गुड मॉर्निंग मैम। मैडम के कक्षा में प्रवेश करते ही सभी बच्चे खड़े होकर एक स्वर में बोले। अभिवादन स्वीकारते हुए मैडम ने बैठने का इशारा किया। बच्चो, आज राजनीति विज्ञान विषय में हम संसद पढ़ेंगे। शरारती चिंटू बोल पड़ा, तो क्या मिस आज हम कुर्सी तोड़ना सीखेंगे? अरे! नहीं बेटा, आज हम विधेयक पारित होने की प्रक्रिया को जानेंगे। संसद में कोई कानून तब ही कानून बन पाता है जब वह विधेयक के रूप में पारित होता है। पहले यह बताओ विधेयक के बारे में तुम क्या जानते हो? मैम, यह तो बहुत सिंपल-सा क्वेश्चन है, जो पलक झपकते ही झट से पारित हो जाये वो विधेयक होता है। अच्छा, कोई और जो इसका जवाब दे सके? जी! मैम, जो मैगी से भी जल्दी तैयार हो जाये वह कानून होता है। अब कोई और बोलना चाहता है? इस पर तीसरा विद्यार्थी बोला मैम, विधेयक उसे कहते है जो किसी की समझ में न आता हो। ऑनलाइन क्लास को लेकर व्हाट्सएप पर जो समूह बनाया गया था, उसकी उपयोगिता से अधिक उसके दुष्प्रभाव का अहसास अब मैडम को भी हो रहा था।
मैडम यह समझ गई कि बच्चों से कुछ पूछने के बजाय उन्हें समझाने में ही अधिक भलाई होगी। यही सोच विधेयक पारित होने के चरणों पर उन्होंने बोलना शुरू किया। बच्चो, विधेयक तीन चरणों में पारित होता है। यह सुनते ही पूरी क्लास हैरान हो गई। चिंटू फिर बोल पड़ा, मैम बिना किसी चरण के ही पास हो जाता है। यह सुन मैडम के धैर्य का बांध टूट गया और उन्होंने चिंटू को मुर्गा बनने की सजा दे दी। अब जैसे ही मैडम ने विधेयक में चर्चा की भूमिका समझाने की कोशिश की, कक्षा की शांति एक बार फिर भंग हो गई। कक्षा का सबसे सभ्य विद्यार्थी पिंटू बोल पड़ा, मिस ये चाय पर चर्चा सुना है, न्यूज डिबेट में चर्चा भी सुना है, लेकिन यह विधेयक पर चर्चा क्या होती है? मैडम, पुराना सिलेबस पढ़ा रही है… मुर्गा बना चिंटू फुसफुसाया। चिंटू की बजाय पिंटू की बात का जवाब देते हुए मैडम बोली—बेटा, संसदीय इतिहास में चर्चा का बहुत महत्व है। शरारत बढ़ते देख मैडम काे लगा, बच्चे समझने से रहे और कालखंड समाप्त हो गया। मुर्गा बने चिंटू की पीठ अकड़ गई। अगले दिन स्कूल में वह अपने पापा को लेकर आया। चिंटू के पापा विधायक निकले सो उनकी शिकायत पर प्रिंसिपल ने मैडम को गलत पढ़ाने के जुर्म में निलंबित कर दिया। कुछ समय बाद परीक्षा हुई, जिसमें चिंटू, विधेयक बिना चर्चा के पास होता है, यह लिख कर आया। जब रिजल्ट आया तो उसमें उसने टॉप किया था।