दिनेश भारद्वाज/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 30 दिसंबर
भाजपा को शहरी पार्टी माना जाता है। आमतौर पर गांवों में भाजपा को वोट भी कम मिलते हैं, लेकिन इस बार शहरों ने भी उसे झटका दे दिया है। जजपा के लिए भी निकाय चुनाव के नतीजे किसी भी सूरत में अच्छे नहीं माने जा सकते। किसान आंदोलन को लेकर पहले से ही विपक्षी दलों व किसानों के निशाने पर चल रहे जजपा नेताओं के सामने अब संकट बढ़ने वाला है।
बेशक, निकायों के चुनाव को जजपा के लिए एक्परिमेंटल भी माना जा सकता है। अगर ऐसा है भी तो यह प्रयोग सफल नहीं रहा। आने वाले दिनों में होने वाले पंचायतीराज संस्थाओं के चुनाव पर इसका असर पड़ सकता है। राजनीतक दल इन चुनावों को किसी भी रूप में ले सकते हैं, लेकिन मोटे तौर पर प्रदेश के लोगों ने अपना मूड बता दिया है। नतीजों से यह भी स्पष्ट है कि गठबंधन के खिलाफ, जहां जीतने वाले उम्मीदवार नजर आए, उन्हें ही वोट दे दिया। इसी वजह से निकायों में निर्दलीयों की भी चौधर रहेगी।
परिषद और पालिका में अध्यक्ष के ये पहले डायरेक्ट चुनाव थे, जो भाजपा गठबंधन को महंगे पड़े। चुनावों के इन नतीजों के बाद सीएम मनोहर लाल खट्टर व डिप्टी सीएम दुष्यंत चौटाला के साथ-साथ दोनों दलों के वरिष्ठ नेताओं, मंत्रियों तथा संबंधित सांसदों-विधायकों पर भी सवाल उठने स्वाभाविक हैं। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ को भी नये सिरे से रणनीति तय करनी होगी। बरोदा विधानसभा उपचुनाव के
बाद उनके नेतृत्व में यह दूसरी बड़ी हार है। दूसरी ओर, इन नतीजों के बाद कांग्रेस में अदंरुनी घमासान और बढ़ने का ग्राउंड भी तैयार हो गया है। पूर्व सीएम भूपेंद्र हुड्डा सोनीपत निगम में कांग्रेस प्रत्याशी को जीत दिलवा कर अपना कद बढ़ाने में सफल रहे हैं। सांसद दीपेंद्र हुड्डा की सोनीपत में मोर्चाबंदी कारगर रही। पार्टी प्रदेशाध्यक्ष कुमारी सैलजा के लिए यह चिंताजनक है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र अंबाला संसदीय क्षेत्र के अधीन आने वाले दोनों निगमों में पार्टी चुनाव हार गयी। अंबाला में तो कांग्रेस चौथे नंबर पर पहुंच गई। रेवाड़ी नगर परिषद में कांग्रेस को तीसरा स्थान मिला। जजपा की हालत भी खराब रही। सोनीपत में 5 वार्डों में वह हार गई। स्थिति यह है कि कई जगहों पर तो बसपा और निर्दलीय उम्मीदवारों से भी कम वोट जजपा प्रत्याशियों को मिले। पंचकूला के दो वार्डों में जरूरी जजपा का खाता खुला।
कांग्रेस दिग्गजों में घमासान
चुनाव नतीजों के बाद कांग्रेस में घमासान छिड़ गया है। नतीजों के बाद भूपेंद्र हुड्डा ने कहा कि सोनीपत में हम चुनाव जीते हैं, यदि उन्हें पंचकूला या अंबाला निगम में प्रचार के लिए बुलाया जाता तो वे जरूर आते। इन दोनों जगह हार का मंथन होना चाहिए। सैलजा ने कहा, हमने सभी नेताओं का प्रचार करने के लिए आह्वान किया था। पार्टी अंबाला-पंचकूला की हार का मंथन करेगी। गौरतलब है कि पंचकूला और अंबाला शहर में टिकट बंटवारे में सैलजा की पसंद चली थी।
किसानों का असर नहीं : धनखड़
कांग्रेस का मनना है कि भारतीय जनता पार्टी को स्थानीय शहरी निकाय चुनाव में किसानों के दिल्ली बॉर्डर पर चल रहे आंदोलन से नुकसान हुआ है, लेकिन भाजपा इससे इनकार कर रही है। भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओमप्रकाश धनखड़ ने कहा कि चुनाव में किसान आंदोलन की बजाय स्थानीय मुद्दे अहम थे। उन्होंने कहा कि एक निगम व नगर परिषद हमारे हिस्से आई है। अंबाला और सोनीपत में भाजपा का प्रदर्शन अच्छा रहा है।