चंडीगढ़/पंचकूला, 16 जनवरी (नस)
नगर निगम चंडीगढ़ में पार्षदों के चुनाव के बाद मेयर चुनाव और अब मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति को लेकर आम आदमी पार्टी और कांग्रेस में घबराहट साफ देखी जा सकती है। दोनों पार्टियों के नेताओं को डर सता रहा है कि कहीं जोड़तोड़ के जरिए भाजपा निगम में मनोनीत पार्षदों का दबदबा कायम न कर दे। इसकी वजह यह है कि निगम चुनाव हार चुके भाजपा के पार्षद फिर से सदन में मनोनीत पार्षद के तौर पर निगम का हिस्सा बन कर रहना चाहते हैं।
आप और कांग्रेस दोनों पार्टियों के नेताओं ने प्रशासक को पत्र लिखकर मनोनीत पार्षदों की नियुक्ति के संबंध में ठोस फैसला लेने मांग की है। कांग्रेस की मांग है कि नगर निगम, चंडीगढ़ में पार्षदों के रूप में नामांकन के लिए केवल उन व्यक्तियों पर विचार किया जाना चाहिए जो सार्वजनिक मामलों में प्रतिष्ठित हैं या जिन्हें नगर निगम प्रशासन के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। दोनों पार्टियों ने मनोनीत पार्षदों के लिए विशेषज्ञों को चुनने की सिफारिश की है ताकि निगम में किसी भी राजनीतिक दल का दबदबा कायम न हो। हालांकि, भाजपा के सीनियर एडवोकेट सतिंदर सिंह की याचिका पर 18 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट इस संबंध में अपना फैसला सुनाएगा कि मनोनीत पार्षदों की संख्या कितनी हो और इनके चयन की प्रक्रिया कैसी होनी चाहिए। निगम के कामकाज में इन मनोनीत पार्षदों के सुझाव की क्या अहमियत होनी चाहिए। सतिंदर सिंह की माने तो निगम में सक्षम लोगों को मनोनीत पार्षद चुना जाए।
प्रशासक करते हैं 9 पार्षदों को मनोनीत
गौरतलब है कि निगम में 9 मनोनीत पार्षदों का चयन प्रशासक करते हैं। अब की बार यह साफ नहीं हो पाया है कि प्रशासक मनोनीत पार्षदों के चयन से पहले इनकी संख्या निर्धारित करेंगे या नहीं। कांग्रेस की मांग है कि ऐसे नामांकन नगर निगम चुनाव 2022 में प्रत्येक राजनीतिक दल को दिए गए वोट शेयर के बराबर अनुपात में किया जाएगा। दूसरी तरफ, आम आदमी पार्टी की तरफ से प्रशासक को मांग की गई है कि सार्वजनिक तौर पर मनोनीत पार्षदों को राजनीति से दूर रखा जाए।
क्या बोले कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला
चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष सुभाष चावला के मुताबिक पंजाब नगर निगम अधिनियम 1976 की धारा 4 (3) के अनुसार, जैसा कि केंद्र शासित प्रदेश, चंडीगढ़ में विस्तारित है, प्रशासक को 9 पार्षदों को नामित करने की शक्तियां निहित हैं। ऐसे व्यक्ति जो सार्वजनिक मामलों में प्रतिष्ठित हैं या जिन्हें प्रशासन के संबंध में विशेष ज्ञान या व्यावहारिक अनुभव है। उन्हें मनोनीत पार्षद नामित किया जाना चाहिए।
सदन में भेजें विशेषज्ञ और साफ छवि पार्षद
सिटी फोरम ऑफ रेजिडेंट्स वेलफेयर ऑर्गेनाइजेशन के संयोजक विनोद वशिष्ठ ने कहा कि वर्तमान सदन में 35 पार्षदों में से 50 फीसदी से अधिक यानी 20 पार्षद स्नातक से नीचे हैं। इसलिए, यह अत्यंत महत्वपूर्ण है कि नामांकित पार्षदों को सही विशेषज्ञता के साथ और साफ रिकॉर्ड के साथ प्रशासन द्वारा एमसी हाउस में भेजा जाना चाहिए। ऐसे राजनीतिक व्यक्तियों को नामित करने का कोई मतलब नहीं है, जिन्हें चंडीगढ़ के मतदाताओं ने पहले ही खारिज कर दिया है। मनोनीत पार्षदों के मामले को बंद करने के लिए प्रशासक सर्वदलीय बैठक बुला सकते हैं।