सीताराम गुप्ता
कई बार ऐसा होता है कि जब आप अपने किसी मित्र, रिश्तेदार अथवा परिचित से मिलते हैं अथवा मिलने जाते हैं तो आपको अपेक्षित आदर-सत्कार, सम्मान अथवा स्नेह की बजाय उपेक्षा और तिरस्कार मिलता है। कल तक जो लोग आपकी पसंद-नापसंद का ख्याल रखते थे और आपकी प्रशंसा करते नहीं थकते थे, वे ही एकाएक आप में कमियां निकालना तथा आपकी उपेक्षा और तिरस्कार करना शुरू कर देते हैं जबकि आपने ऐसा कोई काम नहीं किया जो उनकी शान के खिलाफ हो। ऐसे में आपका दुखी, उत्तेजित अथवा परेशान होना स्वाभाविक है लेकिन ऐसा करने से पहले जरा इसके कारणों पर विचार कीजिए।
कल तक जो मित्र आपके सेंस ऑफ ह्यूमर अथवा आपके गुणों की प्रशंसा करते थकते नहीं थे, आज आपको बदतमीज और फूहड़ साबित करने पर तुले हुए हैं तो इसका कोई कारण तो होगा ही । लोगों के इस तरह के अप्रत्याशित गलत व्यवहार से दुखी होना स्वाभाविक है। हो सकता है क्रोध भी आ जाए। लेकिन यहां क्रोध करने अथवा दुखी होने की जरूरत नहीं है। लोग बेशक हमारे गमों में शरीक होते हैं लेकिन हमारी ख़ुशियों के हमेशा खिलाफ ही होते हैं। प्रायः अधिकांश लोग दूसरों को प्रसन्न देखना नहीं चाहते। हां अगर कोई दुखी है तो उन्हें कोई परेशानी नहीं होती। उर्दू के शायर डॉ. नवाज देवबंदी साहब भी यही फर्माते हैं :-
वो जो मेरे गम में शरीक था, जिसे मेरा गम भी अजीज था,
मैं जो खुश हुआ तो पता चला वो मेरी खुशी के खिलाफ है।
उपेक्षा, अपमान अथवा तिरस्कार की यह स्थिति आपके लिए दुखी नहीं, प्रसन्न होने के लिए है क्योंकि इस समय आप वास्तव में प्रसन्नचित्त अथवा खुशहाल हैं। इसी वजह से तो कुछ लोग आपसे दुखी होकर आपको नीचा दिखलाने के प्रयास में हैं। कुछ लोग हमेशा सुंदर, सुशील, प्रसन्नवदना, खुले हृदय और उन्मुक्त विचारों वाली महिलाओं में चारित्रिक दोष ढूंढ़ने के प्रयास में ही लगे रहते हैं। वास्तव में ईर्ष्यालु व दुर्बल चरित्र वाले लोगों को इससे अधिक कुछ आता ही नहीं। अब ऐसे ईर्ष्यालु व्यक्तियों से भला एक अच्छे व्यक्ति का क्या मुक़ाबला लेकिन उनकी ईर्ष्या इस बात का प्रमाण है कि आप सचमुच आनंदित हैं। वे लोग यही चाहते हैं कि आप किसी तरह इस आनंद से वंचित होकर दुखी हों। ये हम पर निर्भर करता है कि हम इस षड्यंत्र के शिकार होते हैं अथवा नहीं।
यदि आप लोगों की सहायता करने वाले, उन्हें अच्छे काम के लिए प्रोत्साहित करने वाले अथवा दो पक्षों का झगड़ा निपटवाने वाले हैं तो दूसरों की टांग खींचने वाले तमाशबीन किस्म के लोग अवश्य ही आपके शत्रु नहीं तो विरोधी अवश्य हो जाएंगे और आपको अपमानित करने का कोई भी अवसर हाथ से नहीं जाने देंगे। लेकिन आप सद्गुणों के स्वामी हैं, अतः इन अमूल्य जीवन-निधियों और जीवन-मूल्यों को खिसकने मत दीजिए। यदि लोग आपमें बिना वजह कमियां निकालने का प्रयास करते हैं तो ये आपके लिए अच्छी बात है।
लोग दुख में आपके साथ हो सकते हैं लेकिन आपकी ख़ुशी बर्दाश्त नहीं कर सकते, यही कटु सत्य है। सभी लोग तो ऐसे नहीं होते लेकिन अधिकांश ऐसे ही होते हैं, इसमें संदेह नहीं। लोग तो ऐसे ही होते हैं लेकिन अब आपकी बारी है। आप प्रसन्न रहना चाहते हैं अथवा प्रसन्नता से वंचित होना चाहते हैं। वास्तविकता ये है कि जो लोग दूसरों की समृद्धि देख कर आनंदित होते हैं, उन्हें स्वयं समृद्ध होते देर नहीं लगती। विद्वान ही विद्वानों का आदर करते हैं, उनकी संगति से लाभान्वित होते हैं। जो प्रभावशाली व्यक्तित्व से संपंन व्यक्तियों को देखकर उनके गुणों की प्रशंसा करते हैं, उन्हें उचित ठहराते हैं, वे एक दिन स्वयं भी प्रभावशाली व्यक्तित्व के स्वामी बन जाते हैं।
यदि कोई व्यक्ति विशेष निरंतर किसी व्यक्ति की उपेक्षा कर रहा है अथवा अपमानित करने का मौका तलाश रहा है तो इसमें दो बातें हो सकती हैं। जिस व्यक्ति की उपेक्षा की जा रही है या तो वह है ही उपेक्षा और तिरस्कार के योग्य अन्यथा वह उपेक्षा और तिरस्कार करने वाले व्यक्ति से आगे बढ़ रहा है, उन्नति कर रहा है। अब यह उन्नति किसी भी प्रकार की हो सकती है। यह आर्थिक उन्नति भी हो सकती है और बौद्धिक उन्नति अथवा विकास भी। कई लोगों की सोच अत्यंत सकारात्मक होती है, इसलिए नकारात्मक सोच रखने वाले व्यक्ति कभी उनके साथ उचित व्यवहार नहीं कर सकते।
यद्यपि आपकी उपेक्षा करके आपको कमजोर करने का प्रयास अवश्य किया जा रहा है लेकिन यदि आप कोई नकारात्मक प्रतिक्रिया नहीं करते हैं तो आपकी स्थिति कमजोर नहीं होगी। यदि आप उपेक्षा अथवा अपमान को सहन कर लेते हैं तो आप में धैर्य, सहिष्णुता और क्षमा जैसे अद्भुत गुणों का समावेश भी हो जाता है जो एक बहुत बड़ी उपलब्धि होगी। इन गुणों से तो अंततः विरोधी व शत्रु भी मित्र हो जाते हैं।