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सोलह-वर्षीय निकाशा लूथरा के काव्य संग्रह 'डार्क ट्यूलिप्स' का अनावरण

निकाशा ने की यंग एडल्ट लिटरेरी सोसाइटी स्थापित करने की घोषणा

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चंडीगढ़, 12 अगस्त (ट्रिन्यू)

“कविता को साहित्य का एकमात्र ऐसा रूप कहा जाता है जो किसी को उसकी आत्मा से पुन: मिलाता है। ईमानदारी से कहूं तो, मैं इसे अलग तरह से देखती हूं। मेरे लिए, कविता हमेशा वास्तविकता से दूर जाने का एक जरिया है, जहां कोई भी महसूस कर सकता है कि वह क्या चाहता है और जो वह चाहता है वो वह बन सकता है ,'' सोलह-वर्षीय कवयित्री निकाशा लूथरा ने अपनी पहली अंग्रेजी कविता पुस्तक 'डार्क ट्यूलिप्स' के अनावरण के दौरान यह बात कही।

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'डार्क ट्यूलिप्स' - विवेक हाई स्कूल, चंडीगढ़ की कक्षा 10 की छात्रा निकाशा लूथरा द्वारा रची गई 33 कविताओं का एक संग्रह है, जो मानवीय भावनाओं के बारे में है। पुस्तक के शीर्षक की भांति, कविताएं पाठकों को अपनी आत्मा के सबसे अंधेरे हिस्से को खोजने और उनमें फूल उगाने के लिए कहती हैं।

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पुस्तक में, किशोर कवियित्री ने उस लड़ाई पर प्रकाश डाला है जो हम सभी के दैनिक जीवन में स्वयं के साथ चलती रहती है। उन्होंने बलात्कार, घरेलू हिंसा, एलजीबीटीक्यूआईए+ समुदाय की समस्याएं, रूस व यूक्रेन के बीच जारी युद्ध, आदि को भी छुआ है।

अपनी कविता में सामाजिक मुद्दे उठाने की वजह पूछे जाने पर, निकाशा ने बताया, “मुझे व्यक्तिगत रूप से लगता है कि एक कलाकार, कवि या लेखक के रूप में, समाज में बदलाव लाने और जागरूकता फैलाने की जिम्मेदारी हम सभी के कंधों पर है। अति-प्रचारित विषयों पर बात करना बहुत आसान है, लेकिन ऐसे विषय को ढूंढना जो भावनात्मक रूप से इतना ज्वलंत हो कि लोगों में सिहरन पैदा कर दे, वास्तव में चुनौतीपूर्ण है!''

निकाशा ने कहा कि अमेरिकी कवि व लेखक, एडगर एलन पो, उनके ऑल-टाइम फेवरिट हैं और वह उनसे प्रेरणा लेती हैं। निकाशा को लगता है कि हालांकि वह माता-पिता के समर्थन और सही पेशेवर मार्गदर्शन के कारण अपने कार्यों को प्रकाशित करने में सक्षम हैं, लेकिन कई युवा प्रतिभाशाली लेखक ऐसा करने में सक्षम नहीं हैं। इसने उन्हें 'यंग एडल्ट लिटरेरी सोसाइटी' स्थापित करने के लिए प्रेरित किया है जो युवा लेखकों के अच्छे कार्यों को प्रकाशित करने में हर तरह से सहायता प्रदान करेगी।

इस बीच, किताब प्रेम के धुंधले रंगों, जैसे अंधकार, विनाश और निराशा के बारे में बात करती है, परंतु निकाशा ने कहा, "अपनी कविताओं के माध्यम से, मेरा एकमात्र उद्देश्य पाठकों को एक सकारात्मक संदेश देना है कि सब कुछ अंधकारपूर्ण और निराशाजनक नहीं है। सुरंग के दूसरी ओर निश्चित रूप से रोशनी है।"

उल्लेखनीय है कि भारत में पुस्तक लॉन्च करने से पहले, निकाशा ने हाल ही में, आयरलैंड के तीन स्थानों - भारतीय दूतावास, ग्रिफ़िथ कॉलेज, और राइटर्स क्लब ऑफ ड्रोघेडा में अपनी किताब 'डार्क ट्यूलिप्स' को शोकेस किया है। उन्हें आयरलैंड के प्रतिष्ठित लेखकों से भारी सराहना मिली। निकाशा ने काव्य संग्रह से पहले, 'फ्लावर्स इन हर रूम' नामक एक नाटक भी लिखा जो एक किताब के रूप में प्रकाशित हुआ है।

मीडिया से बातचीत के बाद निकाशा की कविता पर आधारित 'एक काव्य पाठ और कला-साहित्य अनुकूलन' - 'डिस्कवरिंग देवी'- हस्तिनापुर से मणिपुर, का मंचन टैगोर थिएटर के मिनी ऑडिटोरियम में किया गया। इसे निशा लूथरा ने निर्देशित किया। इस काव्य प्रस्तुति में निकाशा ने मंच पर थोड़ा सा अभिनय भी किया। निकाशा की कविता 'आउटसाइड द सेफहाउस' पर आधारित, निशा लूथरा द्वारा निर्देशित एक लघु फिल्म भी प्रदर्शित की गई। प्रख्यात हस्तियों द्वारा पुस्तक का औपचारिक अनावरण किया गया जिसमें विशिष्ट अतिथि - ट्रांसजेंडर अधिकार कार्यकर्ता, धनंजय चौहान, भवन विद्यालय, पंचकूला की प्रिंसीपल गुलशन कौर शामिल थीं। आयरलैंड दूतावास की सिनैड गिलमार्टिन और अमेरिकी दूतावास के माइकल जॉर्ज कैलेगरी भी कार्यक्रम में शामिल हुए।

कार्यक्रम का एक अन्य आकर्षण एक पैनल चर्चा थी जिसमें प्रमुख कवियों और साहित्यिक दिग्गजों ने किशोर कवयित्री निकाशा के साथ बातचीत की। श्वेता मल्होत्रा, सुनीत मदान, सोनिका सेठी और रूपम सिंह ने निकाशा से उनकी किताब के बारे में रोचक बातचीत की। परिचर्चा का संचालन सोनिया चौहान ने किया। पत्रकार, पटकथा लेखक और फिल्म निर्माता बलप्रीत कौर समारोह की मास्टर ऑफ सेरेमनी थीं।

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