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नमी और धूप देखकर ही दें पानी

ठंड में पौधों की देखभाल

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सर्दी के दिनों में पौधों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। जो उनकी पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर तय होती है। भले ही इस मौसम में पौधे सुप्त अवस्था में होते हैं, इसके बावजूद उन्हें अपनी भोजन बनाने की प्रक्रिया के लिए पानी की जरूरत होती ही है। 

सर्दियों में पौधों की वृद्धि धीमी पड़ जाती है। धूप कम होने की वजह से पौधों को पानी की कम जरूरत महसूस होती है। उन्हें अगर दिन में एक बार पानी दे दिया जाए, तो उनकी मिट्टी में नमी बनी रहती है। सर्दी के दिनों में गर्मी या बरसात की तुलना में पौधों को ज्यादा देखभाल की जरूरत होती है। अगर इनमें पानी की मात्रा ज्यादा हो जाए या इन्हें कई दिन तक बिना पानी के रखा जाए, तो पौधे सूखते हैं और सूखकर मुरझाते हैं और कई पौधे मर भी जाते हैं।

धूप, तापमान और आर्द्रता के मापदंड

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सर्दियों के महीनों में घर के अंदर उगने वाले बालकनी या शेड में रखे पौधों को कम धूप मिलती है। कम धूप के कारण उन्हें कम पानी की जरूरत होती है। जब प्रकाश की मात्रा कम और उनको प्रकाश मिलने की अवधि कम हो जाती है, तो पौधों में होने वाली प्रकाश संश्लेषण के अलावा दूसरी जैविक प्रक्रियाएं धीमी हो जाती हैं। सर्दियों में दिन का छोटा होना, कम रोशनी और ठंडे तापमान के कारण पौधों में वाष्पोत्सर्जन भी कम होता है और घर के भीतर रखे पौधे पानी ज्यादा नहीं सोखते यानी वो एक ऐसी अवस्था में होते हैं, जब वो निष्क्रिय या शांत रहते हैं। अगर ठंड ज्यादा होती है तो उनको पानी देने का तरीका भी मौसम के अनुकूल होता है यानी जहां हम रहते हैं, वहां की जलवायु, मौसम, वहां खिलने वाली धूप, तापमान और आर्द्रता के आधार पर ही यह निर्धारित होता है कि पौधों को इस सीजन में कितनी बार और कितना पानी देना चाहिए।

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वातावरण देखकर ही करें तय

अगर आप ज्यादा प्राकृतिक नमी और ज्यादा ठंडे वातावरण में रहते हैं तो आपको सर्दियों में कम पानी देना पड़ता है। जो लोग ज्यादा ठंड के दिनों में सर्दियों में अपने घर के भीतर हीटर चलाते हैं, उनके पौधों के पानी की जरूरत शुष्क वातावरण के कारण अलग तरह की होती है। इस तरह हर पौधे की जरूरत अलग-अलग तरह की होती है और उनकी पर्यावरणीय परिस्थितियों के आधार पर ही उन्हें पानी देने की भी जरूरत होती है। भले ही सर्दियों के मौसम में पौधे सुप्त अवस्था में होते हैं, इसके बावजूद उन्हें अपनी भोजन बनाने की प्रक्रिया के लिए पानी की जरूरत तो होती ही है। क्योंकि पानी की बदौलत ही वह जीवित रहते हैं और ज्यादा पानी देने से वो मरते हैं, तो कम पानी से वो भूखे रहते हैं। इसलिए अगर आपके पौधे भूरे रंग के हों या उनकी पत्तियां झड़ गई हों, इसके बावजूद उन्हें पानी चाहिए। उन्हें हाइड्रेट रखने से वह आने वाले दिनों में बचे रहेंगे।

ये बिंदु रखें ध्यान में

अपने पौधों की पानी की जरूरतों पर निम्न बिंदुओं पर विचार करें, मसलन : जब ज्यादा ठंड हो, जब तापमान 4 डिग्री से नीचे चला जाए, तो पौधों को पानी न दें। जहां तक संभव हो सुबह के समय पानी दें। पौधों को रात के समय सर्दी में कभी पानी न दें। इससे पानी जड़ों में जमा हो जाता है और पौधों को सड़न, कीड़े और फफूंद जैसी समस्याएं हो जाती हैं। वहीं वाटर टैंक की बजाय ताजा, भूमिगत जल देना चाहिए। अपने पौधों को ज्यादा धूप की जरूरत पर ध्यान दें। उनकी पत्तियों और समस्त पौधे की धुलाई करते रहें। अगर उनकी पत्तियों पर ज्यादा धूल जम जाती है तो उन्हें प्रकाश संश्लेषण के लिए ज्यादा मेहनत करनी पड़ती है। खुले टैरेस या जमीन पर लगे पौधों को प्लास्टिक के कवर से सुरक्षा प्रदान करें। अगर मिट्टी सूखी है तो पानी दें, अगर मिट्टी गीली है तो पौधों की वॉटरिंग न करें। नये पौधे लगाने, ट्रांसफर करने की योजना को स्थगित रखें। नवंबर से फरवरी के दौरान उन्हें दोबारा गमलों में लगाने से नुकसान हो सकता है।

दरअसल, अपने पौधों की जरूरत के अनुसार ही पानी दें। जिन पौधों की पत्तियों में अपना पानी होता है जैसे कैक्ट्स, इन्हें कम पानी की जरूरत होती है। वहीं जमीन में लगे पौधों की तुलना में गमलों में लगे पौधों को ज्यादा पानी की जरूरत होती है। इसलिए उनकी नमी पर ध्यान दें। इसके अलावा तापमान जब बहुत कम हो जाए, उससे पहले ही पौधों की जड़ों को सुरक्षित रखने के लिए उनमें मलचिंग करें। -इ.रि.सें.

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