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आधुनिकता की कोख से उपजा संत्रास

सोनम लववंशी जब भी समाज में रिश्तों को लेकर कोई बात सामने आती है, तो उसकी चर्चा ज्यादा होती है। ऐसा ही एक मामला इन दिनों सुर्ख़ियों में है, जो उत्तर प्रदेश की एक महिला अधिकारी से जुड़ा है। वैसे...

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सोनम लववंशी

जब भी समाज में रिश्तों को लेकर कोई बात सामने आती है, तो उसकी चर्चा ज्यादा होती है। ऐसा ही एक मामला इन दिनों सुर्ख़ियों में है, जो उत्तर प्रदेश की एक महिला अधिकारी से जुड़ा है। वैसे तो उनके चर्चित होने का कारण उनके और पति के बीच का नितांत घरेलू मामला है। लेकिन, अब इस महिला अधिकारी की बेवफाई सारे जमाने की खबर बन गई। इस मामले ने रिश्तों में संदेह की ऐसी गांठ लगा दी, कि वो कभी भी, किसी की भी जिंदगी में खटक सकती है। पति-पत्नी के बीच पेंच कुछ ऐसा फंसा कि इसके जरिए कई लोग अपनी जिंदगी के भविष्य को लेकर शंकित हो गये। जबकि, जरूरी नहीं कि सभी के साथ ऐसा ही कुछ हो, पर ऐसे कुछ अनुभव जीवन की सोच तो बदलते ही हैं।

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ये पति पत्नी और ‘वो’ के बीच का मामला है। यह ‘वो’ कहां से आया और किस स्थिति में आया, यही इस पूरे घटनाक्रम का केंद्र बिंदु है। इस महिला अधिकारी के पति का कहना है हमारी शादी के समय पत्नी ग्रेजुएट भी नहीं थी। मैंने उसे पढ़ाया, बढ़ाया और प्रोत्साहित किया कि वह अपनी योग्यता का सही उपयोग करे। आज स्थिति यह है कि पत्नी डिप्टी कलेक्टर बन गई और पति हाशिए पर चला गया। पति का कहना है कि उसने मेरे सारे त्याग, समर्पण और अहसानों को किनारे कर दिया और किसी और के साथ प्रेम की पींगें बढ़ाना शुरू कर दीं। स्थिति यहां तक आ गई कि पत्नी ने पति को तलाक देने का फैसला ले लिया। इसलिए कि पति एक सामान्य कर्मचारी है और वो डिप्टी कलेक्टर।

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इस घटना के बहाने कई उदाहरण सामने आने लगे। कहीं पत्नी ने पति को पढ़ाने और आगे बढ़ाने में मदद की, तो कहीं पति ने लेकिन किसी ओहदे पर पहुंचने के बाद उसने अपने जीवनसाथी को ही नकार दिया। सामान्यतः ऐसी घटनाएं पुरुष के बारे में सोची जाती हैं। लेकिन, जो घटनाएं सामने आ रही हैं, उनमें महिलाओं की संख्या भी कम नहीं है। ये वे महिलाएं हैं, जिन्होंने कुछ बनने के बाद अपने पतियों को नकार दिया। ख़ास बात ये कि इन लोगों के बच्चे भी हैं। दरअसल, ये समाज का ऐसा काला पन्ना है, जो अभी तक खुला नहीं था। लेकिन, उत्तर प्रदेश की इस घटना के बाद रिश्तों की इस किताब के पन्ने खुलकर बिखर गए। इसमें बहुत कुछ ऐसा दिखाई देने लगा, जो अभी तक लोक-लज्जा के कारण छुपा हुआ था! क्या यह आधुनिकता की कोख से निकली बुराई है या एक सामान्य बात जो पति और पत्नी के बीच असमानता से उपजी पीड़ा को दर्शाती है।

पति-पत्नी में यदि पत्नी का ओहदा पति से बड़ा हो, तो क्या स्थिति बनती है! समाज के सामने अब ये एक नया सवाल खड़ा हो गया। इस घटना का बड़ा असर ये हुआ कि पति-पत्नी के अटूट रिश्तों में संदेह का बीज पनपने लगा। कई ऐसे पति जो अपनी योग्य पत्नियों को आगे बढ़ाने के लिए पढ़ा रहे थे या उन्हें करिअर के लिए कोचिंग भेज रहे थे, उन्होंने हाथ खींच लिए। निश्चित रूप से उनका यह फैसला समाज के लिए नुकसानदेह होगा। यह किसी भी दृष्टि से सही नहीं है। लेकिन, यदि वास्तव में ऐसा किया जा रहा है, तो इससे समाज को होने वाले नुकसान की पूर्ति नहीं होगी। चंद घटनाओं की वजह से उन योग्य महिलाओं को आगे बढ़ने का मौका नहीं मिलेगा जिनका भविष्य उज्ज्वल होता।

कहा तो यह भी जा रहा है कि पटना में कोचिंग सेंटर चलाने वाले एक टीचर के यहां आने वाली 93 महिलाओं ने उत्तर प्रदेश के इस पति-पत्नी विवाद के बाद कोचिंग आना छोड़ दिया। ये महिलाएं राज्य की पब्लिक सर्विस कमीशन की परीक्षा तैयारी कर रही थीं। इस एक घटना के चलते इन सभी महिलाओं के पतियों ने उन्हें आगे पढ़ाने से मना कर दिया। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नियां अब किसी भी तरह की कोई परीक्षा नहीं देंगी। जिस प्रतियोगी परीक्षा की वे तैयारी कर रही थीं, अब वे उनमें भी शामिल नहीं होंगी! इस टीचर का कहना है कि उन्होंने कुछ पतियों को समझाने की कोशिश भी की, पर वे नहीं माने।

अमेठी में भी एक ऐसा ही मामला सामने आया जहां पति ने पत्नी को पढ़ाया-लिखाया। इसके बाद उसकी सैनिक स्कूल में सरकारी नर्स की नौकरी लग गई। सरकारी नौकरी मिलते ही पत्नी ने अपने पति से संबंध तोड़ लिए। पति ने पत्नी पर सैनिक स्कूल के ही एक टीचर के साथ अनैतिक संबंध रखने का भी आरोप लगाया। जबकि, मध्य प्रदेश के देवास जिले में सामने आए मामले में पीड़ित पति नहीं, बल्कि महिला है। इस महिला ने पति को पढ़ाने के लिए घरों में काम किया, बर्तन मांजे और पैसा जुटाया। जब पति कमर्शियल टैक्स ऑफिसर बन गया, तो उसने दूसरी महिला से शादी कर ली। समाज में ऐसी घटनाएं पहले से होती रही हैं, पर इन्हें सामाजिक संकोच के कारण सामने नहीं आने दिया जाता था। इस घटना ने ऐसी हवा दी कि सारी मर्यादा तार-तार हो गई और रिश्तों के बंधन बिखर गए।

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