जागरूकता का पर्याय
बिहार में मतदान करने में महिलाओं का प्रतिशत पुरुषों की तुलना में हमेशा बेहतर रहता है। यह स्पष्ट है कि महिला वोटर जिसे चाहें उसे सत्ता की चाबी सौंप सकती हैं। बिहार में कोई भी पार्टी इस आधी आबादी के सहयोग के बिना सत्ता हासिल नहीं कर सकती। यही वजह रही कि नीतीश कुमार शराबबंदी और पंचायत में महिलाओं के लिए आरक्षण को कामयाबी की राह मानते हैं। वहीं तेजस्वी यादव हर रैली में आशा बहनों, आंगनबाड़ी सहायिकाओं और अन्य महिला संगठन की कर्मचारियों की नौकरी पक्का करने का वादा करते रहे। कहा जाए तो सत्ता की चाबी इन्हीं महिला वोटर्स के हाथ में होती है।
नेहा जमाल, मोहाली, पंजाब
विसंगतियां भी
बिहार चुनाव में नीतीश व राजग सरकार को मिले बहुमत को महिलाओं की बदलावकारी भूमिका घोषित करना पूरी व्याख्या नहीं है। बेशक महिलाओं की मतदान में हिस्सेदारी पुरुषों से ज्यादा रही है। इस चुनाव में जहां केवल अति पिछड़ी जातियों की महिलाओं का ज्यादा मत प्रतिशत भाजपा के माध्यम से राजग को मिला, वहीं यादव, मुस्लिम एवं पिछड़ी जातियों की महिलाओं का मत प्रतिशत राजग के विरुद्ध महागठबंधन को मिला जो कि शराबबंदी व महिला सुधार नीतियों पर प्रश्नचिन्ह लगाती है। बिहार के वर्तमान चुनाव इसी बात की तरफ इशारा करते हैं कि जिस घर, जाति, समाज व वर्ग के पुरुष मतदाता जिस पार्टी को पसंद करते हैं उस वर्ग की ज्यादातर महिलाएं भी उसी नेता व पार्टी को मतदान करती हैं।
राजकुमार, राजौंद
नारी शक्ति का उदय
आज की महिलाएं समझदार तथा जागरूक हैं जो हर क्षेत्र में कन्धे से कन्धा मिलाकर पूरी जिम्मेदारी से काम कर रही हैं। लेकिन फिर भी पुरुष प्रधान समाज होने के कारण इनके ऊपर दबाव अक्सर बना रहता है। इसी सामाजिक बुराई ने नारी जाति को अपने हित सुरक्षित करने के लिए गहराई से मंथन करने पर विवश कर दिया। परिणामस्वरूप सरकारों को भी इन्हें संरक्षण, न्याय तथा सुरक्षा प्रदान करने के लिए अनेक सुधारात्मक कदम उठाने पड़े, जिससे नारी जागरूकता तथा बदलाव की भूमिका को और बल मिला। बिहार के चुनाव प्रत्यक्ष उदाहरण है।
एम.एल. शर्मा, कुरुक्षेत्र
सशक्तीकरण की आहट
बिहार में आये चुनावी नतीजे चौंकाने वाले रहे। सुशासन बाबू की अगुवाई में एनडीए फिर से सरकार बनाने में सफल रहा। महिलाओं की भागीदारी वोट डालने में पुरुषों से अधिक रही। विगत पन्द्रह वर्षों में आजीविका, महिला हित समूहों, और अपराधमुक्त समाज में महिलाओं के स्वाभिमान और आत्मविश्वास में आशातीत वृद्धि हुई है। शराबबन्दी को महिलाओं ने अपनी विजय का प्रतीक माना है। केन्द्र सरकार की सुकन्या समृद्धि, जनधन खाता, उज्ज्वला योजना तथा शौचालय निर्माण योजना ने उनकी स्थिति को शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनाया है। अब वे अपने फैसले स्वयं कर सकती हैं। यह महिला सशक्तीकरण की नई आहट है।
नरेन्द्र सिंह नीहार, नई दिल्ली
योजनाओं का लाभ
बिहार के विधानसभा चुनाव में महिलाओं की भागीदारी एवं मत प्रतिशत पुरुषों की अपेक्षा पांच प्रतिशत बढ़ा है। बिहार की नीतीश सरकार ने पंचायत के चुनाव में सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित की, छात्राओं को साइकिल उपलब्ध करवाई, शराबबंदी, केंद्र की मोदी सरकार द्वारा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की महिलाओं को कुकिंग गैस और अन्य योजनाएं लागू की गईं, जिनसे महिलाओं के सामाजिक आर्थिक और पारिवारिक जीवन में बदलाव आया। यही कारण रहा कि नीतीश कुमार पुनः सत्तासीन हो सके। अतः एनडीए की जीत के पीछे महिलाओं की भूमिका सराहनीय रही।
ललिता महालकरी, इंदौर, म.प्र.
बदलाव की पटकथा
बिहार में महिलाओं ने पुरुषों की अपेक्षा 5 प्रतिशत अधिक वोटिंग कर चुपचाप बदलाव की पटकथा लिख दी थी। यह अलग बात है कि नीतीश बहुत वर्षों पूर्व शिक्षार्थ लड़कियों को नि:शुल्क साइकिल देने की परम्परा से इसे पोषित कर चुके थे। नीतीश का शराबबंदी का फैसला महिलाओं ने सकारात्मक रूप से लिया। कहा जा सकता है कि नीतीश सरकार के कार्यकाल में महिलाओं के प्रति उनके उदार फैसले ने उसकी छवि को और निखारा है। यही कारण रहा कि महिलाओं ने भी समझदारी का परिचय देते हुए खुले मन से नीतीश को स्वीकारा। यही सोच महिलाओं की स्वतंत्र सोच का परिचायक है।
आचार्य रामतीर्थ, रेवाड़ी
पुरस्कृत पत्र
बदलावकारी सोच
घरेलू महिलाओं को लेकर आम धारणा थी कि इनके पास कोई राजनीतिक समझ नहीं होती, ये तो वहीं वोट देती हैं, जहां इनके घर के पुरुष वोट डालते हैं। नीतीश सरकार के कार्यकाल में लड़कियों को साइकिलें दीं, उच्च शिक्षा के लिए पचपन हजार रुपये की राशि एवं पंचायतों में पचास प्रतिशत आरक्षण भी दिया गया। वहीं पिछले कार्यकाल में बिहार में शराबबंदी का फैसला, जिससे घरों में सुख-चैन लौटा। अतः इन्हीं युवतियों और महिलाओं ने अपने हक़ का इस्तेमाल करते हुए नीतीश और एनडीए को प्रदेश की बागडोर संभालने का अवसर दिया। बिहार के चुनाव परिणाम महिलाओं के जागरूक होने का ही संकेत है।
मनजीत कौर ‘मीत’, गुरुग्राम