दरअसल, भुजंगासन हमारे शरीर के अगले भाग को ऊर्जावान व लचीला बनाता है। यह आसन रीढ़ की हड्डी को मजबूत करता है। हमारी छाती को फैलाता है और साथ ही फेफड़ों को सक्रिय बनाता है। सर्दियों में सांस से जुड़ी बीमारियों से बचाव के लिए भुजंगासन उपयोगी है।

उष्ट्रासन

उष्ट्रासन जहां हमारे शरीर के लचीलेपन को बढ़ाता है वहीं ऊर्जा का संचार भी करता है। यह आसन शरीर के आगे के हिस्से को फैलाता है और शरीर में गरमाहट पैदा करता है। साथ ही यह पाचन तंत्र को भी सुधारता है। कालांतर शरीर में व्याप्त आलस्य दूर करता है।

सेतु बंधासन

दरअसल, सेतुबंध आसन हमारे तन मन को स्वस्थ बनाने में सेतु का कार्य करता है। इसीलिए इसे सेतुबंध आसन नाम दिया गया। जो हमारी कमर को लचीला बनाता है। यह आसन कमर दर्द, थकान और ठंड के कारण होने वाली जकड़न कम करता है।

आज हमारे जो किशोर मोबाइल व वीडियो गेम तक सीमित होते जा रहे हैं, उनके लिये ये आसन बेहद उपयोगी हैं। यदि विद्यालयों में इन आसनों को सुबह प्रार्थना सभा के बाद 15–20 मिनट कराया जा सकता है तो यह उनके स्वास्थ्य के लिये बेहद उपयोगी हो सकते हैं। यह उनके जीवन का हिस्सा बन जाएं तो वे ताउम्र स्वस्थ रह सकते हैं। इस दौरान छात्रों को आसन करते समय सांस पर ध्यान देने के लिये प्रेरित करना चाहिए। इसके जरिये उनके मन को शांत रखने का सार्थक प्रयास किया जा सकता है।

उपयोगी प्राणायाम

दरअसल, प्राणायाम के जरिये हम सांसों का नियमन करते हैं। इससे शरीर में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ जाता है। सर्दियों के मौसम में प्राणायाम हमारे श्वास-प्रश्वास को नियंत्रित करके शरीर में ऊर्जा और गरमाहट का प्रवाह करता है। सर्दियों में निम्नलिखित प्राणायाम बहुत उपयोगी हैं

कपालभाति प्राणायाम

सर्दियों में शरीर का तापमान नियंत्रित करने में कपालभाति का बेहद महत्वपूर्ण स्थान है। कपालभाति का अर्थ है “कपाल को उज्ज्वल करने वाला”। इस प्राणायाम से मस्तिष्क ऊर्जावान और शक्तिशाली बनता है। यह शरीर के रक्त प्रवाह को अच्छा करता है और ठंड के कारण होने वाली सुस्ती को दूर करता है। सुबह खाली पेट 2–3 मिनट इसका अभ्यास लाभदायक है।

अनुलोम-विलोम प्राणायाम

सही मायनों में अनुमोल-विलोम हमारी सांसों का नियमन करता है। जिसके जरिये हम अपने शरीर के तापमान को भी नियंत्रित कर सकते हैं। दरअसल, यह सबसे संतुलित प्राणायाम है। इससे शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है। इसके अलावा श्वसन तंत्र भी मजबूत होता है। अंतत: हमारा मन शांत होता है।

भस्त्रिका प्राणायाम

योग की भाषा में भस्त्रिका प्राणायाम को “योगिक ब्लोअर” भी कहते हैं। यह शरीर में जरूरी ऊष्मा पैदा करता है। इसलिए सर्दियों में भस्त्रिका प्राणायाम बेहद लाभकारी है। इससे रक्त में ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ती है और शरीर ऊर्जावान महसूस करता है। विद्यालयों में इन प्राणायामों को सुबह के योग सत्र में या मध्यांतर के बाद करवाया जा सकता है। यह बच्चों में ध्यान, एकाग्रता और सकारात्मक ऊर्जा को बढ़ाता है।

सर्दियों में जरूरी मुद्राएं

वास्तव में मुद्राएं हमारे शरीर की ऊर्जा को नियंत्रित करती हैं। जिससे मानसिक संतुलन बनाए रखने में हमें मदद मिलती है। सर्दियों में निम्न मुद्राएं विशेष लाभदायक हैं —

प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा हमारे शरीर में ऊर्जा को बढ़ाती है। जिससे कालांतर यह शरीर में जीवनी शक्ति भरती है। सर्दियों में यह हाथ-पैरों की ठंडक कम करती है।

सूर्य मुद्रा

दरअसल, सूर्य मुद्रा हमारे शरीर की अग्नि (पाचन शक्ति) को बढ़ाती है। सर्दियों के दौरान हमारे शरीर में गरमाहट लाती है। यदि ठंड के दौरान हम थकान या आलस्य महसूस करते हैं तो सूर्य मुद्रा का अभ्यास करना चाहिए।

ज्ञान मुद्रा

जैसा कि इस मुद्रा का नाम ज्ञान मुद्रा है, यह हमारी ध्यान शक्ति बढ़ाती है, मन को स्थिर करती है। कालांतर हमें मानसिक शांति प्रदान करती है। शीत ऋतु ही नहीं, अन्य मौसम में भी ,इन मुद्राओं का अभ्यास 10–15 मिनट तक शांति से बैठकर किया जा सकता है। विशेषकर जब सूर्य की हल्की धूप हो, तो इनका लाभ बढ़ जाता है।

आहार और दिनचर्या का महत्व

योग केवल आसनों तक सीमित नहीं, बल्कि यह जीवन जीने की एक कला है। सर्दियों में खानपान और दिनचर्या पर ध्यान देना भी उतना ही आवश्यक है। जो हमारे स्वस्थ रक्षा में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।

-गर्म, ताजा और पौष्टिक भोजन करें, जैसे दलिया, सूप, मूंग दाल, तिल, गुड़, मेवे, और मौसमी सब्जियां।

-ठंडे पेय, बर्फ या जंक फूड से बचें।

- सुबह जल्दी उठकर धूप सेंकें। इससे विटामिन मिलेगा और शरीर में गरमाहट बनी रहेगी।

- पर्याप्त नींद लें और विश्राम करें।

-दिन में पर्याप्त पानी और हर्बल चाय पिएं ताकि शरीर हाइड्रेटेड रहे।

यदि हम दैनिक जीवन में योगासन, प्राणायाम, मुद्राओं का नियमित अभ्यास करें और खान-पान में सावधानी बरतें तो डॉक्टर के पास जाने की जरूरत नहीं। हम सर्दियों के मौसम को स्वास्थ्यवर्धन का अवसर बना सकते हैं।

Advertisement
Show comments