सहीराम
वैसे तो कोरोना की लहर भी थम ही गयी है, लेकिन उसे थमा हुआ नहीं माना जा रहा है। वैसे भी अब क्योंकि त्योहारों का सीजन आ रहा है तो सावधानी बरतने की जरूरत तो है ही। खैर, हम कोरोना की लहर की बात नहीं कर रहे, हम तो उस लहर की बात कर रहे हैं, जो पिछले दिनों देश भर में बड़े जोर-शोर से उठी थी। यह लहर थी मुख्यमंत्री बदलने की लहर। जैसे कोरोना अमीर-गरीब या हिंदू मुसलमान नहीं देख रहा था, वैसे ही यह लहर भी भाजपा-कांग्रेस नहीं देख रही थी।
अलबत्ता मुख्यमंत्री बदलने के मामले में भी भाजपा ही आगे रही। उसने चार मुख्यमंत्री बदले तो कांग्रेस एक ही मुख्यमंत्री बदल पायी और वह भी इतना नाराज हुआ कि उसने इस बदलाव को अपना अपमान मान लिया। जी, पंजाब के बदले गए मुख्यमंत्री ने कहा कि मुझे बदलने से मेरा अपमान हो गया। भाजपा के चार मुख्यमंत्री बदले गए, लेकिन उनमें से किसी ने नहीं कहा कि मेरा अपमान हो गया। लगता है अपमान भी पार्टी सापेक्ष होता है। कांग्रेस में जिसे अपमान माना जाता है, उसे भाजपा में सम्मान माना जाता है।
वैसे भी अगर बदले गए भाजपायी मुख्यमंत्रियों ने इसे अपमान मान लिया होता तो होना-जाना कुछ नहीं था। हो सकता है अपमान और बढ़ जाता। इसलिए उन्होंने इसे सम्मान मानना ही उचित समझा। लेकिन पंजाब के बदले गए मुख्यमंत्री ने इसे अपमान समझा। उन्होंने साढ़े नौ साल के सम्मान को सम्मान तो नहीं माना, लेकिन इस बदलाव को अपना अपमान जरूर मान लिया।
उन्हें लग रहा था कि उनकी पार्टी अभी भाजपा वाली स्थिति में नहीं है जहां अपमान को अपमान कहना भी गवारा न हो। वह तो इस स्थिति में है कि सम्मान को भी अपमान कह दो तो चल जाएगा। लंबे सम्मान को एक ऐसे छोटे अपमान से ढका जा सकता है, जो चाहे अपमान न भी हो, बदलाव ही हो, जो होता रहता है। उन्हें लगा कि अगर उन्होंने इस बदलाव को अपमान माना तो उन्हें सम्मान देने वाले बहुतेरे बैठे हैं। अमित शाह से लेकर अजित डोभाल ने उन्हें सम्मान दिया भी।
उनके उलट पंजाब के बदलकर आए मुख्यमंत्री हैं, जिन्हें मीडिया वाले निरंतर बताते रहते हैं कि साहब आपका अपमान हो गया, वो देखो आपके अध्यक्ष ने क्या कह दिया, वो देखो उन्होंने क्या बोल दिया। लेकिन वे हैं कि हर अपमान को अपना सम्मान ही मानकर चल रहे हैं। लेकिन अब अचानक मुख्यमंत्रियों को बदले जाने की यह लहर भी थम सी गयी है और इसका श्रेय उन मंत्री महोदय को मिलना चाहिए, जिनके पुत्र पर गाड़ियों से किसानों को कुचलने का आरोप है।
अब क्योंकि यह लहर थम गयी है तो पंजाब के बदले गए मुख्यमंत्री के सम्मान की उम्मीद भी धुंधला गयी है। डर यही है कि अपने ऊपर उन्होंने अपमान की जो मोहर लगा ली थी, कहीं वह स्थायी न हो जाए।