सहीराम
कुछ लोग इसे मियां की जूती, मियां के सिर यूं ही नहीं कह रहे हैं। अगर और किसी का नहीं तो लातिनी अमेरिका वालों काे तो यह कहने का हक जरूर ही बनता है, जिनकी हमेशा यह शिकायत रहती है कि अमेरिका जब चाहे उनके यहां तख्ता पलट करा देता है। जरा-सा कोई वामपंथी नजर आया नहीं कि उसकी कुर्सी गयी। अमेरिका का दावा यह रहता है कि लातिनी अमेरिका तो हमारे पिछवाड़े का आंगन है, हम जब चाहें खोद दें। लेकिन अबकी बार ट्रंप साहब ने खुद अमेरिकी लोकतंत्र का आंगन ही खोद डाला। ट्रंप साहब ने अमेरिकी लोकतंत्र पर अपने भक्तों को जूते की तरह ही देकर मारा है।
अमेरिका दुनिया वालों के सिर पर अपनी नीतियां, अपने फैसले, अपनी फौजें और कई बार तो अपने लाडलों की सरकारें भी दे मारता है। उस देश में चाहे वह शासक तानाशाह ही कहलाता हो, लेकिन अमेरिका का प्रिय है तो तानाशाही को भी लोकतंत्र मानने में अमेरिका को कोई हिचक नहीं होती। अमेरिका के आशीर्वाद से दुनिया में तानाशाही खूब फलीफूली है। अमेरिका के पास ऐसी जादू की छड़ी है कि वह तानाशाही को लोकतंत्र और लोकतंत्र को तानाशाही की तरह पेश कर सकता है।
अमेरिका को दुनिया का दारोगा यूं ही तो नहीं कहा जाता। जैसे बिना डंडे के दारोगा नहीं सजता, वैसे ही बिना सैन्य शक्ति के, बिना अपनी तोप-तमंचों के अमेरिका नहीं सजता। दुनिया भर में उसके सैनिक अड्डे थानों की तरह ही काम करते हैं। फिर उसके पास आर्थिक शक्ति का डंडा भी होता है। वह किसी का भी व्यापार बंद कर देता है। वह किसी के खिलाफ भी आर्थिक पाबंदी लगा देता है, आर्थिक नाकेबंदी कर देता है। उसके पास बहुराष्ट्रीय कंपनियां होती हैं। अंतर्राष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों पर उसका नियंत्रण होता है। वह दुनिया में कहीं भी अपना डंडा लेकर पहुंच जाता है, यह दावा करते हुए कि मैं यहां लोकतंत्र स्थापित करने आया हूं।
अमेरिका तो इतना सीधा है कि कहीं भी उसे तेल दिखाई दे गया, कोई और महंगा खनिज दिखाई दे गया तो वह घोषणा कर देता है कि वहां लोकतंत्र खतरे में है और वह उसकी रक्षा करने पहुंच जाता है। जो लुक्खे देश होते हैं, वो इसलिए सुखी रहते हैं कि कम से कम अमेरिकी डंडे से तो बचे हैं। न तेल या दूसरे खनिज होंगे और न अमेरिका आएगा। अब उसी अंदाज में ट्रंप साहब के भक्त अमेरिकी संसद में पहुंच गए। बोले-हम यहां लोकतंत्र स्थापित करने आए हैं।
यह टिपिकल अमेरिकी अंदाज ही था। फिर भी पता नहीं अमेरिकी क्यों कांप गए। जब अमेरिका दूसरे देशों में ऐसे ही घुसता है तो वहां की जनता भी ऐसे ही कांप-कांप कर रह जाती होगी। खैर, अच्छी बात यह है कि दुनिया वालों को पता चल गया कि भक्त क्या चीज होते हैं।