सहीराम
खबर यह है कि जनाब पाकिस्तान कंगाल हो गया है। इससे बड़ी खुशी हमारे लिए भला और क्या हो सकती है। इसी खुशी में खबरिया चैनल गद्गद हैं, लहालोट हैं। रही जनता, तो किसान अपनी चिंता में सड़कों पर हैं, युवा रोजगार की चिंता में तड़प रहे हैं और छात्रों को साल बचाने की चिंता सताए जा रही है। ऐसी कंगाली में खुशी का माहौल बनाने की जिम्मेदारी बेचारे खबरिया चैनलों पर ही आन पड़ी है। पाकिस्तान की कंगाली के बहाने टीआरपी की चोरी का गम भी गलत किया जा रहा होगा। पाकिस्तान न होता तो हमारे यहां खुशी का सचमुच अकाल ही रहता।
पड़ोसी की परेशानी हमारे यहां हमेशा ही खुशी का सबब रही है। अपनी एक आंख फूटने का गम तब खुशी में बदल जाता है, जब पड़ोसी की दोनों फूटने की खबर मिलती है। पाकिस्तान के कंगाल होने की खबर ऐसी ही खुशी दे रही है। पहले कंगाली में आटा गीला होता था, पर पाकिस्तान में आटा महंगा हो गया है। इसका मतलब यही निकलता है कि वह कंगाल हो गया है। हालांकि महंगाई हमेशा कंगाली की ही सूचक नहीं होती। हमारे नेताओं की मानें तो वह कई बार विकास का सूचक भी होती है।
खैर, आटा महंगा होने से पाकिस्तान के कंगाल होने को देखते हुए कंगाली में आटा गीला होने के मुहावरे को बदलकर कंगाली में आटा महंगा कर देना चाहिए। बताया जा रहा है कि आटा वहां सत्तर-अस्सी रुपये किलो भी नहीं मिल रहा। हमारे यहां तो अभी संभावना ही बन रही है कि आवश्यक वस्तु कानून खत्म होने से पुराने जमाने वाली अनाज की जखीरेबाजी बढ़ जाएगी और राशन महंगा हो जाएगा, जब हमारे यहां भी अक्सर कंगाली नजर आ जाती थी। इस माने में पाकिस्तान हमसे आगे है। हमारे यहां जो कंगाली अभी संभाव्य है, वहां वह हकीकत बन चुकी है। युद्धकाल और मंदी के दौर ऐसे ही होते हैं, जब राशन महंगा हो जाता है और राशन के लिए लाइनें लगने लगती हैं। अब दुनिया ने इतनी तरक्की कर ली है कि राशन के लिए उस तरह से लाइनें नहीं लगतीं, जैसी कभी राशन के लिए लगा करती थी।
वैसे हमारे यहां भी सब्जी महंगी हो गयी है, राशन भी महंगा हो रहा है। लेकिन हम अभी कंगाल नहीं हुए हैं। हालांकि जीडीपी माइनस चौबीस पर पहुंच गयी है और बेरोजगारी पिछले पचास साल की सबसे ऊंची दर पर पहुंच चुकी है। लेकिन हमें धन्यवाद करना चाहिए पड़ोसियों का। अगर चीन सीमा पर घुसपैठ नहीं करता तो महंगाई का यह गम कैसे कम होता। अगर पाकिस्तान आटा महंगा होने से कंगाल नहीं होता तो महंगाई का हमारा यह गम कैसे कम होता। तो जनाब पड़ोसियों को धन्यवाद दो और महंगे टमाटर, महंगे आलू, महंगी सब्जी और दूसरी तमाम चीजों की महंगाई का गम पड़ोसियों की बर्बादी के धुएं में उड़ा दो।