विपक्षी बुजुर्ग नेता से जब पूछा गया कि आजकल आपकी पार्टी गरीबों को ड्राई राशन नहीं बांट रही है। गलियों को सैनिटाइजर से स्प्रे भी नहीं कर रही है जबकि कोरोना आक्रामक हो रहा है। वो बोले आप देख नहीं रहे कि मरु प्रदेश में जानलेवा कोरोना पर कांग्रेस भारी है। वैसे कोरोना में भी सफिक्स 19 और कांग्रेस में भी 19 कॉमन हो चला है। जनता एक माह से कोविड-19 को तो भूल गयी है। वो तो सिर्फ कांग्रेस-19 पर ध्यान केंद्रित किये है कि वो आखिर कब लोकतंत्र को बचाकर दूसरे दल में जायेंगे? नई सरकार को जन्म देंगे।
तो क्या आप ने बीमार को स्वस्थ रखने का मिशन शिफ्ट कर दिया है? प्रतिप्रश्न पर वो संभल कर कहने लगे कांग्रेस-19 (पायलट सहित 18 विधायकों) के वायरस ने सरकार को लंबे क्वारंटीन में ले जाकर होटल में कैद कर दिया है। कई घोड़े अपना अस्तबल छोड़ पाला बदल गये हैं और कुछ पर ऊंचे दांव लगाए जा रहे हैं। घोड़ों को छुड़ाकर लाने के लिए फिर से 14 तारीख तक सरकार को होटल-क्वारंटीन मिल गया है।
राजभवन ने भी पीड़ित पक्ष को रेपिड टेस्ट की अनुमति न देकर 21 दिन का समय दिया है ताकि कांग्रेस-19 का सत्ता-पलट वायरस उग्र होकर पार्टी को फ्लोर टेस्ट में पराजित कर दे और बाहरी सपोर्ट से खुद सत्तासीन हो जाये। यानी विपक्षी को मौका दे दे।
सत्ता के सपने देखते हुए वो फिर याद दिलाने लगे, देखो भाई, कांग्रेस मुक्त भारत के नारे सफल कराने में भाजपा भले ही सुस्त पड़ गयी हो, मगर कांग्रेस-19 जैसे वायरल-स्पीसिज स्वयं अपनी ही पार्टी को सत्ता से सफाचट करने में लगे हुए हैं। मौजूदा सरकार अपने को एसिम्पटोमेटिक मानते हुए दावा कर रही है कि बाड़े में बंद विधायक कोरोना-फ्री हैं। दूसरी ओर हरियाणा में पाये गये कांग्रेस-19 के वायरल-लॉमेकर्स को भाजपा ने प्लाज्मा डोनेट किया हुआ है। ये परजीवी होते हुए भी शांत हैं, चुप हैं क्योंकि इनको होटल में होम क्वारंटीन कराने वाले बहुत मुखरता से लोकतंत्र को पुनर्जीवित करने में लगे हुए हैं।
एक तरफ राज्य केंद्र पर इस वायरस को प्रदेश में छोड़ने के आरोप लगा रहा है तो दूसरी तरफ न्यायपालिका से भी बचने की जुगत है। चुनी हुई सत्ता को गिराने में कई तरह के वायरस गोआ, मणिपुर, कर्नाटक और मध्य प्रदेश में भी सफल हुए हैं। लगता है ‘वन नेशन, वन पार्टी’ की मंशा है। कांग्रेस-19 के वायरस की वैक्सीन अगले लोकसभा चुनाव तक तो आनी नहीं है। ये लाइलाज होकर रहेगी क्योंकि वे नेतृत्वविहीन हैं और उनकी 2018 में वोट-ट्राइल फेल हो चुकी है। उनमें व्याप्त कई तरह के वायरस हैं जो उसकी जड़ों पर हावी हैं। वो जिस डाल पर बैठे हैं उसी को काट रहे हैं। नेताजी बहुत बेचैन हैं कि वो सत्ता में अब आये, तब आये…।