पिंजौर (निस) : केन्द्रीय एनएफआईआर के आह्वान पर यूआरएमयू रेलवे वर्कशॉप ब्रांच कालका द्वारा रेलवे के निजीकरण, निगमीकरण, डीए एरियर रिलीज करने, एनपीएस, पर्वतीय रेल मार्ग को प्राइवेट करने, बोनस की सीलिंग न बढ़ाने के विरोध में सोमवार को जन जागरण व विरोध सप्ताह की शुरुआत की। ब्रांच सचिव विकास तलवार ने बताया कि इसी कड़ी में आज यूआरएमयू द्वारा सुबह मेन गेट पर सभी रेल कर्मियों को काले बिल्ले लगाए व दोपहर को निजीकरण के खिलाफ नारेबाजी की गयी। विकास तलवार ने पूरे सप्ताह के प्रोग्राम से सभी को अवगत करवाया। इस मौके पर ब्रांच प्रधान प्यारेलाल, बलदेव कुमार, जैल सिंह, कपिल देव, कमल किशोर, अमित कौशिक, अवतार सिंह, दीक्षांत, जौनी, दिनेश, विक्रम, मनदीप, मुकेश, गुरविंदर, नरेश आदि मौजूद रहे।
दूरदृष्टा, जनचेतना के अग्रदूत, वैचारिक स्वतंत्रता के पुरोधा एवं समाजसेवी सरदार दयालसिंह मजीठिया ने 2 फरवरी, 1881 को लाहौर (अब पाकिस्तान) से ‘द ट्रिब्यून’ का प्रकाशन शुरू किया। विभाजन के बाद लाहौर से शिमला व अंबाला होते हुए यह समाचार पत्र अब चंडीगढ़ से प्रकाशित हो रहा है।
‘द ट्रिब्यून’ के सहयोगी प्रकाशनों के रूप में 15 अगस्त, 1978 को स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर दैनिक ट्रिब्यून व पंजाबी ट्रिब्यून की शुरुआत हुई। द ट्रिब्यून प्रकाशन समूह का संचालन एक ट्रस्ट द्वारा किया जाता है।
हमें दूरदर्शी ट्रस्टियों डॉ. तुलसीदास (प्रेसीडेंट), न्यायमूर्ति डी. के. महाजन, लेफ्टिनेंट जनरल पी. एस. ज्ञानी, एच. आर. भाटिया, डॉ. एम. एस. रंधावा तथा तत्कालीन प्रधान संपादक प्रेम भाटिया का भावपूर्ण स्मरण करना जरूरी लगता है, जिनके प्रयासों से दैनिक ट्रिब्यून अस्तित्व में आया।