रंजू ऐरी डडवाल/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 11 जनवरी
चंडीगढ़ प्रशासन की कर्मचारियों के लिए बानाई गई आवास योजना-2008 के तहत फ्लैटों की दरों को लेकर गतिरोध खत्म नहीं हुआ है। प्रशासन ने कर्मचारियों की फ्लैटों की दरों को कम करने की मांग के चलते नई नीति बनाई थी। इस नीति के तहत उन्हें प्रत्येक फ्लैट के एरिया अथवा प्लाट के आधार कीमतें तय करने का विकल्प दिया था। प्रशासन को इसकी रिपोर्ट आगामी माह हाईकोर्ट में होने वाली सुनवाई में भी पेश करनी है।
बताया जाता है कि केंद्रीय गृह सचिव अजय भल्ला की अध्यक्षता में हाल ही में एक बैठक में, प्रशासक के सलाहकार मनोज परिदा और कर्मचारियों के प्रतिनिधि शामिल थे, कर्मचारियों ने दोनो विकल्पों को ठुकरा दिया है। प्रशासन का कहना है कि इस योजना के लिए 65.96 एकड़ भूमि का उपयोग किया जाएगा व कर्मचारियों से केवल 38.02 एकड़ भूमि का शुल्क लिया जाएगा। कैबिनेट के फैसले को संशोधित करते हुए भूमि की लागत को कम करने के लिए 1,002.49 करोड़ रुपये की वित्तीय रियायत इसके तहत देने की पेशकश प्रशासन ने की थी। दूसरे विकल्प में करीब 11 मंजिलें बनाने की पेशकश थी लेकिन पूरी जमीन की कीमत वसूल की जानी थी।
प्रशासन ने इस योजना के तहत फ्लैटों की जो कीमतें तय की थी उसके तहत 3 बैडरूम फ्लैट के लिए 1.69 करोड़ रुपये, 2 बैडरूम के लिए 1.31 करोड़, एक बैडरूम फ्लैट के लिए 75 लाख और एक बैडरूम (ईडब्ल्यूएस) फ्लैट के लिए 54 लाख रुपये की कीमत तय की थी।
यूटी ने प्रस्ताव दिया था कि 48.33 एकड़ जमीन पर 35.88 करोड़ रुपये प्रति एकड़ की दर से 1,734 करोड़ रुपये का शुल्क लगेगा। कर्मचारियों का कहना है कि जब 2008 में इस योजना की घोषणा की गई थी, तब तीन बैडरूम फ्लैट के लिए 34.70 लाख, दो बैडरूम के लिए 24.30 लाख, एक बैडरूम फ्लैट के लिए 13.53 लाख रुपये और एक बैडरूम (ईडब्ल्यूएस) फ्लैट के लिए 5.76 लाख रुपये थे। कर्मचारी पुरानी दरों पर ही जगह की अलाटमेंट की मांग कर रहे हैं।