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Spoken Fest, स्पोकन फेस्ट चंडीगढ़ पहुंचा, नए स्टोरीटेलर्स को मिला बड़ा मंच

नई आवाज़ों को मंच देने वाली शुरुआत
पॉपुलर सिंगर जस्ट, एक्टर नैरेटर श्वेता त्रिपाठी, नेशनल अवॉर्ड विनिंग एक्टर दिव्या दत्ता, टेलीविजन स्टार श्रीति झा और लिरिसिस्ट एक्टर गुरप्रीत सैनी चितकारा यूनिवर्सिटी के स्पोकन फेस्ट में एक साथ नजर आए।
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कहानियों की ताकत जब मंच पर उतरती है तो वह सिर्फ सुनाई नहीं देती, बल्कि हवा में महसूस होती है। सोमवार की शाम ऐसा ही दृश्य चंडीगढ़ में देखने को मिला जब कोम्म्यून द्वारा आयोजित एशिया का सबसे बड़ा स्पोकन वर्ड महोत्सव स्पोकन फेस्ट पहली बार शहर पहुंचा और अपने शानदार स्पोकन ईवनिंग संस्करण से नई पीढ़ी को कहानी कहने की शक्ति से रूबरू कराया।

कार्यक्रम की शुरुआत किस्सों का कारवां नामक एक विशेष स्टोरीटेलिंग वर्कशॉप से हुई। इसका संचालन कोम्म्यून के संस्थापक और स्पोकन फेस्ट के निदेशक रोशन अब्बास ने किया। वर्कशॉप का उद्देश्य था कि युवा कलाकार अपनी छुपी रचनात्मकता को महसूस करें, उसे स्वर दें और उसे दुनिया तक पहुंचाने की समझ विकसित करें।

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जहां कैंपस बना रचनात्मक ऊर्जा का केंद्र

स्पोकन फेस्ट के इस चंडीगढ़ अध्याय में चितकारा यूनिवर्सिटी की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही। फेस्ट को वहां आयोजित करने का निर्णय इसलिए लिया गया क्योंकि कैंपस का माहौल युवाओं को सुरक्षित, समर्थित और प्रेरित महसूस कराता है। आयोजकों का मानना है कि एक विश्वविद्यालय वह स्थान है जहां उभरती आवाज़ें सबसे सहज रूप में अपनी पहचान ढूंढती हैं।

चितकारा यूनिवर्सिटी ने न सिर्फ परिसर उपलब्ध कराया, बल्कि पूरे कार्यक्रम को छात्रों के साथ गहराई से जोड़कर इसे एक इमर्सिव अनुभव बना दिया। वर्कशॉप और ईवनिंग परफॉर्मेंस दोनों को एक ही स्थान पर रखकर आयोजकों और विश्वविद्यालय ने यह सुनिश्चित किया कि युवा कहानीकारों को सीखने और मंच साझा करने का मौका एक ही दिन और एक ही माहौल में मिल सके।

दो युवा कलाकारों की प्रभावशाली उड़ान

वर्कशॉप के असर का प्रमाण तब दिखा जब चितकारा यूनिवर्सिटी के दो छात्र कलाकार लकी और युवराज ने अपनी प्रस्तुतियों से स्पोकन ईवनिंग की शुरुआत की। वर्कशॉप ने उन्हें अपनी मूल आवाज़ पहचानने और उसे खुले मंच पर अभिव्यक्त करने का आत्मविश्वास दिया। उनकी प्रस्तुतियों ने आयोजन के मूल विचार को मजबूत किया जिसमें सीखना, अभिव्यक्ति और अवसर एक चक्र की तरह साथ चलते हैं।

रोशन अब्बास की सोच

रोशन अब्बास ने कहा कि भारत में कई कलाकारों की यात्रा कॉलेज कैंपस के गलियारों में ही शुरू होती है। उनका मानना है कि कोई भी युवा अपनी कहानी कहने की क्षमता को तब पहचानता है जब उसे एक ऐसा मंच मिले, जो उसे न केवल सुने बल्कि उसे समझने का अवसर भी दे। यही मंच, यही अवसर और यही दिशा स्पोकन फेस्ट हर बार देने का प्रयास करता है।

रचनात्मकता तभी बढ़ती है जब युवाओं को बात करहने आज़ादी मिले

विश्वविद्यालय की प्रो चांसलर डॉ. मधु चितकारा ने कहा कि रचनात्मकता तभी बढ़ती है जब युवाओं को अपनी बात कहने की निर्भीक आज़ादी मिले। उन्होंने बताया कि स्पोकन फेस्ट की मेजबानी विश्वविद्यालय की उस प्रतिबद्धता का हिस्सा है जिसमें छात्र न केवल पढ़ते हैं बल्कि खुद को अभिव्यक्त भी करते हैं।

मंच पर उतरी अनुभवी आवाज़ें

शाम जैसे-जैसे आगे बढ़ी, मंच पर देश की प्रसिद्ध आवाज़ें एक के बाद एक उतरती गईं। दिव्या दत्ता, श्वेता त्रिपाठी, सृति झा, गायक जस्ट, गुरप्रीत सैनी और कोम्म्यून स्पेशल प्रोडक्शन बहुत जोर से प्यार लगा है की टीम ने अपनी प्रस्तुतियों से दर्शकों को बांधे रखा। हर प्रस्तुति ने माहौल में गहराई, ऊर्जा और आत्मीयता का नया रंग भरा।

चंडीगढ़ अध्याय क्यों रहा खास

स्पोकन फेस्ट वर्षों से देशभर में विविध आवाज़ों को जोड़ता आया है, लेकिन चंडीगढ़ संस्करण की खासियत यह रही कि यहां उभरते युवा कलाकार और अनुभवी प्रस्तुतकर्ता एक ही मंच पर आए। चितकारा यूनिवर्सिटी के सहयोग ने इस तालमेल को और मजबूत किया, जिससे यह आयोजन सिर्फ एक ईवनिंग नहीं रहा बल्कि नए कहानीकारों के जन्म की यात्रा बन गया।

 

 

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