पता नहीं सरकार सड़कें क्यों बनवा रही है यार, क्योंकि गाड़ियां तो सड़कों पर चल नहीं रही। वे तो लोगों पर ही चल रही हैं। चाहे यूपी देख लो, हरियाणा देख लो या छत्तीसगढ़ देख लो। हर जगह गाड़ियां लोगों पर चल रही हैं। पहले कभी किसी सेलिब्रिटी की गाड़ी फुटपाथ पर जरूर चढ़ जाती थी। हालांकि चढ़ती तो वो भी लोगों पर ही थी और उनकी कहानियां भी बन जाती थी। लोगों को आश्चर्य होता था कि सड़क छोड़कर गाड़ियां फुटपाथ पर क्यों चढ़ जाती हैं। उन्हें दुर्घटना ही माना जाता था। मान लिया जाता था कि नशे में बैलेंस बिगड़ जाता होगा।
खैर, अब जो गाड़ियां सड़क छोड़कर लोगों पर चढ़ रही हैं, वे भी चढ़ तो नशे की झोंक में ही रही हैं, पर यह नशा दूसरी तरह का है। यह सत्ता का नशा है। सत्ता के नशे में अंग्रेज तो लोगों पर रोड रोलर चला देते थे। बताते हैं कि हांसी की एक सड़क का नाम लाल सड़क इसीलिए पड़ा था कि अंग्रेजों ने वहां भारतीय क्रांतिकारियों को लिटाकर रोड रोलर चलवा दिया था। सत्ता के नशे में शासक हमेशा ही यह काम करते रहे हैं। कोई हाथियों से लोगों को कुचलता था, तो कोई रोड रोलरों से।
भई, अगर ऐसा ही है तो फिर लाखों-करोड़ों की परियोजनाओं का उद्घाटन क्यों किया जा रहा है। बेशक अपने यहां गाड़ियों की संख्या बढ़ गयी है लेकिन गरीब-गुरबों की संख्या अभी भी गाड़ियों से तो ज्यादा ही है।
वैसे भी तेल इतना महंगा हो रहा है कि सत्ताधारियों के अलावा और तो किसी की गाड़ियां चलाने की कूवत रहेगी नहीं। रहे सेलिब्रिटी तो वे वैसे ही डरे हुए हैं कि पता नहीं कब वे या उनके परिवार का कोई बच्चा दस ग्राम नशे की पुड़िया के साथ पकड़ा जाए। पंजाब में सालों तक चिट्टा बेचने वाले तो नहीं पकड़े गए। टनों में नशा लाने वाले भी नहीं पकड़े गए। लेकिन सेलिब्रिटीज का डर सच्चा है। उन्हें पांच-दस ग्राम की पुड़िया हमेशा डराती रहेगी। इसे सत्ता का खौफ कहा जा सकता है।
फिर भी पता नहीं क्यों सड़कें बनवायी जा रही हैं। नेता लोग उनका उद्घाटन भी कर रहे हैं। कह रहे हैं कि विकास के लिए जरूरी है। लगता है विकास के लिए इनसान से ज्यादा सड़कों की जरूरत होती है। इसलिए इनसानों से ज्यादा सड़कों को महत्व दिया जा रहा है। फिर भी सत्ताधारी हैं कि अपनी गाड़ियां सड़कों पर चलाने की बजाय कहीं और ही दौड़ा रहे हैं। कहीं विकास का एक पैमाना यह भी तो नहीं हो गया है। जो भी हो, संभल के रहना। वो कहते हैं न कि बचाव में ही बचाव है।