मेरे ईमेल बाक्स को देख लें तो मुझे जवाब देना भारी हो जायेगा।
रोज इस आशय के मैसेज आते हैं:-
आपका प्रोफाइल रुचि ने देखा, उसकी आप में रुचि है। आप शादी के लिए अच्छा मैच हैं। कनेक्ट कीजिये। फिर दो घंटे बाद मुझे पता लगता है कि संजना ने भी मेरा प्रोफाइल देख लिया है, उसे भी मुझ में रुचि है। कौन-सा प्रोफाइल देखा जा रहा है, मुझे नहीं पता है। मैंने शादी के लिए कहीं प्रोफाइल डाला ही नहीं है। मतलब यह मैसेज बाक्स अगर मेरी मां और बीवी देख लें तो मेरी पिटाई के इंतजाम हो जायेंगे। बीवी तो पीटेगी-करके दिखाओ शादी, अभी अंदर कराती हूं।
मैं अंदर हो जाऊंगा उस जुर्म के लिए, जिसे करने का विचार मैंने कभी ना किया था।
पर मेरे करने से हो क्या रहा है। मैंने तो कई कर्जों के लिए भी एप्लाई नहीं किया, रोज दो कर्जे एप्रूव होकर आ जाते हैं, रोज दो ईमेल आती हैं, जो बताती हैं कि मेरे 5 लाख का कर्ज एप्रूव हो ऱखा है, बस जाकर ले आओ।
जो मैं करना चाहता हूं, न हो पा रहा है। और जो मैं नहीं कर रहा हूं, सब हुए जा रहा है। कर्ज एप्रूव हो गये हैं, शादी की तैयारियां भी उस वेबसाइट ने करवा दी हैं। पता नहीं किस-किस के पास मेरा ईमेल है। ईमेल भेजने से पहले शादी की तैयारियां कराने से पहले शादी वाले यह भी नहीं देखते कि अगले का घरबार है, अच्छी खासी वैवाहिक जिंदगी बिता रहा है, उसकी शादी फिर क्यों करवाना चाह रहे हैं वेबसाइट वाले। और संजना और रुचि मुझमें रुचि क्यों दिखा रही हैं। संजना और रुचि को और कोई काम नहीं है क्या। पराये मर्दों के प्रोफाइल को चेक करती हैं, सिर्फ चेक ही नहीं करती हैं, रुचि भी दिखाती हैं, और वो भी उस प्रोफाइल में, जो मैंने डाला ही नहीं है। जब प्रोफाइल मैंने डाला ही नहीं है तो प्रोफाइल देखा कौन-सा जा रहा है।
तकनीकी मामलों में विकट टेंशन है।
कोई मेरा प्रोफाइल फर्जी बना चुका है, कहीं उसने मेरे नाम से शादी भी कर ली तो क्या होगा।
प्रोफाइल फर्जी हो तो क्या, पिटाई तो असली लगेगी।
प्रोफाइल फर्जी क्या, कई बंदे ही फर्जी हैं, पर सब बाइज्जत बरी होकर घूम रहे हैं। मेरे नाम पर जाने क्या-क्या चल रहा है। बिना मांगे लोन मिल रहा है, बिना इच्छा के शादी हो रही है। सवाल यह है कि और आगे धरपकड़ हो सकती है, मैं दूसरी शादी की कोशिश में गिरफ्तार हो सकता हूं। कोई मेरे नाम पर लोन लेकर भाग सकता है, बैंक मुझे धर सकता है, निकालो लोन वापस करो। लेखक और नीरव मोदी में यही फर्क होता है। नीरव मोदी कांड करके भी निकल लेता है और लेखक बिना कांड किये भी धरा जा सकता है।