सहीराम
वैसे तो जब भारत ही नया बन रहा है तो कोरोना को भी नया ही होना चाहिए। लेकिन कोरोना सिर्फ भारतीय नहीं है। बताते हैं कि मूल रूप से तो यह चीनी है। लेकिन उधर तो अब यह मुंह उठाकर भी नहीं देख रहा, वैसे ही जैसे अमेरिका और यूरोप जाने वाले भारतीय, भारत की ओर मुंह उठाकर भी नहीं देखते। कोरोना को भी भारत उसी तरह से रास आ रहा है जैसे वह चीनी कंपनियों या दूसरी बहुराष्ट्रीय कंपनियों को रास आ रहा है।
लेकिन जनाब यह समझ लीजिए कि कोरोना कोई गया वक्त नहीं है कि वह लौट के न आ सके। वह लौट आया है-फैशन की तरह से, प्रवासी मजदूरों की तरह से और साधु बने किसी ग्रामीण की तरह से। लेकिन वह बदला-बदला सा जरूर है। वैसे तो बदले-बदले मेरे सरकार नजर आते हैं, पर वह कहावत है। यूं वह नया-नया भी है। बदलाव आए तो बंदा नया-नया भी लगने ही लगता है। बदला-बदला इसलिए कि यह वह पुराने वाला कोरोना नहीं है। और नया इसलिए कि कोरोना के नए-नए वैरियंट आ गए हैं-ब्रिटिश वैरियंट से लेकर ब्राजीलियन वैरियंट तक अनेकानेक। अरे यार यह कोई गाड़ी है क्या कि हर साल नया मॉडल आएगा?
खैर, कोरोना ही नहीं बदला है, सब कुछ बदल रहा है। दुनिया ही परिवर्तनशील है। लेकिन बात राजनीति की होने लगे तो फिर वह नारा हो जाता है-पोरिबर्तन या फिर ओसोल पोरिबर्तन। अब अकेले कोरोना को क्या दोष दें, बदल तो सब कुछ रहा है। चुनाव बदल रहा है। चुनाव का तरीका बदल रहा है। अब चुनाव हिंदुस्तानी नहीं रह गए। चुनाव का यह अमेरिकी वैरियंट है। चुनाव अब इसी तरह लड़े जाएंगे। धूमधड़ाके से। जिनका ठेका कंपनियां लेंगी। अब साहब बदल तो किसान आंदोलन भी रहा है। ट्रैक्टर ट्रॉलियों से अब वे बांस और फूस की झोपड़ियों में शिफ्ट होने लगा है। कूलर और एसी लगने लगे हैं। अब दिल्ली के बॉर्डरों पर जलावन की लकड़ियों की जरूरत नहीं रहेगी।
लेकिन लंगर नहीं बदला है, सेवा भाव नहीं बदला है, किसानों की पंचायतें भी नहीं बदल रहीं। अब आंदोलनकारी किसान तो चाहे न बदल रहे हों और नेताओं का उसी तरह से विरोध कर रहे हों, जैसे पहले करते थे। पर समस्या यह है कि किसान आंदोलन के विरोधी भी नहीं बदल रहे हैं। उड़ीसा में एक किसान नेता को घेरने की कोशिश की गयी तो राजस्थान के अलवर में तो उस किसान नेता पर हमला ही हो गया। ऐसे लोगों को किसान आंदोलन का विरोधी कहना थोड़ा मुश्किल काम है। वे तो बीच-बीच में अपनी इन हरकतों से किसान आंदोलन में नयी जान फूंकने में ही मदद करते हैं। तो जनाब सिर्फ कोरोना ही नहीं बदल रहा, सब कुछ बदल रहा है।