चंडीगढ़, 25 अगस्त (ट्रिन्यू)
नयी शिक्षा नीति विद्यार्थियों में अनूठी क्षमता विकसित करेगी जबकि मौजूदा शिक्षा नीति का सारा फोकस विद्यार्थियों को परीक्षा में अधिक से अधिक अंक दिलाने में मदद करने पर है। ‘वन साइज फार आल’ वाली एजुकेशन पॉलिसी अब और नहीं चलेगी। यह विचार मंगलवार को पंजाब विश्वविद्यालय के एजुकेशन विभाग और सोसायटी फार प्रमोशन आफ साइंस एंट टेक्नोलॉजी द्वारा नयी शिक्षा नीति पर आयोजित एक वेबिनार में एनसीईआरटी के निदेशक प्रो. एच सेनापति ने व्यक्त किये। सालों तक नयी शिक्षा नीति पर काम करने वाले इग्नू के प्रो. सीबी शर्मा ने कहा कि यह नीति बदलाव लाने की इच्छाशक्ति और भविष्य का एक रोडमैप दिखाने वाली है। आब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन की डॉ. लीना चंद्रन ने कहा कि यह शिक्षा नीति 3 से 8 साल के बच्चे के विकास में अहम रोल अदा करेगी। बहुभाषाएं न केवल वांछित हैं बल्कि बच्चों के लिये यह अनिवार्य भी हैं ताकि उनके दिमाग अच्छे से विकसित हो सकें। फेसबुक व जूम के जरिये करीब 1300 लोगों ने इस वेबिनार में हिस्सा लिया। पूर्व कुलपति प्रो. केएन पाठक, प्रो. के रामचंद्रन, प्रो. किरणदीप कौर, पूर्व कुलपति प्रो. अरुण कुमार ग्रोवर, पेक के निदेशक प्रो. धीरज सांघी, प्रो. केया धर्मवीर, प्रो. आईबीएस पासी और प्रो. लतिका शर्मा के अलावा रिसर्च स्कॉलरों व विद्यार्थियों ने भी वेबिनार में भाग लिया।