Tribune
PT
Subscribe To Print Edition About the Dainik Tribune Code Of Ethics Advertise with us Classifieds Download App
search-icon-img
Advertisement

सर्वाइकल स्पाइन डिस्क रिप्लेसमेंट सर्जरी से तीन मरीजों को राहत

पीजीआई ने मरीजों को दिया नया जीवन

  • fb
  • twitter
  • whatsapp
  • whatsapp
featured-img featured-img
पीजीआई के ऑर्थोपेडिक्स विभाग के एडीशनल प्रोफेसर डॉ. विशाल कुमार (बीच में) मरीजों के साथ। -दैनिक ट्रिब्यून
Advertisement

विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 4 नवंबर

Advertisement

पीजीआई चंडीगढ़ ने एक बार फिर चिकित्सा के क्षेत्र में एक अनोखी मिसाल कायम की है, जहां पिछले एक सप्ताह में तीन सफल सर्वाइकल स्पाइन डिस्क रिप्लेसमेंट सर्जरी कर मरीजों को न केवल दर्द से मुक्ति दिलाई, बल्कि उनके जीवन को एक नई दिशा दी। ये तीनों सर्जरी एक ही सप्ताह में सम्पन्न हुईं, जिनमें पीड़ित मरीज गर्दन के तीव्र दर्द, चलने में कठिनाई और हाथों की कमजोरी जैसी समस्याओं का सामना कर रहे थे।

Advertisement

इस उपलब्धि का श्रेय पीजीआई की ऑर्थोपेडिक्स टीम को जाता है, जिसका नेतृत्व एडिशनल प्रोफेसर डॉ. विशाल कुमार ने किया। उनकी देखरेख में 57 वर्षीय महिला और 49 व 54 वर्ष के दो पुरुष मरीजों का इलाज हुआ, जो अब दर्द से मुक्ति पाकर एक सामान्य जीवन की ओर अग्रसर हैं। पीजीआई में इन सर्जरियों की सफलता ने न केवल मेडिकल फील्ड में नए मानदंड स्थापित किए हैं बल्कि मरीजों को भी राहत दी है।

मरीजों की अनुभव कथा

एक मरीज ने इस उपचार के अनुभव को साझा करते हुए कहा कि पीजीआई के डॉक्टरों ने मुझे उस दर्द से बाहर निकाला है, जिसे मैंने वर्षों से सहा था। अब ऐसा महसूस होता है जैसे मैं फिर से सामान्य जीवन जीने की ओर लौट रहा हूं। उन्होंने आयुष्मान भारत जैसी स्वास्थ्य योजनाओं का लाभ पाते हुए इस इलाज के लिए पीजीआई का आभार व्यक्त किया।

सामूहिक प्रयास से मिली सफलता : प्रो. विवेक लाल

इस मौके पर पीजीआई के निदेशक डॉ. विवेक लाल ने इस सफलता को पीजीआई की चिकित्सकीय क्षमता और टीम के सामूहिक प्रयास का परिणाम बताया। उन्होंने डॉ. विशाल कुमार और उनकी टीम की सराहना करते हुए कहा कि उनकी विशेषज्ञता ने अनगिनत मरीजों की जिंदगियों को संवारने का काम किया है। डॉ. विशाल, जिनके पास कई राष्ट्रीय पुरस्कार और दस से अधिक पेटेंट हैं, मानते हैं कि ऐसी उपलब्धियां उनके संकल्प को और भी सशक्त बनाती हैं, जिससे वे मरीजों की भलाई के लिए और प्रयासरत रहते हैं।

Advertisement
×