आलोक पुराणिक
उस सरकार के मंत्रीजी ने बताया-रिकवरी रेट 88 प्रतिशत हो गया है। आप चिंता न करें। मगर, मंत्रीजी के कहने से चिंताएं कम होनी होतीं तो फिर तो कोई चिंता किसी को होती ही नहीं। उन्होंने बताया था कि स्कूलों के बढ़िया इंतजाम हैं। अस्पतालों में बेहतरीन इंतजाम हैं। ला एंड आर्डर परफेक्ट है। सबको रोजगार है जी। फिर चिंता कर कौन रहा है, ये चिंता वाले नाकारा लोग हैं, जिनपे कुछ भी न है करने को, सो चिंता मचाये रहते हैं। ये काम धाम न करना चाहते, बताओ तो कितना काम, कितना रोजगार है। कहां है जी रोजगार-मंत्रीजी के बयान ना देखें, रोजगार ही रोजगार।
मंत्रीजी के बयानों में तो रिकवरी रेट 88 प्रतिशत हो गया है। रिकवरी रेट पर बहुत भरोसा कर ले आम आदमी तो मर लेगा। मंत्रीजी तो जमा हो जायेंगे किसी फाइव स्टार प्राइवेट अस्पताल में। आम आदमी अस्पताल की उन व्यवस्थाओं के हवाले हो लेगा, जो दरअसल हैं ही नहीं। मंत्रीजी के बयानों को ज्यादा दिल पे ना लेना चाहिए। अपने मरने-जीने की जिम्मेदारी आम आदमी को खुद ही संभालनी चाहिए। आम आदमी निकल ले ऊपर तो उसके परिवार की हालत 100 प्रतिशत खराब हो जाती है। मंत्रीजी फिर बतायेंगे जी रिकवरी रेट 88 प्रतिशत है, यानी सौ में से 88 लोग फिट होकर आ लिये। जो 12 निकल गये, उनके परिवार की तबाही का रेट 100 प्रतिशत है, यह बात मंत्रीजी न बताते। जरूरत न होती। रिकवरी पर ध्यान लगाना चाहिए, पॉजिटिव थिंकिंग होनी चाहिए। सिर्फ पॉजिटिव-पॉजिटिव बातें बतानी चाहिए। निगेटिव बातें जनता के हवाले छोड़ देनी चाहिए, वो उन्हें झेले और निपटे। आम आदमी की रिकवरी, और बड़े आदमी या नेताओं की रिकवरी में बहुत फर्क होता है जी।
एक बड़े फिल्म स्टार मुंबई के एक अस्पताल से रिकवर होकर आये हैं। बहुत जल्दी हो सकता है कि वह इस अस्पताल के ब्रांड एंबेसडर बन जायें या किसी और ब्रांड का च्यवनप्राश खाते हुए वह बतायें कि इस च्यवनप्राश को खाकर ही उन्होंने कोरोना को मात दी है। बड़ा आदमी जानता है कि वह झूठ बोल रहा है, फिर भी वह कमाता है।
आम आदमी के घर में कोरोना की खबर आये तो सदमा बैठ जाता है। आम आदमी कोरोना से रिकवर होकर आ जाये तो परेशानी यह रहती है कि अब धंधा कैसे रिकवर होगा। जिस जगह पर ठेला लगाते थे, वह जगह किसी और ने तो न कब्जा ली होगी। अगर कब्जा ली होगी, तो वह जगह कैसे रिकवर होगी। ठेले भर की जगह रिकवर हो जाये, तो मामला फिट हो जाता है। बड़ा आदमी संकट से 100 प्रतिशत नहीं 10000 प्रतिशत या ज्यादा की रिकवरी करता है। अस्पताल में भरती होने में एक लाख खर्च करके बाद में तमाम आइटमों में अपनी बीमारी का इस्तेमाल करके बीस-पचास करोड़ पीटता है।