कुमार विनोद
शुक्र है कि टीके की सूई, मोटी और पतली चमड़ी में भेद नहीं करती। यदि करती भी होती तो कम से कम मोटी चमड़ी वालों पर तो इस बात का (भी), रत्ती भर भी असर नहीं होना था। आखिर मोटी चमड़ी जो ठहरी! वैसे आमतौर पर माना तो यही जाता है कि नेताओं की चमड़ी बहुत मोटी होती है। औरों की तो छोड़िए, नेता खुद ही इस बात की तसदीक करते हैं, मज़ाक में ही सही। कड़वे से कड़वे सच को भी हंसी मज़ाक का जामा पहनाकर पेश करने का हुनर तो कोई इन नेताओं से सीखे!
राजनीति के पंडितों की मानें तो ‘जितना बड़ा नेता, उतनी ही मोटी चमड़ी।’ गणितीय भाषा में आप, नेताओं के बड़ा होने और उनकी चमड़ी के मोटा होने को ‘समानुपाती’ भी कह सकते हैं। लेकिन इसका यह अर्थ कदापि न लिया जाए कि बड़ा नेता बनने की राह पर अग्रसर, लेकिन फिलहाल छोटे नेताओं की चमड़ी मोटी नहीं हो सकती। वैसे मोटी चमड़ी पर सिर्फ नेताओं का ही अधिकार हो, ऐसा किस किताब में लिखा हुआ है जी! दुनिया जहान की किसी और चीज़ पर हो या न हो, लेकिन मोटी चमड़ी पर तो हर किसी का बराबर का हक है। कम से कम इस मामले में तो कोई भेदभाव नहीं। राइट टू इक्वेलिटी।
यह बात दीगर है कि मोटी चमड़ी भी हर किसी को मयस्सर नहीं होती। न जाने कौन-कौन से और कितने ही पापड़ बेलने पड़ते हैं इसकी खातिर। तब कहीं जाकर हासिल होती है ये तथाकथित मोटी चमड़ी। और उस पर भी खास बात ये कि बाहर से देखकर आप ज़रा भी अंदाज़ा नहीं लगा सकते कि पतली-सी, या यूं कहिए कि सामान्य-सी दिखाई देने वाली ये चमड़ी वास्तव में अंदर से है कितनी मोटी!
कोरोना के टीके की सूई सचमुच ही मोटी चमड़ी और पतली चमड़ी में ज़रा भी भेद नहीं करती। अगर करती होती तो यकीन मानिए, बड़ी मुसीबत हो जाती। पहली बात तो यह पता लगाना ही मुश्किल हो जाता कि कोई भी चमड़ी वास्तव में ही मोटी है क्या? और अगर है भी, तो इसकी मोटाई आखिर है कितनी? क्योंकि टीके की सूई का चुनाव भी तो चमड़ी की मोटाई के हिसाब से ही करना पड़ता। और फिर नेताओं में इस बात को लेकर मुक़ाबला भी हो सकता था कि भला उसकी चमड़ी मेरी चमड़ी से मोटी कैसे?
यदि चमड़ी की मोटाई पता लगाने की कोई कारगर विधि या फिर गणितीय सूत्र ही ईजाद हो जाता तो विभिन्न राजनीतिक दलों में बांटे जाने वाले टिकटों के लिए रखी गई अनिवार्य शर्तों में इस बात का भी स्पष्ट उल्लेख होता कि इतने यूनिट से कम चमड़ी की मोटाई वाले उम्मीदवार आवेदन करके कृपया अपना और हाईकमान का समय और ऊर्जा खराब मत करें।