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प्रेरणादायी मधुमक्खियां

ब्लॉग चर्चा

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अलकनंदा सिंह

संसार के हर जीव का अपना संसार होता है। हर प्राणी से कुछ न कुछ सीखने को मिलता है। सीखने से पहले जरूरी होता है इनके जीवनवृत्त को समझना। सदियों से इनसान अपने अलावा अन्य जीवों के जीवन चक्र का अध्ययन करता रहा है। अध्ययनों के बाद उनकी एक-एक गतिविधि का मतलब सामने आया है। ऐसे ही मधुमक्खियों के बारे में भी कई बातें सामने आई हैं। बात चाहे रानी मधुमक्खी की हो या फिर मधुमक्खियों के पराग एकत्र करने का मामला। इसके अलावा भी कई रोचक जानकारियां हैं। क्या आप जानते हैं, शाम को फूलों पर बैठी हुई मधुमक्खियां बूढ़ी मधुमक्खिया होती हैं। यानी एक ट्रेंड है कि शाम को बैठी हैं तो वह उम्रदराज हैं। बूढ़ी और बीमार मधुमक्खियां दिन के अंत में छत्ते में वापस नहीं आती हैं। वे रात फूलों पर बिताती हैं, और अगर उन्हें फिर से सूर्योदय देखने का मौका मिलता है, तो वे पराग या अमृत को कॉलोनी में लाकर अपनी गतिविधि फिर से शुरू कर देती हैं।

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असल में ऐसा वह क्यों करती हैं। इसका बड़ा दार्शनिक मामला है। दिन के अंत समय में जो मधुमक्खियां फूलों पर बैठती हैं, वे यह महसूस करते हुए ऐसा करती हैं कि अंत निकट है। कोई भी मधुमक्खी छत्ते में मरने का इंतज़ार नहीं करती ताकि दूसरों पर बोझ न पड़े। बोझ क्यों डालना। फूलों में ही समाहित हो जाना है। बच गए तो अगला दिन फिर काम पर निकलेंगे। कितनी बड़ी दार्शनिकता है। तो, अगली बार जब आप रात के करीब आते हुए किसी बूढ़ी छोटी मधुमक्खी को फूल पर बैठे हुए देखें तो मधुमक्खी को उसकी जीवन भर की सेवा के लिए धन्यवाद दें। उसके द्वारा मिली सीख के लिए भी उसे धन्यवाद दें।

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मधुमक्खियां आमतौर पर अंडाकार आकार की होती हैं और इनका रंग सुनहरा-पीला और भूरे रंग की पट्टियों वाला होता है। मधुमक्खियां संघ बनाकर रहती हैं और हर संघ में एक रानी, कई सौ नर, और बाकी श्रमिक होते हैं। अनुशासनबद्ध। मधुमक्खियां नृत्य के ज़रिए अपने परिवार के सदस्यों को पहचानती हैं। मधुमक्खियां लीची, कॉफ़ी और कोको जैसे फूलों के परागण में अहम भूमिका निभाती हैं। मधुमक्खियां चीनी की चाशनी खाना पसंद करती हैं। मधुमक्खियां अक्तूबर से दिसंबर के बीच अंडे देती हैं। मधुमक्खियां ज़्यादातर तभी हमला करती हैं जब उन्हें खतरा महसूस होता है। यूं तो यह बात सभी जीवों पर लागू होती है। डर के कारण ही ज्यादातर जीव हमलावर होते हैं। ध्यान रहे इतना सबक देने वाली मधुमक्खियां विषैला डंक भी मारती हैं। उनसे छेड़खानी न करें।

साभार : अब छोड़ो भी डॉट ब्लॉगस्पॉट डॉट कॉम

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