अरुण नैथानी
चीन में चोटी के अमीर लोगों में शुमार अलीबाबा कंपनी के अरबपति संस्थापक जैक मा की सार्वजनिक मंचों से गुमशुदगी पूरी दुनिया में सुर्खियों में है। पूरी दुनिया के सोशल मीडिया ट्विटर आदि में ये खबरें ट्रेंड कर रही हैं, लेकिन चीन के लोगों में शायद इसकी चर्चा कम हो। दरअसल, वहां सोशल साइट्स पर पहरा है और सूचना स्रोतों पर नियंत्रण। चार सौ अरब डॉलर की कंपनी अलीबाबा के संस्थापक जैक मा की जीरो से शिखर तक की कामयाबी पूरी दुनिया के युवा उद्यमियों को प्रेरित करती है। कभी केएफसी के 24 आवेदकों में 23 का चयन और जैक मा को ना कहा गया था। हॉवर्ड विश्वविद्यालय में अध्ययन के लिये दस बार उनके आवेदन को नकारा गया था लेकिन आज वे एशिया के धनी लोगों में शुमार हैं।
बहरहाल, अक्तूबर के बाद के महीनों में जैक मा की सार्वजनिक अनुपस्थिति कौतूहल का विषय बनी हुई है। लगता है गाहे-बगाहे चीन के जटिल तंत्र पर स्वतंत्र रूप से टिप्पणी करने वाले जैक मा साम्यवादी नायकों की आंखों में खटकने लगे हैं।
जानकार बताते हैं कि कम्युनिस्ट व्यवस्था वाले चीन का यह चोटी का कारोबारी आखिरी बार एक कारोबारी फोरम में अक्तूबर में नजर आया था। वहीं अपने संबोधन में वित्तीय अनुशासन कायम करने वाले चीनी नियामकों पर उन्होंने सवालिया निशान लगाये थे। अनुमान है कि कालांतर उन्हें चीनी सत्ताधीशों का कोपभाजन बनना पड़ा। बताया जाता है कि प्रतिक्रिया स्वरूप उनके एंट ग्रुप फिनटेक आर्म के 37 अरब डॉलर के आईपीओ निलंबित किए गये हैं। दरअसल, चीनी वित्तीय तंत्र पर गाहे-बगाहे बेबाक टिप्पणी करने वाले जैक मा पर अब चीनी नियामकों की तिर्यक दृष्टि पड़ चुकी है। अलीबाबा कंपनी की विश्वसनीयता की जांच की जा रही है। इतना ही नहीं, उनकी कंपनी को कर्ज देने के प्रमुख कारोबार ऑनलाइन पेमेंट विभाग से अलग करने के आदेश भी मिले हैं। इस तरह शिंकजा कसने का नतीजा यह रहा कि बीते वर्ष में आखिर के कुछ महीने जैक के लिये कारोबारी झटका साबित हुए। करीब अस्सी हजार करोड़ रुपये से अधिक का उन्हें नुकसान हुआ। यह सब ऐसे समय पर हुआ जब वे 61.7 अरब डॉलर की दौलत के साथ चीन के सबसे अमीर बनने के करीब थे। दरअसल, असली संकट तब शुरू हुआ जब जैक मा की सबसे बड़ी डील में से एक ग्रुपो होर्मिगा के 34.4 अरब डॉलर के आईपीओ को चीनी वित्तीय नियामकों ने आखिरी वक्त पर झटका दे दिया। जिसे मा के पर कतरने की कोशिश के रूप में देखा जा रहा है। वे लगातार चीनी सरकारी बैंकों की कार्यप्रणाली की आलोचना करते रहे हैं। उनकी बेबाक बयानी, निरंतर बढ़ता साम्राज्य, प्रतिष्ठा और प्रगति चीनी सत्ताधीशों को एक चुनौती के रूप में नजर आने लगी थी।
दरअसल, जैक मा को किसी तिलिस्मी सुरंग में खुल जा सिम-सिम कह कर खजाना नहीं मिला। ये अथाह दौलत उनके पुरुषार्थ, नये विचारों को समय से पहले पकड़ने और उदार कारोबारी सिद्धांतों की देन है। इस मुकाम को हासिल करने के लिये उन्होंने कड़ी मेहनत की। एशिया के सबसे अमीर लोगों में शुमार जैक मा साम्यवादी चीनी व्यवस्था में एक विरोधाभासी प्रतीक के रूप में नजर आते हैं। वर्ष 2017 में उनकी संपत्ति भारतीय रक्षा बजट से दो हजार रुपये अधिक थी। लेकिन उनका संघर्ष एक आम आदमी के जैसा ही रहा। कई कंपनियों व विश्वविद्यालयों से निराश होकर उन्होंने अपना कारोबार शुरू किया। एक बात उनके दिमाग में थी कि अंग्रेजी सीखने से पूरी दुनिया में तरक्की के रास्ते खुल जाते हैं। वे विदेशी पर्यटकों के साथ गाइड बनकर जाते और बदले में उनसे अंग्रेजी सीखते। एक विदेशी पर्यटक ने उन्हें जैक नाम दिया।
चीन के शिंजियांग प्रांत के हंग्जो में चीनी डांस परफॉर्मर दंपति के घर 1964 में जन्मे जैक का नाम मा यून था। दुबली-पतली काया के धनी जैक स्कूली जीवन में एक सामान्य छात्र थे। उन्होंने अपना लक्ष्य फर्राटेदार अंग्रेजी बोलने में लगाया। फिर उन्होंने अंग्रेजी में स्नातक किया और एक अंग्रेजी सिखाने और अनुवाद का केंद्र खोलकर अंग्रेजी से चीनी और चीनी से अंग्रेजी अनुवाद का काम शुरू किया। यही वजह है कि कालांतर वे विश्व के राजनेताओं से बेहतर संवाद कर पाये। अमेरिकी प्रवास के दौरान उन्होंने इंटरनेट के तिलिस्म को महसूस किया और इसके जरिये ऑनलाइन कारोबार को शुरू किया। उन्होंने एक विश्वविद्यालय में अंग्रेजी पढ़ाई भी।
वर्ष 1999 में जैक ने अपने अपार्टमेंट के 17 दोस्तों के साथ मिलकर ई-कॉमर्स वेबसाइट अली बाबा आरंभ की। अलीबाबा नाम इसलिये रखा कि दुनिया में तमाम लोग इस नाम से परिचित थे। फिर से पेेमेंट वेबसाइट को जोड़ा गया। इसकी अली पे सर्विस से 80 करोड़ से अधिक यूजर जुड़े। अलीबाबा की कंपनी से दुनियाभर के लोग कारोबार कर सकते हैं। उनके अभिनव प्रयोगों की कड़ी में चीन में मनाये जाने वाले ‘सिंग्लस डे’ पर कंपनी बड़ी भारी छूट देती है। वर्ष 2017 में कंपनी ने इस दिन 27 अरब डॉलर का कारोबार किया। उनकी सोच है कि सबसे अच्छे बिजनेस का प्लान यह है कि कोई प्लान न हो। अब वे समाज सेवा में योगदान करने व एक शिक्षक की भूमिका निभाना चाहते हैं। वे मार्शल आर्ट के भी बड़े शौकीन हैं।