मुकेश कुमार
चंडीगढ़, 21 नवंबर
केंद्र सरकार द्वारा घोषित किये गये ‘स्वच्छ सर्वेक्षण’ के नतीजों ने सिटी ब्यूटीफुल चंडीगढ़ प्रशासन तथा नगर निगम की कार्यप्रणाली की पोल खोलकर रख दी है। देशभर के शहरों की सालाना रैंकिंग में चंडीगढ़ शहर 66वें स्थान पर रहा है। इसके साथ ही 10 लाख से ज्यादा आबादी वाले शहरों की सूची में चंडीगढ़ 8वें स्थान पर खिसक कर 16वें स्थान पर आ गया है।
गौरतलब है कि चंडीगढ़ नगर निगम के पास सफाई प्रबंधों के साधनों की कमी नहीं है, परंतु इस वर्ष के स्वच्छता परिणामों के चलते निगम अधिकारियों की ढिलमुल कार्यप्रणाली से साफ जाहिर हो गया है कि चंडीगढ़ शहर की ‘स्वच्छता रैंकिंग’ सुधारने के लिए जमीनी स्तर पर काम नहीं किया गया। निगम की तमाम योजनाएं कागजों तक ही सिमट कर रह गयीं। हालांकि शहर की सफाई व्यवस्था के लिए नगर निगम ने करोड़ों रुपये खर्च किये पर इसके बावजूद चंडीगढ़ की सफाई व्यवस्था सुधरने की अपेक्षा और बिगड़ गयी। इस निराशाजनक प्रदर्शन के लिए चंडीगढ़ नगर निगम के प्रबंधों में कई खामियां देखने को मिली हैं।
नगर निगम ने शहर के घर-घर से गीला-सूखा कूड़ा एकत्रित करने के लिए लागू की जाने वाली योजना के तहत बगैर कोई ठोस योजना बनाये 390 वाहन खरीद लिये परंतु इनमें से 97 वाहन आज भी निगम के विभिन्न स्टोरों में धूल फांक रहे हैं। बात यहीं समाप्त नहीं होती, इन वाहनों को खरीदने के बाद इस योजना को लागू करने के लिए सफाई कर्मचारियों से तालमेल बैठाने में कई महीने लग गये। इसके बावजूद सफाई कर्मचारियों की कमी बदस्तूर जारी रहीं।
लापरवाहियों को गंभीरता से नहीं लिया
शहर के दक्षिणी क्षेत्रों में सफाई व्यवस्था का कार्य करने वाली एक निजी कंपनी द्वारा की गयी लापरवाहियों को भी निगम अफसरों, पार्षदों ने गंभीरता से नहीं लिया। स्वच्छ सर्वेक्षण को लेकर निगम ने शहर के नागरिकों, मार्किट वेलफेयर एसोसिएशनों तथा रेजीडेंट्स वेलफेयर एसोसिएशनों से भी तालमेल बनाने की जरूरत नहीं समझी। इसके अलावा शहर के कूड़ा प्रबंधन को लेकर भी कोई खास प्रबंध नहीं किये गये। निगम ने शहर का गारबेज प्रोसेसिंग प्लांट चलाने का जिम्मा अपने अधीन लिया था, इसके बावजूद प्लांट में कूड़ा प्रबंधन करने में नाकामयाब रहा।
…और डंपिंग ग्राउंड का पहाड़ ऊंचा होता चला गया
चंडीगढ़ का कूड़ा लगातार डड्डूमाजरा डंपिंग ग्राउंड में गिराया जा रहा है। परिणामस्वरूप वहां कूड़े का पहाड़ ऊंचा होता जा रहा है। बदबू और गंदगी से परेशान स्थानीय बाशिंदे बार-बार प्रदर्शन करते हैं, परंतु कोई सुनने वाला नहीं। इस संबंध में नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) भी प्रशासन को फटकार लगा चुका है।