Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

टीवी से बेबस, उनकी बहस में रस ही रस

शमीम शर्मा पानी में बैठी हुई भैंस और टीवी सीरियल देख रही महिला कभी जल्दी से नहीं उठते। ध्यान से देखो तो बहस करते आदमी भी तो जल्दी से नहीं उठते। खाना ठंडा हो जाता है, चाय का दलिया निकल...

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
Advertisement

शमीम शर्मा

पानी में बैठी हुई भैंस और टीवी सीरियल देख रही महिला कभी जल्दी से नहीं उठते। ध्यान से देखो तो बहस करते आदमी भी तो जल्दी से नहीं उठते। खाना ठंडा हो जाता है, चाय का दलिया निकल जाता है, मेहमान बोर हो जाते हैं पर आदमी लोग अपनी बहस नहीं छोड़ सकते। ऊपर से आवाज सुभान अल्लाह। पड़ोसी सोचते हैं कि जूतमपैजार हो रही है और कई बार तो इस्राइल और हमास वाला हाल हो जाता है। आदमियों को बेसिर-पैर के तीर चलाने में पता नहीं क्या आनंद मिलता है। उनकी बातों में फूल, रंग, स्वाद, फैशन, बच्चे-बूढ़े या तितलियां नहीं बल्कि अक्सर राजनीति, धर्म, महिला, क्रिकेट, देश-विदेश की लड़ाइयां, हिंदू-मुस्लिम आदि मुद्दे होते हैं। और आखिर में कोई न कोई मुंह सुजा कर ही उठता है मानो विराट कोहली के बल्ले से निकली बॉल या किसी आतंकवादी की गोली लग गई हो।

Advertisement

मेरा ख्याल है कि आदमी बहस करते हैं और औरतें गप्पबाजी। गप्पबाजी में रस टपकता है और एक तरह की बेपरवाही रहती है। पर वे आदमियों की तरह चाय की दुकान पर बैठ कर गप्पें हांकने की आजादी से वंचित रहती हैं। थोड़ी-सी गप्प मारकर भी महिलाएं तरोताज़ा होकर उठती हैं। पर वाद-विवाद कर आदमी बोझिल-सा खड़ा होता है।

Advertisement

कुछ लोगों की आदत ही होती है कि लुकिंग लंदन टॉकिंग टोकियो। इधर की उधर की, बेसिर पैर की। अपने तर्क का महिमामंडन करने में जुटे रहते हैं। इसे ही लोक भाषा में झक मारना कहते हैं। आज यही चल रहा है। अब किसी एकाध को मूर्ख नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोग अपने पक्ष को लकर हर जगह बहस में जुटे मिलते हैं। टीवी के सामने बैठ जाओ या किसी के घर चले जाओ। हर जगह बेसिर-पैर की बहसबाजी कानों के कीड़े झाड़ देती है। कोई किसी की बात से सहमत नहीं होता। खटोला वहीं बिछेगा वाले स्टाइल में आखिर में मनमुटाव होकर वार्ता का अन्त हो जाता है।

000

एक बर की बात है अक घर मैं सत्यनारायण की पूजा होण लाग री थी। पंडत बोल्या- पांच पान के पत्ते ल्याओ। नत्थू अपणे कमरे की भीत्तर गया अर ताश की गड्डी मैं तै पांच पत्ते लिकाड़ ल्याया। इसके बाद उसके बाब्बू नैं पहल्यां तो नत्थू की पूजा करी अर बाद मैं सत्यनारायण महाराज की।

Advertisement
×