स्वास्थ्य ढांचा व चिकित्सा सुविधाएं केवल उपलब्धता का मुद्दा नहीं बल्कि हर नागरिक का अधिकार हैं। जब हर व्यक्ति बिना आर्थिक मदद के डॉक्टर तक पहुंच सके, तभी ‘हेल्थ फॉर ऑल’ का मकसद पूरा होगा। दुनियाभर के नीति-नियंताओं और नागरिकों को यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे यह संदेश देता है कि स्वास्थ्य पर किया गया निवेश सिर्फ लोगों को मजबूत नहीं बनाता बल्कि पूरे समाज को सुरक्षित और समृद्ध करता है।
आम लोगों के स्वास्थ्य के लिए अस्पताल, दवा, इलाज, टेस्ट, मानसिक स्वास्थ्य- ये सब उपलब्धता का मुद्दा नहीं बल्कि धरती के हर नागरिक का अधिकार हैं। हर साल 12 दिसंबर को दुनियाभर में मनाया जाने वाला यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे हमें याद दिलाता है कि स्वस्थ जीवन का हक किसी खास वर्ग या आर्थिक स्थिति से नहीं जुड़ा। इस दिन का वास्तव में मकसद यही है कि आम लोग अपने नागरिक अधिकार समझें। क्योंकि बीमार होना कभी किसी की गलती नहीं होती, पर इलाज न मिलना व्यवस्था की गलती होती है। यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे, दुनियाभर के नीति-निर्माताओं और नागरिकों को संदेश देता है कि स्वास्थ्य पर किया गया निवेश सिर्फ लोगों को मजबूत नहीं बनाता बल्कि पूरे समाज और अर्थव्यवस्था को सुरक्षित और समृद्ध करता है। जब हर व्यक्ति बिना आर्थिक मदद के डॉक्टर तक पहुंच सके, तभी सही अर्थों में, ‘हेल्थ फॉर ऑल’ जैसा नारा सच होगा।
2017 में हुई शुरुआत
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे की शुरुआत और इसके मनाये जाने को संयुक्त राष्ट्र से आधिकारिक मान्यता साल 2017 में मिली, जब संयुक्त राष्ट्र महासभा ने एक प्रस्ताव पास करके 12 दिसंबर को आधिकारिक रूप से यूएचसी डे यानी यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे घोषित किया। यह पहल वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों, नागरिक समाज और विभिन्न देशों के संयुक्त प्रयासों का परिणाम थी। हालांकि साल 2012 में 12 दिसंबर को यूएन ने यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज पर पहली बार ऐतिहासिक प्रस्ताव पारित किया था।
स्वास्थ्य में निवेश है स्थिरता की नींव
साल 2019-20 में कोविड महामारी के दौरान इस खास दिन यानी यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे के लिए दुनियाभर में सजगता बढ़ी है। क्योंकि कोविड ने दिखा दिया कि असमान स्वास्थ्य ढांचा सिर्फ उस देश के लिए ही जोखिमभरा नहीं है, जहां ये होता है बल्कि पूरी दुनिया को खतरे में डाल सकता है। इसलिए इस दिन देशों को यह याद दिलाया जाता है कि स्वास्थ्य में निवेश करना, आर्थिक और सामाजिक स्थिरता की आधारशिला है। दुनिया में हर साल करीब 10 करोड़ लोग स्वास्थ्य खर्च के चलते गरीबी रेखा से घिर जाते हैं। जबकि सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज दिवस की यह धारणा ही है कि स्वास्थ्य लोगों की जेब पर भारी पड़ने वाली चीज नहीं है बल्कि सरकारों की अपनी जनता के लिए बुनियादी जिम्मेदारी है।
जीवनशैली में बदलावों से बढ़ा महत्व
आधुनिक जीवनशैली, बढ़ता स्क्रीन टाइम, तनाव और फास्ट फूड की ललक के चलते दुनियाभर में स्वास्थ्य सेवाओं का मानव विस्फोट हो गया है। ऐसे में जब स्वास्थ्य को लेकर हर तरफ खतरा महसूस होता है, जिसके कारण अरबों, खरबों डॉलर के हर साल व्यक्तिगत स्वास्थ्य बीमा लोगों द्वारा लिए जाते हैं। उस सबके बीच यूएचसी डे का कुछ अलग की महत्व निकलकर आता है कि स्वास्थ्य व्यक्तिगत समस्या नहीं है, यह सामाजिक जिम्मेदारी है। जहां तक देश और दुनिया में इस विशेष दिन को मनाये जाने के तरीके का सवाल है तो दुनिया के अलग-अलग देश और संस्थाएं इस दिन को कई तरीकों से सेलिब्रेट करती हैं। स्वास्थ्य मंत्रालयों और विभिन्न एनजीओं द्वारा सोशल मीडिया कैंपेन, ‘हेल्थ फॉर ऑल’, ‘यूएचसी डे’ जैसे टैग के साथ मनाया जाता है।
जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन
यूनिवर्सल हेल्थ कवरेज डे के मौके पर अनेक डिजिटल पोस्टर, वीडियो और जनसंदेश स्वास्थ्य के प्रति सजगता बढ़ाने के उद्देश्य से जारी किये जाते हैं। कई जगहों पर स्वास्थ्य शिविर और मुफ्त जांच कार्यक्रम चलते हैं। रक्तदान शिविर, टीकाकरण जागरूकता, मानसिक स्वास्थ्य काउंसलिंग कैंपेन और निःशुल्क स्वास्थ जांच अभियान चलाये जाते हैं। विश्व बैंक, संयुक्त राष्ट्र व विभिन्न देशों की सरकारों के बीच राउंड टेबल चर्चाएं होती हैं। इन नीति,संवाद और सम्मेलन में डॉक्टर, स्वास्थ्य विशेषज्ञ और युवा नेताओं की भागीदारी होती है। इस दिन स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को इस दिन के बारे में बताया जाता है, जो बच्चों के स्वास्थ्य में इम्प्रूव करता है। स्कूल कॉलेज में इस दिन छात्रों के लिए कई तरह की वर्कशॉप लगती हैं। हेल्थ अवेयरनेस रैली निकलती है। निबंध, पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिताएं होती हैं।
इस दिन हमारे देश में भी बहुत काम होते हैं। समाचार चैनल और मैगजीन स्वास्थ्य से जुड़े लेख और सूचनाएं लगातार देते हैं और इन्हीं माध्यमों के जरिये सरकारें उन्हें विशेष रूप से इसके लिए जागरूक बनाने की कोशिश करती है, ताकि ऐसे लोग समाज में इस तरह का माहौल बनाएं, जो हर किसी को अपने स्वास्थ्य को पहली प्राथमिकता में रखने का भाव भरे। क्योंकि जब तक लोग खुद अपनी बेहतरी के लिए किसी कार्यक्रम को शुरू नहीं करते, उसका हिस्सा नहीं बनते, तब तक बदलाव आसान नहीं होता। साल 2025 के यूएचसी डे के लिए समानता, वित्तीय सुरक्षा और डिजिटल हेल्थ पर भरोसा जैसे विषय फोकस में रह सकते हैं। हर साल यूएचसी डे लोगों को स्वास्थ्य के प्रति सजग रहने और वित्तीय सुरक्षा जैसी किसी समस्या को कमजोर वर्गों तक न आने देने के लिए सरकारों को बताना व याद दिलाना कि अच्छा स्वास्थ्य हमारा मौलिक अधिकार है। -इ.रि.सें.
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