वर्ष 2020 को सदियों तक याद किया जाता रहेगा। इस साल ने कोरोना महामारी से संपूर्ण विश्व की अर्थव्यवस्था को चरमरा दिया है। कई लोग कोरोना की गिरफ्त में आकर जान से हाथ धो बैठे हैं तो अनगिनत ऐसे भी हैं जो संक्रमण से ठीक होकर शारीरिक व मानसिक रूप से टूट चुके हैं। वहीं वे लोग जो अभी तक कोरोना का शिकार बनने से बचे रहे हैं, उन्हें भी इस महामारी ने शारीरिक एवं मानसिक रूप से तोड़ कर रख दिया है।
इन दिनों लोगों को पहले से कहीं ज्यादा थकान महसूस हो रही है। लोगों के दिमाग में तनाव ने घर कर लिया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन का कहना है कि लाखों-करोड़ों लोग कोरोना महामारी के कारण ‘2020 बर्नआउट’ से जूझ रहे हैं। कोरोना ने लोगों के निजी एवं सार्वजनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। लोगों की आम जिंदगी अब पहले जैसी नहीं रह गई है। जहां पहले काम व तनाव की बोझिलता को लोग किसी रेस्टोरेंट में खाना खाकर, सिनेमाहाॅल में आई फिल्म को देखकर या दोस्तों के साथ महफिल जमाकर दूर कर लिया करते थे वहां अब इन सब पर गाज गिर गई है।
विश्व के अनेक देशों में लाॅकडाउन खुलने पर भी चीजें पहले जैसी नहीं रही हैं। रह भी नहीं सकतीं क्योंकि कोरोना के कारण अनेक कम्पनियां बंद हो गई हैं। लोगों के रोजगार छिन गए हैं। ऐसे में जब अपने व परिवार के पालन पोषण की चिंता हो तो फिर महफिल या स्वादिष्ट भोजन कहां भाता है? क्या जीवन फिर पहले जैसा हो पाएगा? सबके मुंह पर यही एक सवाल है? परिवर्तन जीवन का नियम है। जिस तरह सिक्के के दो पहलू होते हैं, उसी तरह सुख-दुख जीवन के दो पहलू हैं। फिर भी मानव स्वभाव ऐसा है कि वह तनाव व परेशानी के आगे हथियार डाल देता है। तनाव में स्ट्रेस हार्मोन काॅर्टिसोल सिर उठाने लगता है और व्यक्ति को पंगु बना देता है।
जीवन अत्यंत महत्वपूर्ण है। इसे तनाव भरे हार्मोनों के साथ गुजारने के बजाय खुशी के साथ बिताना चाहिए। तनाव भरे पल और समय आएंगे लेकिन अगर व्यक्ति हिम्मत और हौसले के साथ उनका सामना करेंगे तो फिर उनके मस्तिष्क में एंडोर्फिन का उत्पादन होगा जो उन्हें अच्छा महसूस कराएगा और तनाव को भी कम करने में सहायक होगा। जीवित रहने से बड़ी कोई चीज नहीं होती। ऐसे समय में भी हम जीवित हैं, क्या ये कम बड़ी बात है। जीवन के महत्व को बारीकी और गंभीरता से वही समझ पाता है जो मौत को करीब से देख लेता है।
एक बार एक व्यक्ति एरिजोना इलाके से गुजर रहा था। उसी समय अचानक तेज आंधी और वर्षा होने लगी। व्यक्ति की कार में तेल खत्म हो गया। वह एक पेट्रोल पंप पर तेल भरवाने के लिए रुका। भारी बारिश के बीच वह गाड़ी में बैठा रहा। जब उसकी गाड़ी में तेल भर गया तो वह कर्मचारी से बोला, ‘मुझे माफ करना। मैंने तुम्हें इतनी बारिश में कष्ट दिया।’ यह सुनकर कर्मचारी मुस्करा कर बोला, ‘कोई बात नहीं सर। आपको माफी मांगने की कोई जरूरत नहीं है। मुझे इस काम में बिल्कुल भी तकलीफ नहीं हुई।’ गाड़ी का मालिक गाड़ी में से ही बोला,‘अरे भारी तूफान और बारिश है और तुम कहते हो कि तेल भरते हुए जरा भी परेशानी नहीं हुई। जहां इस समय ऐसे मौसम में हर कोई घर में दुबक कर बैठा है वहां मैंने तुम्हें तकलीफ दी।’ तेल कर्मचारी मुस्करा कर बोला, ‘जी सर, यह तो मेरा काम है। वैसे भी मैंने हर हाल में खुश रहना सीख लिया है।’ गाड़ी का मालिक बोला, ‘क्या कोई व्यक्ति हर हाल में खुश रह सकता है?’ कर्मचारी बोला, ‘बिल्कुल! यदि कोई व्यक्ति मौत को अपने करीब से देख ले तो वह हर हाल में खुश रह सकता है। वियतनाम युद्ध के दौरान शत्रुओं की घेराबंदी में जब पल-पल मौत मेरी ओर बढ़ रही थी, मैंने उसी समय निश्चय कर लिया था कि यदि मैं जीवित बच गया तो अपने जीवन के हर पल को जिंदादिली और खुशी से जिऊंगा। इसके बाद मैंने जीवन के हर पल को नेकी, ईमानदारी और जिंदादिली से जीना शुरू कर दिया।’ गाड़ी का मालिक गाड़ी से बाहर निकला और तेज बारिश में उस कर्मचारी को गले लगाकर बोला, ‘आज तुमने मुझे जीवन को अच्छी तरह से जीने की एक बहुत बड़ी सीख दी है।’
हाल ही में द यूनिवर्सिटी आॅफ वरमाॅन्ट मेडिकल सेंटर के अध्ययन के अनुसार सेंस से जुड़ी पांच चीजें व्यक्तियों के अंदर खुशी, आशा, सुकून एवं अच्छी नींद में वृद्धि कर सकती हैं। ये पांच चीजें हैं :-
0 अपने आसपास की पांच चीजों घास, आसमान, पशु-पक्षी, पेड़, घर में रखा सामान या तालाब को देखना।
0 दिन में तीन तरह की ध्वनियों शंख, पक्षियों की चहचहाहट या फिर संगीत को सुनना।
0 तीन या चार वस्तुओं को स्पर्श कर उनको महसूस करें।
0 दिन में एक बार दो ऐसी सुगंध महसूस करना जिन पर हम बिल्कुल ध्यान नहीं देते।
0 कुछ भी खाते समय एक बार उसके स्वाद को महसूस करना। ऐसा करने से डोपामिन बढ़ेगा और एंडोफ्रिन का स्राव मस्तिष्क में तेजी से होगा। डोपामिन और एंडोफ्रिन तन मन को स्वस्थ रखता है और शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।