फूल बढ़ाते रहे अभिनेत्रियों की खूबसूरती
फिल्मों में अभिनेत्रियां जब फूलों से अपनी सुंदरता-रौनक बिखेरती हैं, तो दर्शक उनके मुरीद हो जाते हैं। तकरीबन सभी अभिनेत्रियों ने फूलों को अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए बालों में लगाया। वहीं जिन गानों में या फिर किसी दृश्य में...
फिल्मों में अभिनेत्रियां जब फूलों से अपनी सुंदरता-रौनक बिखेरती हैं, तो दर्शक उनके मुरीद हो जाते हैं। तकरीबन सभी अभिनेत्रियों ने फूलों को अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए बालों में लगाया। वहीं जिन गानों में या फिर किसी दृश्य में फूल नजर आए हैं, उनकी सुंदरता बेहतरीन रही है।
फूल ऐसे ही अपने आपमें इतने सुंदर होते हैं कि उन्हें देखकर मन प्रफुल्लित हो उठता है। उस पर जब किसी फिल्म की हीरोइन गजरा या एक फूल अपने केशों में लगा ले, तो संदर्य और बढ़ जाता है। अभिनेत्रियां जब फूलों से अपनी सुंदरता-रौनक बिखेरती हैं, तो शायर हो या फिर दर्शक सभी उसके मुरीद हो जाते हैं। नरगिस से लेकर नरगिस फाखरी तक, हेलन से हेमा मालिनी तक, रेखा से राखी तक, मीना कुमारी से मुमताज तक, शर्मिला से शिल्पा शेट्टी तक, माला सिन्हा से माधुरी दीक्षित तक – तकरीबन सभी अभिनेत्रियों ने फूलों को अपनी सुंदरता बढ़ाने के लिए अपने बालों में लगाया।
निर्माता-निर्देशकों ने खूब किया उपयोग
चमेली, बेला, गुलाब, गेंदा, गुड़हल के अतिरिक्त डहेलिया, गुलदाउदी, जरबेरा और गजैनिया के पुष्प लगाकर फिल्मी अभिनेत्रियां अपनी खूबसूरती का जलवा बिखेरती नजर आती हैं। फिल्मों के निर्माता-निर्देशकों के लिए फूल सदियों से प्रेरणा का सबब रहे हैं। हर रंग के पुष्प किसी भी सीन की सुंदरता, नाजुकता और काव्यात्मकता को बढ़ा देते हैं। चाहे गजरा हो या सिंगल फूल, फूलों के गुच्छे या फिर चोटी में गुंथे फूलों के बंद या फूलों के बाग हों, हीरो-हीरोइन की रोमांटिक उपस्थिति इनसे और बढ़ जाती है।
फूलों वाले दृश्यों का खास आकर्षण
फिल्मों का इतिहास देख लें। जिन गानों में या फिर किसी दृश्य में फूल नजर आए हैं, उनकी सुंदरता अन्य दृश्यों से इतर रही है। राखी गुलजार और शशि कपूर पर फिल्माए गए गीत- ‘ओ मेरी शर्मिली आओ न.. ’ में गुलाब की रौनक है, तो ‘कोरा कागज था ये मन मेरा’ में शर्मिला-राजेश खन्ना को और रोमांटिक किया है डहेलिया के पुष्प ने। रोमांटिक व एवरग्रीन गीत-‘मेरे सपनों की रानी कब आएगी तू’, में राजेश खन्ना, सुजीत कुमार जब चलती रेल में बैठी शर्मिला टैगोर को देखते हुए गाते हैं, तो शर्मिला के बालों में लगे छोटे-छोटे लाल फूल सारे माहौल को रंगीन कर देते हैं। फूल लगाने का तरीका अगर रोमांटिक है, तो वह नायिका की खूबसूरती का दर्शकों को दीवाना बना देता है।
‘कजरा लगा के...’
राजेश खन्ना-मुमताज की फिल्म अपना देश साल 1972 में आयी थी। इसका गीत ‘कजरा लगा के, गजरा सजा के बिजुरी गिरा के जइयो न’ में मुमताज ने जिस तरह से बेला के फूलों से बना गजरा लगाया है, वह आज तक हर स्त्री के लिए एक मानदंड है। किसी समारोह में जब कोई महिला गजरा लगाती है, तो उसका स्टाइल मुमताज जैसा ही होता है। मुमताज और राजेश खन्ना की इसी फिल्म का दूसरा गीत है, ‘सुन चंपा, सुन तारा, कोई जीता, कोई हारा’ में तो कोरस गाने वाली साइड कलाकार महिलाओं ने बालों में फूल लगाए हैं और खुद मुमताज अपने अंदाज में अभिनय की रौनक बिखेर रही हैं। मगर पूरे गीत में जो समां बालों में लगे फूलों से बंधा है, वह बेजोड़ है।
मुमताज ऐसी अभिनेत्री रही हैं, जो अपनी स्टाइलिंग के कारण आज भी युवा पीढी़ के लिए फैशन आइकॉन हैं। फिल्म ‘लोफर’ में लाल शरारा कुर्ते पर बालों में गजरा लगाकर उन्होंने बता दिया है कि अगर फूलों का गजरा ही लगाना हो, तो स्टाइल क्या होगी। इसी मूवी में उन्होंने फूलों से सजी साड़ी पर सफेद गुलदाउदी लगाकर कहर ही ढा दिया है। खास बात यह कि गुलदाउदी ने उनकी बिंदी और हाथ की चूड़ियों से गीत, ‘मैं तेरे इश्क में मर न जाऊं कहीं..’ को सुपर हिट कराने में कोई कसर नहीं रखी।
‘तेरे होठों के दो फूल...’
लीना चंद्रावरकर ने ‘आज मैं जवां हो गई हूं’, राखी गुलजार ने ‘पल पल दिल के पास कोई रहता है’ में भी गुलाब की सुंदरता से दर्शकों को लुभाने में कोई कसर नहीं रखी। गीत ‘दिल दीवाने का डोला दिलदार के लिए..’ में तो अभिनेत्री ने अपनी पूरी चोटी को फूलों में गूंथकर ऐसा स्टाइल बनाया कि न जाने कितने सालों तक यह फैशन शादियों में दुल्हन के सिर चढ़कर बोला। राखी का संजीव कुमार के साथ ड्वेएट गीत ‘तेरे होंठों के दो फूल प्यारे प्यारे’ एवरग्रीन की श्रेणी में आता है।
फिल्म में अभिनेत्रियों ने अपनी हेयर स्टाइलिंग के लिए फूलों का प्रयोग किया, तो शायरों ने गानों में ही अभिनेत्रियों के लिए ऐसे गाने लिख दिए, जिन्हें किसी प्रकार के प्रतीक की जरूरत ही नहीं रही। ‘आरजू’ का गीत ‘फूलों की रानी बहारों की मलिका’, सूरज में गाया गया गीत ‘बहारो फूल बरसाओ मेरा महबूब’, सरस्वती चंद्र का ‘फूल तुम्हे भेजा है खत में’, प्रेम पुजारी का ‘फूलों के रंग से’ कुछ ऐसे गीत हैं, जो आज भी महफिलों में बजते हैं। यूं खूबसूरती की आइकॉन सुचित्रा सेन हों या फिर माधुरी दीक्षित, आलिया भट्ट हो या फिर जूही चावला इनकी खूबसूरती को निखारने में फूलों का योगदान भी उतना ही था, जितना कि एक अच्छी फिल्म के लिए उसकी स्टोरी का। -इ.रि.सें.

