रंजू ऐरी डडवाल/ट्रिन्यू
चंडीगढ़, 6 अगस्त
चंडीगढ़ आवास बोर्ड ने सेक्टर-53 में प्रस्तावित शहर की सबसे महंगी आवास योजना (जनरल सेल्फ फाइनेंसिंग हाउसिंग स्कीम) पर नए सिरे से विचार करने का निर्णय लिया है। इसके अलावा बोर्ड ने निर्णय लिया कि आवासीय इकाई को विधिवत पंजीकृत बिक्री-विलेख के माध्यम से स्थानांतरित करते समय 15 प्रतिशत शुल्क और स्टांप शुल्क नहीं लगाया जायगा।
बोर्ड के निदेशक मंडल की बृहस्पतिवार को हुई बैठक में कहा गया कि एफएआर में वृद्धि के लिए फिर से प्रशासन के साथ मामला उठाया जाए ताकि अधिक फ्लैटों का निर्माण किया जा सके। इसके बाद संशोधित योजना को विचार के लिए बोर्ड के समक्ष लाया जाएगा। ज्ञात रहे कि बोर्ड ने मार्केट से अधिक दामों पर जब यह योजना चालू की तो 492 फ्लैटों के लिए केवल 178 आवेदक ही मिले थे। आवास बोर्ड ने फ्लैटों की कीमतों में दो बार कमी की और यहां तक कि मांग सर्वेक्षण की समय सीमा भी बढ़ा दी थी। लेकिन इस बार भी आवेदक नहीं मिले तो गत मार्च में बोर्ड ने इस योजना रद्द कर दिया व आवेदकों को राशि वापस करने का निर्णय लिया था।
योजना की 2 बार कम की थी कीमतें
उल्लेखनीय है कि जुलाई 2019 में इस योजना के लिए आवेदन मांगे गए तो बोर्ड ने 1.85 करोड़ रुपये में 3 बीएचके, 1.6 करोड़ में, 2 बीएचके, 1.15 करोड़ में, 1 बीएचके और ईडब्ल्यूएस के लिए 58 लाख रुपये में आवास का प्रस्ताव रखा था। आवेदक नहीं मिलने के कारण गत वर्ष अक्टूबर में 3 बीएचके 1.63 करोड़ रुपये में, 2 बीएचके, 1.36 करोड़ में, 2 बीएचके 90 लाख में, 1 बीएचके और ईडब्ल्यूएस 50 लाख रुपये में दो कमरों का फ्लैट जारी किया। फिर 14 जनवरी को बोर्ड ने फैसला किया कि 3 बीएचके 1.5 करोड़, 2 बीएचके 1.28 करोड़, 1 बीएचके 86 लाख और ईडब्ल्यूएस के लिए एक फ्लैट 50 लाख रुपये में देने का प्रस्ताव था। आज की बैठक में इस योजना को पूरी तरह से खत्म कर नए सिरे से विचार करने का निर्णय लिया गया।