देश के कई हिस्सों से ऑक्सीजन, दवाई, अस्पतालों में बेड खत्म होने की खबर आ रही है। यह सब तो बाद में खत्म हुए, इनके खत्म होने से पहले ही जिम्मेदारी, जवाबदेही और शर्म पूरी तरह से खत्म हो चुकी थी। टीके की कमी के बीच टीका उत्सव आयोजित करने वालों के मन में ऑक्सीजन की कमी के चलते ऑक्सीजन महोत्सव आयोजित करवाने का ख्याल जरूर आ रहा होगा। इस पर कोई निर्णय हो, इससे पहले ही नेता बयानों के अखाड़े में दांव खेलते नजर आ रहे हैं। हाल ही में एक माननीय ने ऑक्सीजन के कम उपयोग की बात कही है। देश में जब प्याज सौ रुपये किलो होता है तो मध्य वर्गीय स्वप्रेरणा से ही फिजिकल डिस्टेंसिंग मेंटेन कर लेता है। ऑक्सीजन कोई प्याज, पेट्रोल या खाद्य तेल तो है नहीं कि पहुंच से बाहर हुआ तो त्याग कर दें। इस बात को वे नहीं समझ सकते क्योंकि यहां कोविड गाइड लाइन में मूर्खतापूर्ण बयानों पर रोक का कोई नियम नहीं है।
स्वास्थ्य सेवाओं के अभाव में टूटती सांसें और बिलखते परिजनों के बीच नेताओं के चेहरों पर इस विकट आपदा में गजब का आत्मविश्वास झलक रहा है। खबर ऑक्सीजन की कमी से मरने की आ रही है और बयान ऑक्सीजन की पर्याप्त मात्रा में उपलब्धता के दिए जा रहे हैं। इतना ही नहीं, वे तो कैमरे के सामने इंजेक्शन की कमी से भी इनकार कर रहे हैं। जनता भी तो इनसे वही पता जानना चाहती है जहां यह उपलब्ध है।
कोरोना संक्रमण का आंकड़ा तीन लाख के शिखर को कब का पार कर गया, मगर ट्वीट लाखों लोगों के रैली में आने के आ रहे हैं। आम लोगों के काम-धंधे बंद करवा कर उन्हें घरों में बैठाने वाला कोरोना नेताओं की दुकानें बंद करवाने में विफल साबित हुआ है। रैली कर रहे नेता कोरोना से अधिक कर्तव्य प्रेमी निकले, इस बात से कोरोना शर्म महसूस कर रहा होगा।
विशाल रैली से लौट रहे आम आदमी को रास्ते में शर्म मिली। नेताओं द्वारा तिरस्कृत शर्म को यहां पूछने वाला कोई नहीं था। शर्म खुद से नजरें नहीं मिला पा रही थी, भीड़ में छुपने की कोशिश में लगी थी। जिम्मेदारी और जवाबदेही पहले ही अपने मुंह पर कालिख पोत कर आत्मनिर्भर बन चुकी थी। आत्मनिर्भर बनो का अर्थ ही खुद का ऑक्सीजन सिलेंडर खरीदने से था।
देश में सब ठीक है, अफवाहों पर ध्यान देने की जरूरत नहीं है, के संदेश चलाये जा रहे हैं। स्वास्थ्य सुविधाओं के अभाव में मरते लोग अफवाह है और रैली में शामिल भीड़ सब ठीक होने की गवाह। दुनिया को वैक्सीन भेजने वाला भारत अपने ही लोगों को नहीं बचा पा रहा। दुनिया इन खबरों को सुनेगी तो भारत के प्रति उनका सम्मान कितना बढ़ जाएगा न। यहां तो रैली से नजर नहीं हटती, श्मशान में जलती चिताओं को हम क्या देखें।