डीगढ़, 25 अगस्त (ट्रिन्यू)
हरियाणा में ओल्ड पेंशन स्कीम को बहाल करने की मांग कर रहे कर्मचारियों को फिलहाल कोई राहत मिलती नज़र नहीं आ रही है। मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार ने इस बाबत स्थिति स्पष्ट कर दी है। यानी राज्य सरकार कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने के मूड़ में नहीं है। अलबत्ता केंद्र सरकार के फैसले का इंतजार किया जाएगा। ओपीएस की मांग पर केंद्र द्वारा समिति गठित की हुई है।महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने कर्मचारियों द्वारा की जा रही ओपीएस बहाली की मांग पर विधानसभा में सवाल उठाया। उनके जवाब में मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दो-टूक कहा, राज्य सरकार वेतन और पेंशन के मामलों में केंद्र सरकार का अनुसरण करती है। भारत सरकार ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के तहत पेंशन के मुद्दे पर विचार करने के लिए एक समिति का गठन किया हुआ है। समिति की अनुशंसा के आधार पर केंद्र सरकार द्वारा निर्णय लेने के बाद ही राज्य सरकार इस बारे में कोई फैसला करेगी।हालांकि हरियाणा के कर्मचारी संगठनों की मांग पर प्रदेश सरकार भी इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए कमेटी का गठन कर चुकी है। सरकार ने कुंडू के सवाल पर स्वीकार किया कि राज्य के कर्मचारी संगठन ओल्ड पेंशन योजना लागू करने को लेकर आंदोलन कर रहे हैं। यहां बता दें कि पड़ोसी राज्यों – हिमाचल प्रदेश, पंजाब और राजस्थान में पुरानी पेंशन योजना को बहाल किया जा चुका है। पंजाब में आम आदमी पार्टी तथा हिमाचल और राजस्थान में कांग्रेस सरकारों ने न्यू पेंशन स्कीम की जगह ओपीएस को लागू किया है।छत्तीसगढ़ में भी कांग्रेस ओपीएस लागू कर चुकी है। इतना ही नहीं, हरियाणा में प्रमुख विपक्षी दल होने के नाते कांग्रेस भी यह ऐलान कर चुकी है कि सत्ता में आने के बाद पहली ही कैबिनेट में पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने का निर्णय लिया जाएगा। पड़ोसी राज्यों में ओपीएस लागू होने के बाद हरियाणा के कर्मचारी भी लामबंद हो रहे हैं। सीएम ने कहा, पेंशन की भारी वित्तीय देनदारी का अध्ययन करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा वर्ष 2001 में एक समिति का गठन किया था।समिति की सिफारिशों के आधार पर केंद्र सरकार ने पेंशन देनदारियों के भुगतान के लिए एक कोष को अलग रखने के लिए पहली जनवरी, 2004 से परिभाषित अंशदान पेंशन प्रणाली शुरू की थी। इसे अब राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) कहा जाता है। इसके बाद पहली जनवरी, 2006 को हरियाणा की तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने कर्मचारियों के लिए एनपीएस को लागू किया था। एनपीएस के संबंध में मूलभूत सिद्धांत वही बने हुए हैं। वर्तमान में हरियाणा सरकार अपने कर्मचारियों के लिए 14 प्रतिशत की दर से मासिक अंशदान पेंशन देनदारियों में कर रही है, जबकि कर्मचारी अंशदान दस प्रतिशत है।