आजकल शीतलहर में गरीबों को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। बीपीएल कार्डधारक से भी नीचे गरीबों का एक ऐसा वर्ग है जो अपने आशियाने से महरूम है। खुले आसमान के नीचे गरीब ठंड से बचने का प्रयास करते हैं। सरकार को चाहिए कि गरीबों को चिन्हित करके उनके लिए रोटी, कपड़ा और मकान की व्यवस्था करने में गंभीरता बरते। कुछ समाजसेवी संस्थाएं सर्दी के दिनों में गरीबों के लिए अपनी तरफ से दान देती हैं। लेकिन ठंड के प्रकोप से बचाने के लिए मानव धर्म ही सर्वोपरि है।
युगल किशोर शर्मा, खाम्बी, फरीदाबाद
सरकार की जिम्मेदारी
सर्दी व गर्मी में सभी परेशान रहते हैं। समाज में व्याप्त आर्थिक विषमता इसकी तल्खी को बढ़ा देती है। गर्मी में लू, ठंड में शीतलहर और बरसात में बाढ़ से प्रभावित होने वाला तबका गरीब व विस्थापित है, जिसके पास अपना कोई आशियाना नहीं है। यदि सरकार, स्थानीय निकाय व समाज अपनी जिम्मेदारी निभाएं तो निश्चित रूप से इस वर्ग के दर्द कम होंगे। प्रशासन को चाहिए कि इस तबके के लिए रैन बसेरे बनाए जाएं। आला अधिकारियों द्वारा नियमित रूप से इन रैन बसेरों का निरीक्षण भी किया जाए।
पूनम कश्यप, बहादुरगढ़
पूरी तैयारी हो
बर्फीली हवाओं, कोहरे और ओस की बारिश के बीच जनजीवन अस्त-व्यस्त होकर रह जाता है। ठंड उन लोगों की जिंदगी पर भारी पड़ रही है, जिनका न तो कहीं आशियाना है और न ही तन ढकने के लिए बदन पर कपड़े। तब ऐसे में जरूरी हो जाता है कि ठंड से बचाव के लिए आवश्यक उपाय सरकार द्वारा समाज के विभिन्न वर्गों को ध्यान में रखकर किए जाएं। सरकार को चाहिए कि वह पर्याप्त मात्रा में पहले से ही फंड का इंतजाम करे और स्वयंसेवियों की सहायता से गरीबों को ठंड से बचाने के उपाय करे। स्टेशनों व बस अड्डों के आसपास गरीबों को ठंड से बचाने के लिए जागरूकता अभियान चलाये जाने चाहिए।
गणेश दत्त शर्मा, होशियारपुर
जवाबदेही तय हो
सर्दियों में गरीबों को ठण्ड की मार झेलनी ही पड़ती है। सरकार द्वारा आशियाने तो बना दिये जाते हैं लेकिन गरीबों को इसका लाभ नहीं मिल पाता। समाज सेवी संस्थाएं भी काफी प्रयास करती हैं कि इन गरीबों को सर्दियों में सहायता उपलब्ध हो। लेकिन यह सहायता भी चंद दिनों बाद बंद हो जाती है। सरकार को चाहिए कि सर्दी से बचाव के लिए गरीबों के लिए योजनाएं बनाये। सरकार अधिकारियों को निर्देश दे कि कड़ाके की ठंड एवं शीतलहर में कोई गरीब खुले आसमान के नीचे सोने न पाये। इसके लिए जवाबदेही तय करनी चाहिए।
सुरेश वर्मा, पिहोवा
जनता सहयोग करे
सर्दी के चरम के साथ ही साधनविहीन गरीब तबके को शीतलहर का कहर सताने लगता है। प्रचण्ड ठण्ड के आलम में बिना छत और वस्त्रों के अभाव में गरीब वर्ग का जीवन बेहाल हो जाता है। यदि सरकार, स्थानीय निकाय व समाज संयुक्त रूप से संगठित प्रयास करके जरूरतमदों का सहयोग करें तो तस्वीर बदल सकती है। उनकी आर्थिक जरूरत पूरी करके व बीमारी में उनके लिए दवा आदि का प्रबंध कर उनकी सर्दी से लड़ने में मदद की जा सकती है। आम जनता भी सहयोग करे।
रवि नागरा, नौशहरा, साढौरा
समाज जागरूक हो
इसमें दो राय नहीं कि ठंड की मार गरीब तबके पर ही पड़ती है। ठंड ही क्यों, गर्मी और बरसात की मार भी यही तबका सहता है। बाढ़ से विस्थापित होने वाला वर्ग भी यही है। सही मायनो में शीतलहर, लू और बाढ़ से होने वाली मौतें हमारे समाज की विषमता को ही उजागर करती हैं। हम घरों में बहुत-सा ऐसा सामान संगृहीत करके रखते हैं जो कभी इस्तेमाल नहीं होता। हमें इसे गरीबों में बांट देना चाहिए। साथ ही सरकार को बाध्य करना चाहिए कि वह गरीबों की मदद समय रहते करे।
कृष्ण अरोड़ा, रुड़की, उत्तराखंड
पुरस्कृत पत्र
निगरानी जरूरी
ठंड में गरीब लोग बिना आवास के रेलवे स्टेशन, पेड़ों के नीचे रात बिताते हुए कई बार मृत्यु का ग्रास बन जाते हैं। समाज, स्थानीय निकाय और सरकार ऐसे लोगों की मदद कर सकते हैं। जनप्रतिनिधियों का दायित्व है कि बेसहारा लोगों को रैन बसेरे में आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध करायें। पंचायत, नगरपालिका तथा नगर निगम व सरकार आमजन के लिए रोटी, कपड़ा मकान की व्यवस्था सुनिश्चित करें। प्रत्येक जिले में एक कमेटी बनाई जाए जो इस बात को सुनिश्चित करे कि क्या लोगों द्वारा स्थानीय निकायों में चुने गए लोग गरीबों को सुविधाएं उपलब्ध करवाने का दायित्व निष्ठा से निभा रहे हैं।
अनिल कौशिक, क्योड़क, कैथल