विधाता ने हथेली की लकीरों के आगे उंगलियों को रखा है। इस रचना के पीछे ख्याल यही रहा होगा कि परिश्रम का दर्जा भाग्य से पहले है। उंगलियों में ताकत है कि वे किस्मत को ठीक वैसे ही चमका सकती हैं जैसे राख से रगड़ने पर पीतल के बर्तन चमक उठते हैं। बेशक, उंगलियों की मेहनत ही किस्मत रच सकती हैं पर कइयों को कभी-कभी लगता है कि भगवान ने उनकी किस्मत ठीक उसी अंदाज़ में लिखी है जैसे उन्होंने इम्तिहान मेें आधे-अधूरे उत्तर लिखे थे। किस्मत के धनी कई ऐसे भी होते हैं, जिनका हाथ लगते ही पीतल सोना हो जाता है। किस्मत के मारे ऐसे भी हैं, जिनका छप्पर हर बरसात में टपकता है और ऐसे भी हैं जिन्हें भाग्य हमेशा छप्पड़ फाड़ कर देता है।
एक गज़ब संदेश पढ़ने में आया कि नसीब में लिखा न कोई छीन सकता है, न कोई टाल सकता है। महिलायें आलू खरीदते समय जो आलू छांटकर निकाल देती हैं वे ही आलू उन्हें गोलगप्पों के रूप में वापस मिल जाते हैं।
कई लड़कों की किस्मत में लड़कियों का इतना अकाल होता है कि यदि कस्टमर केयर में कॉल करेंगे तो भी फोन लड़के ही उठायेेंगे। इसे ही हम फूटी किस्मत कहते हैं। एक स्थिति वह होती है जब हम चीखकर कहते हैं कि मेरी तो किस्मत ही फूटी है। इसी पल के लिये कहा जाता है कि किस्मत गर खराब हो तो ऊंट पर बैठे को भी कुत्ता काट जाता है। जब जीवन में आभास होता कि सब कुछ सही चल रहा है तभी अचानक इयरफोन एक साइड से बजना बंद हो जाता है। साइकिल वाला कोई आदमी आपको टक्कर मारे और आपके गिरने पर कहे कि आप बहुत भाग्यशाली हैं तो हैरान होना बनता है। पर जब टक्कर मारने वाला आदमी कहे कि वह तो ट्रक चालक है और आज संयोगवश ही साइकिल चला रहा है तब आपको जरूर लगेगा कि किस्मत सही है। मुकद्दर मौसम की तरह होता है जो कभी भी बदल सकता है। कइयों की ज़िंदगी में नसीब की बरसात इस तरह होती है कि पलकें सूखती ही नहीं। लोग कहते हैं कि जो दर्द देता है वही दवा देता है। इस पर एक निराश मनचले का कहना है कि पता नहीं फिजूल की बातों को कौन हवा देता है।
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एक बर की बात है अक रामप्यारी तै उसका भाई नत्थू बोल्या—बेब्बे! एक गिलास पाणी दिये। रामप्यारी बोल्ली—खड़्या होकै पीले। नत्थू नैं फेर कही— दे दे एक गिलास पाणी। रामप्यारी नैं छोह आग्या अर गरजते होये बोल्ली—जै हटकै पानी पाणी मांग्या तो एक रैपटा द्यूंगी खिचाकै। नत्थू बोल्या—जद रैपटा मारण आवै तो एक गिलास पाणी लेती आइये।