चंडीगढ़, 14 नवंबर (ट्रिन्यू)
देश के बंटवारे का वह खौफनाक मंजर कोई कैसे भूल सकता है। वह भी ऐसा व्यक्ति जिसके बालमन पर उसकी गहरी छाप पड़ी हो और जिसकी कूची दिल की गहराइयों में उतरकर चलती हो। सेक्टर 16 स्थित पंजाब कला भवन में इन दिनों ऐसे ही दंश की कहानी बयां करतीं कलाकृतियां दिखती हैं। कलाकार हैं मोहिंद्र ठुकराल। ठुकराल बताते हैं, ‘देश के बंटवारे के वक्त मैं महज एक साल का था। जैसे-जैसे बड़ा हुआ, विभाजन की खौफनाक कहानियां ही अपने बड़ों से सुनता रहा। वह मंजर मेरे मन में घर कर गया जिसकी अनुभूति मेरी कलाकृतियों को देखकर की जा सकती है।’ ठुकराल की इस एकल पेंटिंग एग्जीबिशन का शीर्षक है वंड यानी बंटवारा। कहीं उन्होंने आधा चेहरा दिखाया है। यह आधा चेहरा कहानी है उस बंटवारे के दंश की। कहीं आधे चेहरे के साथ बाकी हिस्से में एक नक्शा है। जमीनी बंटवारे के दौरान जिस तरह भाईचारे की नींव हिलाकर रख दी गयी, उसका जिक्र उन्होंने हर कलाकृति में किया है।
ठुकराल की पेंटिंग में कहीं चटख लाल रंग दिखता है तो कहीं आंखों की कालिमा जैसे दूर तक निहारती हुई कुछ सोच रही हो, यही कि कैसे मिलजुलकर रहने वाले भी एक-दूसरे के खून के प्यासे हो गए हैं। प्रदर्शनी 19 नवंबर तक चलेगी।