अमरावती एनक्लेव के प्लाट मालिकों को मालिकाना अधिकार नहीं : The Dainik Tribune

अमरावती एनक्लेव के प्लाट मालिकों को मालिकाना अधिकार नहीं

कालोनाइजर ले रहा मेन्टेनेंस चार्ज, नगर परिषद वसूल रही प्रॉपर्टी टैक्स

अमरावती एनक्लेव के प्लाट मालिकों को मालिकाना अधिकार नहीं

पंचकूला में शुक्रवार को कांग्रेस नेता एकजुट होकर अमरावती एनक्लेव के लोगों के लिए आवाज उठाते हुए।

दिनेश भारद्वाज/ ट्रिन्यू

चंडीगढ़, 17 मार्च

पंचकूला में पिंजौर के नजदीक बसे अमरावती एनक्लेव के नागरिक मूलभूत सुविधाओं से तो दो-चार हो ही रहे हैं साथ ही, उन्हें अभी तक उनके प्लॉटों का मालिकाना अधिकार तक नहीं मिला है। स्थिति यह है कि जमीन पर लोन लेने के लिए भी उन्हें कालोनाइजर से एनओसी लेनी पड़ती है। यह हालात तब हैं जब उन्हें प्लॉट खरीदकर मकान बनाए हुए भी बरसों हो चुके हैं और वे अपनी पूरी पेमेंट भी कर चुके हैं। मामला कोर्ट में भी चल रहा है। इस बीच डेमोक्रेट्स वेलफेयर एसोसिएशन अमरावती एनक्लेव रेजिडेंट्स के पदाधिकारियों ने फिर से यह मुद्दा उठाया है। शुक्रवार को नगर परिषद पंचकूला की पूर्व चेयरपर्सन मनवीर कौर गिल, वरिष्ठ कांग्रेस नेता विजय बंसल , कुलवंत गिल, कर्नल बीएस रंगी, ब्रिगेडियर सीके सूद, हरपाल सिंह, एके दीवान, बिशन सिंह, अमरीक सिंह मल्होत्रा आदि ने संयुक्त प्रेस कांफ्रेंस में यह मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा कि एनक्लेव को कालका नगर परिषद के अधीन किया जाए।

उन्होंने कहा कि अमरावती एनक्लेव में रहने वाले लोगों से प्रॉपर्टी टैक्स कालका नगर परिषद द्वारा वसूला जा रहा है। वहीं कालोनाइजर द्वारा उनसे हर माह मेनटेनेंस चार्ज लिया जा रहा है। एक तरह से उन पर दोहरी मार पड़ रही है। जब नगर परिषद उनसे टैक्स ले रही है तो मूलभूत सुविधाओं की जिम्मेदारी भी नगर परिषद की होनी चाहिए। यह तभी संभव है जब कालोनी को परिषद के हवाले किया जाए। कांग्रेस नेताओं ने कहा कि कालोनी के लोगों की समस्या के समाधान होने तक वे हर स्तर पर आवाज उठाएंगे। अमरावती एनक्लेव में अमरनाथ अग्रवाल इन्वेस्टमेंट प्राइवेट लिमिटेड द्वारा 1996 से 959 प्लाटधारकों को जमीन का मालिकाना हक ट्रांसफर नहीं करने की वजह से नागरिकों की समस्या अधिक बढ़ी हुई है। करोड़ों रुपये लगाने के बाद भी लोगों को इंतकाल एवं जमाबंदी आदि में मालिकाना अधिकार नहीं मिला है। इस मामले को लेकर डेमोक्रेट्स वेलफेयर एसोसिएशन अमरावती एनक्लेव रेजिडेंट्स द्वारा मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, डीसी सहित अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को कोई बार शिकायतें की जा चुकी हैं, लेकिन कोई समाधान नहीं निकला।

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