आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस यानी एआई के एक नये अवतार से डिजिटल दुनिया में खलबली मची हुई है। चैटजीपीटी नामक यह अवतार आपके लिए लेख लिख सकता है और यकीन मानिए, कविता भी लिख सकता है। यदि आप अपने मन में उठे विचारों को कविता में बदलना चाहते हैं लेकिन किसी वजह से ऐसा नहीं कर पा रहे हैं तो आप एआई के इस टूल की मदद ले सकते हैं। चैटजीपीटी द्वारा रचित कविता किसी को भी चौंका सकती है, भले ही उसमें मौलिकता नहीं दिखे। यदि आप इस चैटबॉट द्वारा रचित कविता से संतुष्ट नहीं हैं तो आप इसे और रोचक और जानदार बनाने के लिए कह सकते हैं। चैटजीपीटी आपके लिए लियोनार्दो दा विंची, विन्सेंट वॉन गोग, पिकासो, जामिनी रॉय या नंदलाल बोस की शैलियों में चित्र भी बना सकता है।
इस संवादी सिस्टम से आप आइंस्टीन के सापेक्षवाद के सिद्धांत सहित भौतिकी के तमाम जटिल सवाल पूछ सकते हैं या उससे बर्थडे पार्टी आयोजित करने के बारे में नए आइडिया मांग सकते हैं। यह एआई बॉट कई तरह से उपयोगी हो सकता है। एक डॉक्टर ने दावा किया कि उसने नए चैटबॉट की मदद से एक हैल्थ इंश्योरेंस कंपनी को एक मरीज के इलाज का खर्चा देने के लिए राजी कर लिया। विशेषज्ञों का कहना है कि इस चैटबॉट की कृत्रिम बुद्धि इसी तरह विकसित होती रही तो भविष्य में इसके कार्यक्षेत्र का विस्तार होना निश्चित है। इस हरफनमौला बॉट की मदद से एक दिन नेतागण अपने लच्छेदार भाषण तैयार करेंगे। फिल्मों की स्क्रिप्ट लिखी जाएगी। डायलॉग लिखे जाएंगे और टीवी चैनलों व अखबारों के लिए रिपोर्टिंग की जाएगी।
चैटजीपीटी का प्रयोग उपयोगकर्ता के अनुरोध के जवाब में मूल निबंध कहानियां और गाने के बोल लिखने के लिए किया गया है। इसने शोधपत्र के सार एकत्र कर रखे हैं जिससे कुछ वैज्ञानिक चकमा खा गए। कुछ सीईओ ने इसका इस्तेमाल ईमेल लिखने या एकाउंटिंग का काम करने के लिए भी किया है। इसके उपयोग की संभावनाएं अनंत हैं और इसका खुलासा आने वाले समय में हो जाएगा।
ओपनएआई द्वारा विकसित चैटजीपीटी आपको प्रश्न टाइप करने देता है और प्रश्नों का संवादात्मक उत्तर देता है। वह आपके संवाद के सूत्र को याद रखता है तथा पिछले प्रश्नों और उत्तरों का उपयोग करके अपने जवाब तैयार करता है। इसके उत्तर इंटरनेट पर उपलब्ध तमाम सूचनाओं पर आधारित होते हैं। यह सॉफ्टवेयर उन क्षेत्रों में काफी जानकार लगता है जहां एआई को सीखने के लिए अच्छा प्रशिक्षण डेटा है। लेकिन यह इतना सर्वज्ञानी या स्मार्ट नहीं है कि समस्त मनुष्यों का स्थान ले सके। लेकिन यह रचनात्मक हो सकता है और इसके उत्तर सर्वथा आधिकारिक लग सकते हैं।
गत नवंबर में नए एआई बॉट के लांच के बाद लाखों लोग इसे आजमाने लगे हैं। इसके बढ़ते उपयोग के बीच इसका निर्माण करने वाली ओपनएआई रिसर्च लैब ने चेतावनी दी है कि यह कभी-कभी गलत या भ्रामक जानकारी उत्पन्न कर सकता है, अतः सावधान रहें। चैटजीपीटी एक ऐसी एआई है जिसे इंटरनेट से एकत्र की गई टेक्स्ट के विशाल भंडार में पैटर्न को पहचानने के लिए प्रशिक्षित किया गया है। अधिक उपयोगी, बेहतर संवाद करने के लिए इसे मानव सहायता से भी प्रशिक्षित किया गया है। आपको जो उत्तर मिलते हैं वे विश्वसनीय लग सकते हैं, लेकिन वे पूरी तरह से गलत भी हो सकते हैं। चैटजीपीटी कभी-कभी आपको अपनी कमियों के बारे में भी आगाह कर सकता है। वह अनुपयुक्त और अनुचित अनुरोध अस्वीकार कर सकता है।
चैटजीपीटी का दुरुपयोग हो सकता है। चूंकि यह चैटबॉट कंप्यूटर प्रोग्राम भी लिख सकता है, साइबर सिक्योरिटी विशेषज्ञों को आशंका है कि इसका उपयोग मैलिसियस कोड उत्पन्न करने के लिए किया जा सकता है। यह छात्रों को बेहतर नकल करने में भी मदद कर सकता है। दशकों पहले छात्र इनसाइक्लोपीडिया की प्रविष्टियों की नकल कर सकते थे और हाल ही में वे इंटरनेट पर खोज करने और विकिपीडिया प्रविष्टियों की नकल करने में भी सक्षम हो गए हैं। चैटजीपीटी छात्रों को शोध में मदद करने से लेकर होमवर्क करने तक हर चीज के लिए नई क्षमताएं प्रदान करता है। चैटजीपीटी के कई उत्तर पहले से ही छात्रों के निबंधों की तरह लगते हैं। यह सॉफ्टवेयर अपनी तमाम खूबियों के बावजूद मनुष्य के ज्ञानार्जन के लिए नुकसानदायक हो सकता है।
चैटजीपीटी स्नातक स्तर की परीक्षा पास करने में भी सक्षम है भले ही उसे इस परीक्षा में उच्च अंक प्राप्त न हों। इस नए शक्तिशाली टूल ने हाल ही में अमेरिका के मिनेसोटा विश्वविद्यालय में चार पाठ्यक्रमों में कानून की परीक्षा उत्तीर्ण की और स्कूलों के प्रोफेसरों के अनुसार चैटजीपीटी ने पेन्सिलवेनिया विश्वविद्यालय के व्हार्टन स्कूल ऑफ बिजनेस में भी एक परीक्षा उत्तीर्ण की। चैटजीपीटी चार पाठ्यक्रमों के लिए परीक्षा में कितने अच्छे उत्तर दे सकता है, यह जांचने के लिए मिनेसोटा विश्वविद्यालय के लॉ स्कूल के प्रोफेसरों ने हाल ही में टेस्टों की ग्रेडिंग की। इस चैटबॉट ने 95 बहु-विकल्पीय प्रश्नों और 12 निबंध प्रश्नों को पूरा करने के बाद एक सी प्लस ग्रेड के छात्र के स्तर पर औसत प्रदर्शन किया। उसे सभी चार पाठ्यक्रमों में कम अंक मिले लेकिन उसने इनमें उत्तीर्ण योग्य ग्रेड प्राप्त किया। व्हार्टन में व्यवसाय प्रबंधन परीक्षा के दौरान चैटजीपीटी ने बेहतर प्रदर्शन किया, जहां इसने बी से बी माइनस ग्रेड अर्जित किया।
वहीं दूसरी ओर परफॉर्मेंस का विवरण देने वाले एक पेपर में व्हार्टन के बिजनेस प्रोफेसर क्रिश्चियन टेरविश ने बताया कि चैटजीपीटी ने बुनियादी संचालन प्रबंधन और प्रक्रिया-विश्लेषण के सवालों के जवाब देने में अद्भुत काम किया लेकिन अधिक उन्नत सवालों का जवाब देने में उसे कठिनाई हुई और बुनियादी गणित के साथ उसने ‘आश्चर्यजनक गलतियां’ कीं। उन्होंने लिखा कि ये गलतियां परिमाण में बड़े पैमाने पर हो सकती हैं। ये परीक्षा परिणाम ऐसे समय आए हैं जब अनेक स्कूल और शिक्षक छात्रों पर चैटजीपीटी के तत्काल प्रभाव और परीक्षा में चीटिंग करने की उसकी क्षमता पर चिंता व्यक्त कर रहे हैं। अभी यह स्पष्ट नहीं है कि छात्रों के बीच टूल का उपयोग कितना व्यापक है और यह वास्तव में ज्ञानार्जन के लिए कितना हानिकारक हो सकता है।
मिनेसोटा विश्वविद्यालय में कानून के प्रोफेसर जॉन चोई ने बताया कि इन टेस्टों का मकसद वकीलों को उनके अभ्यास में मदद करने और परीक्षा में छात्रों की मदद करने में चैटजीपीटी की क्षमता का पता लगाना था। उनका तर्क है कि चैटजीपीटी और इसी तरह की तकनीक मनुष्य और एआई के बीच सहयोग का एक अच्छा उदाहरण बन सकती है। उन्होंने कहा कि एआई सहायक निकट भविष्य में वकीलों के लिए मानक उपकरण बन जाएंगे और लॉ स्कूलों को अपने छात्रों को इस स्थिति के लिए तैयार करना चाहिए। यदि कानून के प्रोफेसर कानूनी नियमों और सिद्धांतों को याद रखने का टेस्ट करना चाहते हैं तो उन्हें परीक्षा के दौरान इंटरनेट पर प्रतिबंध लगाने होंगे। छात्रों को चैटजीपीटी का उपयोग करना चाहिए या नहीं, इसको लेकर बेचैनी बनी हुई है। उदाहरण के लिए न्यूयॉर्क और सिएटल के पब्लिक स्कूलों ने छात्रों और शिक्षकों को जिले के नेटवर्क और उपकरणों पर चैटजीपीटी का उपयोग करने पर प्रतिबंध लगा दिया है।
कहा जा रहा है कि चैटजीपीटी के आगमन से गूगल को खतरा पैदा हो गया है। क्या सचमुच यह गूगल सर्च से बेहतर है? गूगल अक्सर आपको प्रश्नों के अपने सुझाए गए उत्तर और उन वेबसाइटों के लिंक देता है जो उसे लगता है कि प्रासंगिक होंगे। लेकिन चैटजीपीटी के उत्तरों में ऐसा नहीं होता। वहीं दूसरी ओर, गूगल ने चैटजीपीटी का मुकाबला करने के लिए बार्ड लाने की घोषणा की है। लेकिन इसकी शुरुआत बहुत ख़राब रही। पहले डेमो में उसने गलत जवाब दे दिया जिससे गूगल की पैरेंट कंपनी एल्फाबेट को मार्केट कैप में 100 अरब डॉलर का नुकसान हो गया। वैसे बार्ड को बाजार में आने में कुछ हफ्ते लगेंगे। चैटजीपीटी पर पूरा भरोसा करने से पहले दोबारा सोचना चाहिए।
लेखक विज्ञान संबंधी विषयों के जानकार हैं।