जोगिंद्र सिंह/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 14 जनवरी
पंजाब विश्वविद्यालय को फिर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की ओर से 50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। हाईकोर्ट ने यह जुर्माना सीनेट के चुनाव कराने की मांग को लेकर प्रो. केशव मल्होत्रा द्वारा दायर की गयी याचिका पर समय पर जवाब दायर न करने पर लगाया है। मंगलवार को इस मसले पर सुनवाई हुई थी और पीयू को इसके लिये फटकार लगायी गयी थी कि सीनेट चुनाव को लेकर कोर्ट की ओर से दिये गये नोटिस पर जवाब क्यों दायर नहीं किया गया। जुर्माने की राशि आज ही अपलोड की गयी है। इस मामले की अगली सुनवाई कल होनी है। 15 अगस्त को कोविड-19 महामारी के चलते चुनाव दो माह के लिये टाल दिये गये थे । मगर बाद में अक्तूबर में भी चुनाव नहीं कराये गये और 31 अक्तूबर को सीनेट का और 31 दिसंबर को सिंडिकेट का कार्यकाल भी पूरा हो गया।
दूसरी ओर अब पूर्व सीनेटर प्रो. नवदीप गोयल ने कहा है कि कुलपति प्रो. राजकुमार 31 दिसंबर को चांसलर आफिस की ओर से आये लेटर को दबा कर बैठे हैं। उन्होंने कहा कि चांसलर आफिस की ओर से साफ कर दिया गया है कि या तो सीनेट के चुनाव कराये जायें या जब तक चुनाव नहीं हों तो पुरानी बॉडी को ही वजूद में माना जाये। चांसलर एवं उपराष्ट्रपति एम. वैंकेया नायडू के कार्यालय के संयुक्त सचिव अशोक दीवान की ओर से पंजाब यूनिवर्सिटी को 29 दिसंबर की तारीख में एक पत्र भेजा गया था जिसमें कहा गया था कि नई शिक्षा नीति को पंजाब यूनिवर्सिटी के एक्ट और रेगुलेशन के तहत ही लागू किये जाने की प्रक्रिया अपनायी जाये। उन्होंने पत्र में कहा है कि चूंकि पीयू एक इंटर स्टेट कारपोरेट बॉडी है इसलिये एक्ट की धारा 72 का पालन करें और पंजाब पुनर्गठन अधिनियम 1966 या पीयू का 1947 में बने एक्ट के प्रावधानों के तहत ही पीयू को चलाया जाये। वैसे भी अब केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ (यूटी) के डीसी ने भी पीयू को कह दिया है कि वे जब चाहें सीनेट के चुनाव करा सकते हैं।