जीतेंद्र चौधरी
आइये आज कुछ अलग तरह की बात करते हैं, लेकिन पहले आपको एक छोटी-सी कहानी सुनाना चाहता हूं। एक बार एक राजा ने सुंदर-सा महल बनाया और महल के मुख्य द्वार पर एक गणित का सूत्र लिखवाया और घोषणा की कि इस सूत्र से यह द्वार खुल जाएगा और जो भी सूत्र को हल करके द्वार खोलेगा, मैं उसे अपना उत्तराधिकारी घोषित कर दूंगा… राज्य के बड़े-बड़े गणितज्ञ आये और सूत्र देखकर लौट गए। किसी को कुछ समझ नहीं आया। आखिरी तारीख पर 3 लोग आये और कहने लगे कि हम इस सूत्र को हल कर देंगे। उसमें 2 तो दूसरे राज्य के बड़े गणितज्ञ अपने साथ बहुत से पुराने गणित के सूत्रों की किताबों सहित आये। लेकिन एक व्यक्ति जो साधक की तरह नजर आ रहा था, कुछ भी साथ नहीं लाया। उसने कहा कि मैं यहीं पास में ध्यान कर रहा हूं। उसने कहा—पहले इन्हें मौका दिया जाये। दोनों सूत्र हल नहीं कर पाये और उन्होंने हार मान ली। अंत में उस साधक को ध्यान से जगाया गया और कहा कि आप सूत्र हल करिये।
साधक ने आंखें खोली और सहज मुस्कान के साथ द्वार की ओर चला। उसने द्वार को धकेला और यह क्या… द्वार खुल गया। राजा ने साधक से पूछा कि आपने ऐसा क्या किया? साधक ने कहा जब मैं ध्यान में बैठा तो सबसे पहले अंतर्मन से आवाज आई कि पहले चेक कर ले कि सूत्र है भी या नहीं, इसके बाद इसे हल करने की सोचना और ध्यान के बाद जब बारी आयी तो मैंने वही किया। इसी तरह हम अपने जीवन में कल्पित समस्याओं की जटिलताओं से जूझते रहते हैं। जबकि हकीकत में ये सिर्फ हमारी महज आशंकाएं ही होती हैं। यह उदाहरण हमें जीवन में सकारात्मक राह दिखाता है। ऐसे ही कई बार जिंदगी में समस्या होती ही नहीं और हम विचारों में उसे इतनी बड़ी बना लेते हैं कि वह समस्या कभी हल न होने वाली है लेकिन हर समस्या का उचित इलाज आत्मा की आवाज है। साथियों आज ज्ञान यहीं तक था, किसी भी समस्या को इतना बड़ा मत बनाइए कि वो आप पर हावी हो जाए, अपने दिल की बात सुनिए, ऐसी कोई समस्या ही नहीं, जिसका कोई समाधान न हो।
साभार : जीतू डॉट इनफो/मेरा पन्ना