
राजशेखर चौबे
राजशेखर चौबे
कुश्ती में किसी को पटखनी दिए बिना आप कुश्ती चैंपियन नहीं बन सकते, परंतु कुश्ती संघ के अध्यक्ष बन सकते हैं। वैसे ही बिना बाल पकड़े या बल्ला थामे आप क्रिकेट संघ के सचिव बन सकते हैं। छुटभैये नेताओं का सपना होता है कि वे शून्य वोट पाकर भी चुनाव जीत जाएं, पता नहीं उनका सपना कब साकार होगा। कोरोना काल के दौरान कमजोर विद्यार्थियों ने चांदी काटी और वे बिना परीक्षा दिए या घर से ही परीक्षा देकर पास हो रहे थे। बाद में उन्होंने परीक्षा ही नहीं दी। प्रत्येक कमजोर विद्यार्थी का सपना होता है कि वह शून्य पाकर भी पास हो जाए। कमजोर का हमेशा साथ देना चाहिए और छत्तीसगढ़ सरकार भी कमजोर विद्यार्थियों के साथ है। उनके सुनहरे सपनों को साकार किया है छत्तीसगढ़ सरकार ने।
छत्तीसगढ़ में शून्य अंक पाने वाले विद्यार्थी भी अब इंजीनियर, सब इंजीनियर, एमबीए, एमसीए की डिग्री प्राप्त कर सकेंगे। पूरब-पश्चिम फिल्म में भारत कुमार का गाना था—‘जीरो दिया भारत ने’। इसे सुनकर हम फूलकर कुप्पा हो जाते हैं। क्या भारत ने विश्व को शून्य दिया इसीलिए हम शून्य पाने वाले ज्ञान शून्य विद्यार्थियों को यह शानदार तोहफा दे रहे हैं। पिछले वर्ष तक यह सीमा दस प्रतिशत थी यानी दस नंबरी भी इंजीनियर बन सकते थे। अब दो नंबरी ही नहीं जीरो नम्बरी भी इंजीनियर सब इंजीनियर बन सकेंगे। कॉलेज प्रबंधकों के कुशल प्रबंधन से ही ऐसा संभव हो सका है। हमारे समय में पासिंग मार्क्स 33 प्रतिशत था जो दस प्रतिशत से होकर शून्य पर आ गया है। अब मैं अपना फेवरेट गाना गुनगुनाता हूं— ‘हमसे का भूल हुई जो ये सजा हमका मिली’। छत्तीसगढ़ में नित नए रिकॉर्ड बन रहे हैं। लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष ने इस आयोग को गृह आयोग बना डाला और अपने सगे-संबंधियों की थोक में भर्ती कर डाली।
मेरा प्रिय गाना है— ‘ना उम्र की सीमा हो, ना जन्म का हो बंधन..., नई रीत चलाकर तुम नई रीत अमर कर दो’। लगता है हमारी लोकप्रिय राज्य सरकार का भी यही प्रिय गाना है इसीलिए उन्होंने प्रोफेशनल कोर्स में प्रवेश के लिए आयु सीमा समाप्त कर नई रीत चला दी है। पहले आयु सीमा 30 से 40 वर्ष हुआ करती थी। मेरे घर पर एक एग्जीक्यूटिव जैसा दिखने वाला स्मार्ट बंदा आया, उसके हाथ में ब्रीफकेस था। मुझे यह जानकर आश्चर्य हुआ कि वह प्लंबर है। मेरे घर का एक पाइप लीक हो रहा था। उसने आधे घंटे में अपना काम निपटा दिया और 500 रुपये मांगने लगा। मैंने कहा इतने रुपये तो इंजीनियर भी नहीं मांगता। उसने हंसकर जवाब दिया कि जब मैं भी इंजीनियर था तो मैं भी नहीं मांगता था। हो सकता है आगे चलकर अन्य कार्य करने वाले भी इसी तरह का जवाब देंगे।
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