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एम्स जोधपुर में जिंदगी की जंग हार चुके युवक के अंगों का पीजीआई में सफल प्रत्यारोपण

उम्मीद का मिशन

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चंडीगढ़ एयरपोर्ट से अंगों को लाते पीजीआई कर्मी। -ट्रिब्यून फोटो
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चंडीगढ़, 3 नवंबर (ट्रिन्यू)

गंभीर चोटों के कारण जोधपुर के एम्स में एक 23 वर्षीय युवक जिंदगी की जंग हार गया। उसके परिवार ने साहसिक निर्णय लेते हुए उसके अंगों को दान करने का अद्भुत कार्य किया। यह निर्णय न केवल एक नई शुरुआत की कहानी है, बल्कि यह कई जिंदगियों को बचाने की उम्मीद भी जगाता है। इस मिशन में पीजीआई चंडीगढ़ की टीम ने अंगों के सफल प्रत्यारोपण के लिए जो समर्पण दिखाया, वह चिकित्सा के क्षेत्र में उनकी प्रतिबद्धता को स्पष्ट रूप से दर्शाता है।यह घटना 2 नवंबर 2024 को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) जोधपुर में हुई। दाता के अंगों की तत्काल आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, उत्तर रोटो ने इन्हें पीजीआई चंडीगढ़ के लिए समवर्ती अग्न्याशय-किडनी (एसपीके) प्रत्यारोपण हेतु आवंटित किया। दूसरी किडनी को दिल्ली के आईएलबीएस अस्पताल के लिए भेजा गया, जबकि यकृत का सफल प्रत्यारोपण वहीं एम्स जोधपुर में किया गया। पीजीआई की टीम का नेतृत्व डॉ. आशीष शर्मा ने किया। उन्होंने और उनकी टीम ने अनेक लॉजिस्टिक चुनौतियों का सामना करते हुए रातभर सड़क मार्ग से दिल्ली की यात्रा की और 3 नवंबर की सुबह 6:45 बजे जोधपुर के लिए उड़ान भरी। अंगों की सफल खोज के बाद, टीम ने दिल्ली हवाई अड्डे पर आईएलबीएस अस्पताल की टीम को एक किडनी सौंप दी और फिर चंडीगढ़ लौट आई। उन्होंने ग्रीन कॉरिडोर का उपयोग करते हुए शाम 7:05 बजे पीजीआई पहुंचे, जहां एसपीके प्रत्यारोपण की तैयारी शुरू की गई।

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