रास लीला आत्मा और परमात्मा के मिलन की कथा है: संदीप शास्त्री
सेक्टर-19 शिव मंदिर में श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन का भावपूर्ण आयोजन
चंडीगढ़, 3 मई (ट्रिन्यू)
सेक्टर-19 स्थित प्राचीन शिव मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के छठे दिन आचार्य संदीप शास्त्री (बनभौरी धाम) ने रास लीला का भावपूर्ण वर्णन करते हुए कहा कि यह भगवान श्रीकृष्ण की श्रेष्ठतम लीलाओं में से एक है। उन्होंने स्पष्ट किया कि रास लीला केवल काम को बढ़ावा देने की नहीं, बल्कि उस पर विजय पाने की कथा है। रास लीला में कामदेव ने खुले मैदान में भगवान पर अपने समस्त बल से आक्रमण किया, लेकिन पराजित होकर लौटना पड़ा।
आचार्य जी ने कहा कि रास लीला में जीव का शंका करना या उसे केवल काम दृष्टि से देखना ही पाप है। गोपी गीत का उल्लेख करते हुए उन्होंने बताया कि जब जीव में अभिमान आता है तो भगवान उनसे दूर हो जाते हैं, लेकिन जब कोई विरह में तड़पता है तो श्रीकृष्ण उस पर कृपा करते हैं और दर्शन देते हैं।
श्रीकृष्ण-रुक्मणि विवाह प्रसंग सुनाते हुए उन्होंने कहा कि रुक्मणि स्वयं लक्ष्मी स्वरूपा हैं, जो भगवान नारायण से अलग नहीं रह सकतीं। यदि जीव अपने धन (लक्ष्मी) को परमार्थ में लगाता है तो वह धन कल्याणकारी बनता है, अन्यथा वह बीमारी, चोरी या हरण के रूप में छिन ही जाता है।
इस अवसर पर बनभौरी धाम से पुजारी शिव कुमार कौशिक व सुशील कौशिक जी का शुभ आगमन हुआ। आयोजन में प्रवीण मित्तल, तरसेम मित्तल, रवि गर्ग, अनिल जैन, दीपक गर्ग, तरसेम गोयल, सुशीला बंसल, सुनीता जैन सहित जय मां बनभौरी परिवार का विशेष योगदान रहा।

