आलोक पुराणिक
डॉलर के मुकाबले रुपये के भावों में हाल में खासी गिरावट हुई। हाल में एक डॉलर के बदले रुपये का भाव 81 रुपये तक गया। रुपये के गिरने और उठने को लेकर पूछे जानेे वाले कतिपय महत्वपूर्ण सवाल और उनके जवाब इस प्रकार हैं :-
सवाल : रुपया गिरा, ऐसा कहा जाता है, पर आमजन रुपये को गिरता हुआ न देख पाते, मतलब रुपया गिरता कहां है।
जवाब : रुपया चाहे जितना गिर जाये, पर आम आदमी के घर में जाकर न गिरता। बहुत सारा रुपया उन्हीं लोगों के घर में गिरता है, जो लोग पहले ही बहुत गिरे हुए होते हैं। नकली दवाइयों से जो कमाना जानते हैं और नकली दूध-घी का जो कारोबार करते हैं, उनके यहां रुपया बहुत गिरता है। हथियारों के दलालों के यहां रुपया बहुत गिरता है। नेताओं के यहां रुपया बहुत गिरता है। कुल मिलाकर रुपये का गिरना आम आदमी के यहां नहीं हो सकता है।
सवाल : रुपया कमजोर होने का आशय क्या है।
जवाब : देखिये रुपया कमजोर हो रहा है और अमेरिका का डॉलर मजबूत हो रहा है। कमजोर रुपये के देश यानी भारत के नागरिक मौका मिलते ही अमेरिका को मजबूत करने में लग जाते हैं यानी अमेरिका में जाकर बस जाते हैं। यानी आखिर में मजबूत अमेरिका को ही होना है। पाकिस्तान में भी रुपया कमजोर हो रहा है पाकिस्तान के टॉप हुक्मरान, जनरल वगैरह सब के सब अमेरिका में सैटल होना चाहते हैं या हो गये हैं। तो दुनियाभर से माल बटोरकर लोग अमेरिका चले जाते हैं और अमेरिका मजबूत हो जाता है। रुपये वाले देशों को तो कमजोर होना ही है। रुपया कमजोर हो रहा है, इस बात का एक आशय और भी है। यानी अब कई नेता और अफसर रुपये में रिश्वत स्वीकार न करते, उन्हें डॉलर में ही रिश्वत चाहिए होती है। अब किसी नेता या अफसर को अगर रिश्वत की कमाई से कैलिफोर्निया में अपार्टमेंट खऱीदना है तो रुपया काम न आयेगा, डॉलर ही चाहिए। हम कह सकते हैं कि रुपया अब कमजोर हो रहा है।
सवाल : आम आदमी पर रुपये के कमजोर होने का क्या असर होता है।
जवाब : सच यह है कि आम आदमी इस कदर बदहाल होता है कि रुपया उसकी बदहाली को बढ़ा ही नहीं सकता, क्योंकि उसे परम बदहाली का अभ्यास होता है। आम आदमी को महंगा टमाटर क्या डरा सकता है, क्योंकि वह तो टमाटर खाना बरसों पहले ही छोड़ चुका है। यानी कुल मिलाकर यही कहा जा सकता है कि नंगे फकीर से कोई क्या ले सकता है, उसके पास है क्या। रुपया चढ़ गया, तो भी उसका कुछ भला न होना और रुपया गिर गया तो उसका कोई कुछ छीन नहीं सकता।