जयंतीलाल भंडारी
हाल ही में दुनिया की प्रसिद्ध वित्तीय सेवा कंपनी गोल्डमैन सैक्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट ग्लोबल इंटरनेट-ई-कॉमर्स स्टीपेनिंग कर्व में कहा गया है कि वर्ष 2020 में भारत में ई-कॉमर्स तेजी से आगे बढ़ा है। अब भारत का ई-कॉमर्स कारोबार 27 फीसदी चक्रवृद्धि ब्याज दर से बढ़ते हुए वर्ष 2024 तक 99 अरब डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसी तरह पिछले दिनों एशिया और प्रशांत के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक और सामाजिक आयोग (यूएनयीएससीएपी) द्वारा जारी ‘एशिया और प्रशांत में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के रुझान और परिदृश्य 2020-21’ शीर्षक वाली रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में ई-कॉमर्स में अंतर्राष्ट्रीय निवेश तेजी से बढ़ रहा है। कोविड-19 के बाद भी भारत ई-कॉमर्स में विदेशी निवेशकों के लिए आकर्षक गंतव्य बना रहेगा। भारत में ई-कॉमर्स में बढ़ता हुआ विदेशी निवेश देश की अर्थव्यवस्था के साथ-साथ देश के करोड़ों उपभोक्ताओं के लिए भी लाभप्रद है।
देश में ई-कॉमर्स के छलांगें लगाकर बढ़ने के कई कारण हैं। बीते हुए वर्ष 2020 में कोरोना संक्रमण की चुनौतियों का सामना कर रहे देश के करोड़ों लोगों को घर बैठे सामान की आपूर्ति के कारण ई-कॉमर्स तेजी से बढ़ा है। बढ़ता डिजिटलीकरण, इंटरनेट के उपयोगकर्ताओं की लगातार बढ़ती संख्या, मोबाइल और डेटा पैकेज दोनों का सस्ता होना भी ई-कॉमर्स के बढ़ने के प्रमुख कारण हैं। यह भी स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि छोटे शहरों के उपभोक्ताओं में भी गुणवत्तापूर्ण जिंदगी जीने की महत्वाकांक्षा की पूर्ति के लिए ई -शॉपिंग के विभिन्न विकल्पों वाले विभिन्न प्लेटफॉर्मों के उपलब्ध होने के कारण देश में ई-कॉमर्स की रफ्तार बढ़ी है।
पहली बार ई-कॉमर्स का इस्तेमाल कर रहे लोगों को खरीदारी में आसानी हो, इसके लिए कुछ ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा किराना खंड में वॉयस असिस्टेंट और हिंदी, तमिल, तेलुगू और कन्नड़ समेत विभिन्न क्षेत्रीय भाषाओं में खरीद की सुविधा शुरू किए जाने से भी ई-कॉमर्स बढ़ा है। डेटा साइंस का उपयोग करके ऑनलाइन विभिन्न उत्पादक और विक्रेता संभावित ग्राहकों के खरीद पैटर्न के आधार पर उत्पादों की बिक्री होने के कारण भी ई-कॉमर्स तेजी से बढ़ा है।
गौरतलब है कि मोबाइल ब्रॉडबैंड इंडिया ट्रेफिक (एमबीट) इंडेक्स 2021 के मुताबिक डेटा खपत बढ़ने की रफ्तार पूरी दुनिया में सबसे अधिक भारत में है। पिछले वर्ष 2020 में 10 करोड़ नए 4जी उपभोक्ताओं के जुड़ने से देश में 4जी उपभोक्ताओं की संख्या 70 करोड़ से अधिक हो गई है। यहां यह भी उल्लेखनीय है कि विश्व प्रसिद्ध रेडसीर कंसल्टिंग की नयी रिपोर्ट के मुताबिक भारत में डिजिटल पेमेंट सिस्टम तेजी से बढ़ रहा है। 2019-20 में देश का डिजिटल भुगतान बाजार करीब 2,162 हजार अरब रुपये का रहा है, यह बाजार वर्ष 2025 तक तीन गुना से भी अधिक बढ़कर 7,092 हजार अरब रुपये पर पहुंच जाने का अनुमान है।
वस्तुतः ई-शॉपिंग और ई-कॉमर्स ने देश में रिटेल सेक्टर में क्रांति ला दी है। कोरोना संक्रमण के कारण पिछले वर्ष 2020 में निर्मित हुई ऑनलाइन खरीदारी अब उपभोक्ताओं की आदत और व्यवहार का अभिन्न अंग बन गई है। देश में कोरोना संक्रमण के डर से बड़ी संख्या में लोगों की प्रवृत्ति खरीदारी के लिए बाजारों में जाने से बचने की हो गई है। अब वर्ष 2021 में बड़े, मझौले और छोटे सभी शहरों में खपत और स्टाइल के लिहाज से ई-कॉमर्स के तेजी से बढ़ने की प्रवृत्ति दिखाई दे रही है।
यह बात भी महत्वपूर्ण है कि देश में उपभोक्ताओं को सीधे अपने उत्पाद बेचने वाले डायरेक्ट टू कंज्यूमर ब्रांड (डी2सी) पिछले वर्ष 2020 में तेजी से उभरे हैं। रेडसीर की रिपोर्ट के अनुसार, भारत में ऑनलाइन खरीदारों की संख्या 18.5 करोड़ है। ऑनलाइन खरीदारों की संख्या वर्ष 2021 में तेजी से बढ़ेगी। स्पष्ट दिखाई दे रहा है कि देश में ई-कॉमर्स को अपनाने की दर इतनी तेजी से बढ़ी है कि क्षेत्र की सामान्य स्थितियों में इस मुकाम पर वर्ष 2025 तक पहुंचने की संभावना होती।
उल्लेखनीय है कि देश में लॉकडाउन और कोविड-19 के बाद जिंदगी में आने वाले बदलाव के बारे में जारी की गई विश्व प्रसिद्ध ग्लोबल डेटा एजेंसी स्टेटिस्सा सहित विभिन्न वैश्विक अध्ययन रिपोर्टों के मुताबिक देश में बड़ी संख्या में लोगों का मानना है कि वे अब भीड़भाड़ में नहीं जाएंगे। ऐसे में देश में ई-कॉमर्स के बढ़ते हुए ग्राहकों तक अपनी पहुंच बढ़ाने के लिए दुनियाभर की बड़ी-बड़ी ऑनलाइन कंपनियों के कदम नए वर्ष 2021 में तेजी से बढ़ने की संभावनाएं हैं।
पिछले वर्ष 2020 में देश में रिलायंस जियो और फेसबुक में ई-रिटेल शॉपिंग में उतरने को बड़ी डील हुई है। ऐसे में नए वर्ष 2021 में अब रिलायंस का जियोमार्ट और फेसबुक का व्हाट्सएप प्लेटफॉर्म मिलकर भारत के करीब 3 करोड़ खुदरा कारोबारियों और किराना दुकानदारों को पड़ोस के ग्राहकों के साथ जोड़ने के काम को आगे बढ़ाएंगे। इनके लेन-देन डिजिटल होने से पड़ोस की दुकानों से ग्राहकों को सामान जल्द मिलेगा और छोटे दुकानदारों का कारोबार भी बढ़ेगा। इसी तरह वर्ष 2021 में एमेजॉन, फ्लिपकार्ट-वालमार्ट और स्नैपडील जैसी अधिकांश ई-कॉमर्स कंपनियां भारत में किराना और ऑफलाइन स्टोर को अपने साथ जोड़ने की डगर पर तेजी से आगे बढ़ेंगी। सरकार के द्वारा डिजिटलीकरण को हरसंभव तरीके से बढ़ावा देने के कारण भी अब देश में ई-कॉमर्स तेजी से बढ़ेगा। वर्ष 2021-22 के बजट में वित्तमंत्री ने देश में डिजिटल लेनदेन को बढ़ावा देने के लिए 1500 करोड़ रुपये के आवंटन सुनिश्चित किए हैं। नये बजट में नेशनल डिजिटल एजुकेशनल आर्किटेक्चर (एनडीईए) जैसी पहल से डिजिटल इकोनॉमी को और गति मिलेगी।
निश्चित रूप से कोविड-19 ने देश में ई-कॉमर्स के परिदृश्य में अभूतपूर्व लाभप्रद बदलाव किया है। लेकिन ई-कॉमर्स बढ़ने के साथ-साथ देश में ई-कॉमर्स से संबंधित चुनौतियां भी बढ़ गई हैं। ऐसे में देश में ई-कॉमर्स नीति में बदलाव की जरूरत अनुभव की जा रही है। यह सरकार का दायित्व है कि ई-कॉमर्स से देश की विकास आकांक्षाएं पूरी हों तथा बाजार भी विफलता और विसंगति से बचा रहे।
उम्मीद करें कि सरकार के द्वारा नयी कॉमर्स नीति के तहत ई-कॉमर्स कंपनियों के द्वारा ग्राहकों के डेटा की सुरक्षा और उसके व्यावसायिक इस्तेमाल को लेकर तमाम पाबंदियां लगाई जानी सुनिश्चित की जाएगी। साथ ही नयी ई-कॉमर्स नीति में ऑनलाइन शॉपिंग से जुड़ी कंपनियों के बाजार, बुनियादी ढांचा, नियामकीय और ऑनलाइन शॉपिंग कंपनियों के माध्यम से निर्यात बढ़ाए जाने संबंधी रणनीति भी शामिल की जाएगी। आशा की जानी चाहिए कि अब देश में तेजी से बढ़ता हुआ ई-कॉमर्स देश के करोड़ों उपभोक्ताओं तक उनकी आदेशित वस्तुएं गुणवत्ता की गारंटी के साथ शीघ्रतापूर्वक किफायती दामों में पहुंचाते हुए उनकी उपभोक्ता संतुष्टि में प्रभावी वृद्धि करते हुए दिखाई देगा।
लेखक ख्यात अर्थशास्त्री हैं।