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स्क्रीन टाइम बढ़ा, मैदान छूटा... और बढ़ गया बच्चों का वजन

पिज्जा, मोबाइल और मोटापा-खतरनाक तिकड़ी!

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इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार का फाइल फोटो।
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विवेक शर्मा/ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 5 मार्च

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क्या आपने गौर किया है कि अब बच्चों की हंसी-ठिठोली मैदान में नहीं, बल्कि मोबाइल की स्क्रीन पर दिखती है? क्रिकेट, कबड्डी और साइकिलिंग की जगह अब इंस्टाग्राम रील्स और ऑनलाइन गेम्स ने ले ली है। नतीजा- बच्चों में मोटापा तेजी से बढ़ रहा है!

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एक शोध के अनुसार देश में 5 से 15 साल के 18 फीसदी बच्चे मोटापे के शिकार हो चुके हैं, और अगर यही हाल रहा तो अगले 15 साल में यह आंकड़ा दोगुना हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि जंक फूड, ज्यादा मीठा, कम फाइबर, स्क्रीन टाइम और फिजिकल एक्टिविटी की कमी मोटापे को तेजी से बढ़ा रहे हैं। शोध बताते हैं कि शहरी इलाकों में 12.4 प्रतिशत और ग्रामीण क्षेत्रों में 8.4 प्रतिशत बच्चे मोटापे से जूझ रहे हैं। आलम यह है कि छोटे बच्चों में भी टाइप-1 डायबिटीज, हाई बीपी और मानसिक तनाव जैसी बीमारियां बढ़ रही हैं।

बचपन बचाना है तो ये करें

बच्चों को मैदान में भेजें, डिजिटल दुनिया से थोड़ा दूर करें। रोजाना 60 मिनट की फिजिकल एक्टिविटी अनिवार्य करें। कोल्ड ड्रिंक्स और फास्ट फूड कम करें, फल-सब्जियां और हेल्दी स्नैक्स दें। बच्चों के स्क्रीन टाइम को सीमित करें, ताकि वे असली दुनिया का मजा ले सकें।

डॉक्टर भी कर रहे आगाह

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. नीरज कुमार का कहना है कि अगर आज बच्चों की सेहत पर ध्यान नहीं दिया गया, तो आने वाले समय में मोटापा गंभीर बीमारियों का कारण बन जाएगा। मोटापा सिर्फ शारीरिक नहीं, बल्कि मानसिक और सामाजिक समस्या भी बन रहा है। अब वक्त आ गया है कि बच्चों को मोबाइल स्क्रीन से हटाकर फिर से खेल के मैदान से जोड़ा जाए, ताकि उनका बचपन सेहतमंद और खुशहाल बन सके।

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