प्रदीप कुमार दीक्षित
विश्व भर के वैज्ञानिकों ने हाड़-तोड़ मेहनत करके आखिर कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए टीका ढूंढ़ ही लिया। उन्होंने ‘जहां चाह है वहां राह है’ के मार्ग पर चल कर सफलता पाई। उधर कुछ महानुभावों की निंदा करने की प्रवृत्तियां ही लोगों के विश्वास को ठेस पहुंचा रही है।
निंदा में रस लेने की प्रवृत्ति ने मानव जीवन को नर्क बना दिया है। हालत यह है कि चार लोगों में से अनुपस्थित की बाकी तीन जम कर निंदा में लीन हो जाते हैं। यह सिलसिला चलता रहता है। वैसे तो इस प्रवृत्ति के लिए महिलाएं बदनाम हैं लेकिन इसमें पुरुष भी योगदान में पीछे नहीं हैं। इस प्रवृत्ति के दुष्परिणाम आसमान में तारों की तरह बिखरे दिखाई देते हैं। इसी तरह ईर्ष्या भी कमाल बतलाती है। किसी को भी किसी से भी वजह-बेवजह ईर्ष्या हो सकती है। ऐसे लोगों को भी जिनको आप जानते ही नहीं हैं, वे आपसे ईर्ष्या-द्वेष रख रखते हैं। इस प्रवृत्ति के चलते अपने आसपास के लोग घोर ईर्ष्या के स्वाभाविक पात्र होते हैं। किसी को किसी से भी किसी भी बात और मुद्दे पर ईर्ष्या हो सकती है। कद छोटा-बड़ा होना, सिर के बाल छोटे-बड़े या सादे-घुंघराले होना जैसे मामूली मामले इनमें शामिल हैं। संवेदनशील मामलों में किसी का पति तो किसी की पत्नी, किसी का बेटा तो किसी की बेटी ईर्ष्या का मुद्दा होता है।
सोतिया डाह तो विख्यात है ही। द्वेष भी किसी को मानसिक रूप से स्थिर नहीं रहने देता है। खास करके पड़ोसी से तो वैमनस्यता हो ही जाती है। कोई भी किसी भी बात-बेबात पर नफरत कर सकता है। छोटे-बड़े, खरे-खोटे, अड़ोसी-पड़ोसी, जाति-धर्म आदि से नफरत हो सकती है। कोई किसी से इसलिए नफरत करता है कि वह ऊंची जात का है तो कोई छोटी जात का होने पर ऊंची जात से नफरत करता है। धर्म का भी ऐसा ही मामला है।
दुष्टता, कपट और धूर्तता की प्रवृत्तियां भी धमाल मचाए रखती हैं। जबान का फिसलना भी मनुष्य को बहुत कष्ट में डालता है। ‘अंधे के अंधे होते हैं’ वाक्य ने तो महाभारत ही करवा दिया था। नेता कुछ भी अनर्गल बोल जाते हैं और फिर कहते हैं कि मैंने तो ऐसा नहीं कहा था या मेरे यह कहने का आशय नहीं था। ऐसे ही कई लोग जबान से ऊटपटांग शब्दों के तीर निकलने के बाद शर्मिंदा होते हैं।
निंदा रस की प्रवृत्तियों पर अंकुश के लिए वैज्ञानिकों को युद्धस्तर पर काम करके टीका विकसित करना चाहिए। इससे अमन कायम रहेगा। पड़ोसी देश युद्ध में नहीं उलझेंगे। लोग सुख-शांति के साथ रह सकेंगे।