रेनू सैनी
प्रत्येक सफल व्यक्ति अपनी अच्छी आदतों के कारण कामयाब होता है। आदतें अच्छी और बुरी होती हैं। वे आदतें जो हमें प्रगति, सच्चाई और अच्छाई के मार्ग पर लेकर जाती हैं, अच्छी होती हैं और जो आदतें हमें शारीरिक व मानसिक रूप से बीमार करती हैं, वे बुरी आदतें होती हैं। अच्छी आदतें सुबह जल्दी उठना, व्यायाम करना, प्रार्थना करना, अपने दैनिक कार्यकलापों की सूची बनाना, समय पर संतुलित भोजन करना आदि हैं वहीं बुरी आदतों में नशे का सेवन, देर तक सोना, हर वक्त कुछ न कुछ खाते रहना, अत्यधिक फास्ट फूड का सेवन, नाखून चबाना आदि हैं।
अच्छी आदतें हर व्यक्ति अपनाना चाहता है। इसलिए अक्सर नववर्ष पर कई लोग अपने अंदर अच्छी आदतें अपनाने के संकल्प लेते हैं लेकिन कुछ समय बाद ही वे पुराने ढर्रे पर आ जाते हैं। आखिर ऐसा क्यों होता है कि अच्छी आदतें जीवन का अंग ज्यादा समय तक नहीं बन पातीं। क्या अच्छी आदतों को अपनाना बहुत मुश्किल है। यदि ऐसा है तो कई लोग कैसे उन आदतों को आसानी से अपना लेते हैं और दिन-प्रतिदिन सफलता की सीढ़ियां चढ़ते जाते हैं। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि वे व्यक्ति अच्छी आदतों को अपने जीवन का अंग बनाने के लिए हैबिट ट्रेकिंग का प्रयोग करते हैं। हैबिट ट्रेकिंग अपनी आदतों को नियम से करने की सूची बनाना है। सफल लोग बहुत पहले से इस प्रक्रिया को जानते हैं और इसे अपनाकर अपने हर लक्ष्य को प्राप्त करते हैं।
वर्ष 1993 में कनाडा के एबॉट्सफोर्ड में एक बैंक ने टेंªट डेयरस्मिड नामक तेईस साल के एक स्टॉकब्रोकर को काम पर रखा। एबॉट्सफोर्ड एक छोटा सा शहर था, जो वैंकूवर की छाया में बसा था। बैंक जानता था कि टेंªट कम उम्र का एवं नौसिखिया है। इसलिए वे उसकी कार्य शैली पर भी बहुत कम ध्यान देते थे। लेकिन एक साधारण सी दैनिक आदत के कारण डेयरस्मिड ने इस क्षेत्र में आशातीत प्रगति की और सभी को दांतो तले अंगुली दबाने पर मजबूर कर दिया। यह आदत हैबिट ट्रेकिंग की थी।
डेयरस्मिड हर सुबह काम प्रारंभ करने से पहले अपनी डेस्क पर दो जार रख देते थे। पहले जार में 120 पेपर क्लिप्स रहते थे। दूसरा जार खाली रहता था। जैसे ही वे अपनी सेल्स कॉल करनी शुरू करते, वैसे ही उस जार से एक क्लिप निकालकर खाली जार में डालते रहते थे। उनका कहना था, ‘मैं हर सुबह 120 पेपर क्लिप्स से आरंभ करता था और तब तक फोन करता रहता था, जब तक कि मैं पहले जार की क्लिप दूसरे ज़ार में न डाल दूं।’ साधारण दृष्टि से देखा जाए तो मुश्किल है लेकिन अगर हैबिट ट्रेकिंग के नज़रिए से देखा जाए तो कोई मुश्किल नहीं है क्योंकि हैबिट ट्रेकिंग की आदत व्यक्ति के अंदर प्रेरणा, उत्साह और आत्मविश्वास को जागृत करके रखती है और जैसे-जैसे व्यक्ति हैबिट ट्रेकिंग की प्रतिदिन की निर्धारित अवधि को पूरा करता जाता है तो उसके अंदर जैसे एक नई शक्ति का उदय हो जाता है।
अपनी हैबिट ट्रेकिंग की आदत के कारण ही डेयरस्मिड ने मात्र अठारह महीनों में 50 लाख डॉलर फर्म को दिए। केवल चौबीस साल की आयु में ही उसे हर साल 75,000 डॉलर मिलने लगे। इस तरह बहुत ही कम समय में उसे छह अंकों के वेतन वाली नौकरी मिल गई, जिसका स्वप्न हर युवा देखता है। उसे डेयरस्मिड ने अपनी हैबिट ट्रेकिंग से जल्दी ही यथार्थ में बदल दिया।
इसी तरह कुछ लोग हैबिट ट्रेकिंग के लिए कंचों, बॉल और हेयरपिन का प्रयोग भी करते हैं। एक सफल लेखिका जब भी अपनी पुस्तक का एक पेज लिखती तो वे एक कंटेनर से दूसरे कंटेनर में हेयर पिन डालती जाती थी। वहीं एक क्रिकेटर अपने नियमित अभ्यास के एक चरण को पूरा करने के बाद बॉल को खाली बर्तन में डाल देता था। इसी तरह एक व्यक्ति सिट अप्स का एक राउंड पूरा करने पर एक कंचे को खाली कंटेनर में डाल देता था। ऐसा करने से ये सभी व्यक्ति अपनी आदतों का नियमित पालन कर रहे थे। जिस दिन कोई व्यक्ति अपना कार्य नहीं कर पाता था, उस दिन कंचे, बॉल और हेयरपिन पहले डिब्बे में ही भरे रहते थे। उन पर नज़र जाते ही इन व्यक्तियों को यह अहसास होता था कि आज दैनिक जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा छूट गया है।
हैबिट ट्रेकिंग के ये फॉर्मूले अपनाकर हर व्यक्ति अपने अंदर अच्छी आदतों का विकास कर सकता है और आदतों को नियमित बनाए रख सकता है। हैबिट ट्रेकिंग बहुत मुश्किल काम नहीं है, आप इसको अपनी सुविधानुसार कैसे भी अंजाम दे सकते हैं, अगर कंचे, बॉल, हेयरपिन न जुटा पाएं तो कैलेंडर पर भी निशान लगा सकते हैं। या फिर अपने हाथों से आकर्षक तरह से हैबिट ट्रेकिंग का कैलंेडर बना सकते हैं। जब आप निर्धारित अवधि में अपना कार्य कर लें तो पेन से स्केच पेन से उस दिन व समय पर निशान लगा दें।
हैबिट ट्रेकिंग से व्यक्ति का न केवल शारीरिक व मानसिक विकास होता है, अपितु उसके अंदर आत्मविश्वास, नेतृत्व, एकाग्रता एवं कौशल का गुण भी विकसित होता है। जीवन में सफलता इन्हीं तत्वों के मिश्रण का परिणाम होती है।