जीडीपी के मामले में मुंह की खाने के बाद कोरोना के आंकड़ों ने छाती गर्व से चौड़ी कर दी है। हम हर जगह गिर ही नहीं रहे हैं बल्कि उठ भी रहे हैं। कमियां गिनाने वाले लोग उपलब्धियों पर चुप हैं। यदि जीडीपी का गिरना खामी हो सकता है तो कोरोना में नम्बर दो पर आना उपलब्धि क्यों नहीं हो सकता?
कोरोना मामलों में विश्व में नम्बर दो पर आना कोई सामान्य घटना नहीं है। इसमें असावधानी, असुरक्षा, अभय का सामूहिक योगदान है। पानी-पूरी के ठेलों पर गोलगप्पे मचकाते लोगों को देख लगता ही नहीं कि कोरोना नामक कोई बीमारी होती भी होगी। कोरोना की इतनी उपेक्षा विश्व के किसी राष्ट्र ने नहीं की होगी।
हमारे यहां तो कोरोना की खबर, खबर ही नहीं है। इतनी बेइज्जती के बाद भी ढीठ की तरह यह हमारे यहां पैर पसारे पड़ा है। कोरोना से अधिक तो हम रसोड़े में कौन था जैसी बातों पर गंभीर हैं। एनसीबी वाली बड़ी खबर के आगे कोरोना जैसी छोटी खबर टिक ही नहीं पाती। एनसीबी के जाते ही जेसीबी की सूंड कोरोना के आंकड़ों में रोड़ा बन जाती है। शायद कोरोना को हमने बेरोजगारी, भुखमरी, गरीबी की श्रेणी में स्वीकार कर लिया है।
वैसे भी देश में जिधर देखो, जिसे देखो उसे कोरोना हो रहा है। बंदा सोशल मीडिया पर कोरोना पॉजिटिव होने की घोषणा तो ऐसे करता है जैसे किसी रियासत के राजकुमार का राजतिलक की सूचना दे रहा हो। बैंक बैलेंस अच्छा हो तो बीमार होने में डर भी नहीं लगता इसलिए गरीब बीमारी से कम और अस्पताल के बिल से अधिक डरता है। हम कोरोना को आपदा समझते रहे पर ब्रांडेड अस्पताल और फाइव स्टार विद्यालयों के लिए यह तो अवसर साबित हो गई।
वैसे भी हमारी जिम्मेदारी के आत्मनिर्भर मॉडल में अच्छा हुआ हमने किया, बुरा हुआ पहले वालों का किया, किया कुछ और हुआ कुछ तो सब भगवान का किया। भगवान भरोसे सबसे अधिक जिम्मेदारियां आ गई हैं। कोरोना से लेकर अर्थव्यवस्था, शिक्षा से लेकर रोजगार सब उन्हीं के भरोसे है। काम मांगता नौजवान, फसल के उचित दाम मांगता किसान, पूरी तनख्वाह मांगते कर्मचारी किसी को अच्छे नहीं लगते। ऑनलाइन क्लास में नेट सर्वर स्लो होने पर, नौकरी से हाथ धोने पर, कोरोना पॉजिटिव होने पर हे! भगवान ये तूने क्या किया, यही सुना जा रहा है।
हमारे मिडल क्लास को पूरा विश्वास है जब भ्रष्टाचार, भुखमरी, बेरोजगारी के साथ जी लिए तो कोरोना के साथ जीना कौन-सी बड़ी बात है।
कोरोना के साथ जीते-जीते हम कब मूर्खताओं के साथ जीने लगे पता ही नहीं चला।