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श्री कृष्ण और रुक्मिणी का दिव्य विवाह: प्रेम और भक्ति की अमिट गाथा

चंडीगढ़, 12 अप्रैल (ट्रिन्यू) श्री खाटू श्याम युवा मित्र मण्डल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक सप्ताह के पंच कुण्डीय श्री महालक्ष्मी महायज्ञ एवं श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन, ग्रेस बेन-क्यूट में एक अद्वितीय और रोमांचक धार्मिक आयोजन हुआ। इस दिन...

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चंडीगढ़, 12 अप्रैल (ट्रिन्यू)

श्री खाटू श्याम युवा मित्र मण्डल ट्रस्ट द्वारा आयोजित एक सप्ताह के पंच कुण्डीय श्री महालक्ष्मी महायज्ञ एवं श्रीमद भागवत कथा के छठे दिन, ग्रेस बेन-क्यूट में एक अद्वितीय और रोमांचक धार्मिक आयोजन हुआ। इस दिन रूकमणि और श्री कृष्ण के विवाह की झांकी का प्रदर्शन किया गया, जिसे देखकर हर भक्त के दिल में प्रेम और भक्ति की गहरी लहर दौड़ गई।

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वृंदावन से पधारे “धर्म रत्न” से अलंकृत स्वामी श्री बलरामाचार्य जी महाराज ने इस विवाह की कथा सुनाते हुए बताया कि रुक्मिणी का श्री कृष्ण के प्रति प्रेम केवल दिल से नहीं, बल्कि उनके आत्मा से जुड़ा था। वे जानती थीं कि केवल कृष्ण ही उनके जीवन साथी हो सकते हैं। उन्होंने कृष्ण को अपना प्रेम संदेश भेजा और मन ही मन तय किया कि वह शिशुपाल से विवाह नहीं करेंगी।

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यहां से शुरू होती है रोमांचक कहानी: रुक्मिणी का हरण करने के लिए कृष्ण ने विदर्भ पहुंचने के बाद शिशुपाल और रुक्म के साथ युद्ध किया। कृष्ण की वीरता से यह युद्ध एक ऐतिहासिक पल बन गया। अंततः कृष्ण ने विजय प्राप्त की और रुक्मिणी से विवाह किया।

इस दृश्य को जीवंत रूप में पेश किया गया, जिससे सभी भक्तों को रुक्मिणी और श्री कृष्ण के बीच प्रेम और संघर्ष की अद्भुत झांकी का अनुभव हुआ। खास बात यह रही कि इस आयोजन के दौरान कई विवाहित जोड़ों ने अपने विवाह के दिन की याद में रुक्मिणी और श्री कृष्ण की तरह एक-दूसरे को प्रेम से बरमाला पहनाई। इनमें राकेश गोयल और राज रानी भी शामिल थे, जिन्हें स्वामी जी ने आशीर्वाद दिया कि वे अपने जीवन में भी कृष्ण और रुक्मिणी की तरह प्रेम और समर्पण से भरा जीवन जीएं।

इस कार्यक्रम ने सभी को एक अद्भुत अनुभव प्रदान किया, जिसमें प्रेम, संघर्ष और विजय की अनुपम कहानी ने हर दिल को छुआ।

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